अपात्रो को अनुकम्पा नियुक्ति पर हाईकोर्ट में याचिका । पांच प्रतिवादियों को नोटिस जारी। चार सप्ताह के भीतर जवाब देने तलब

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बस्तर जिले में ट्रायबल व शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मामले में कथित तौर पर गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया गया था याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग आयुक्त बस्तर संभाग जगदलपुर कलेक्टर बस्तर तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी जगदलपुर बीईओ जगदलपुर वह 5 प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है ।

तत्कालीन डीईओ पर किये गये कार्यवाही की चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस नये याचिका में कुछ नये बातों को स्वीकार किया गया है जिसके तहत् शिक्षा व ट्रायबल विभाग के साथ अन्य विभागों को भी चपेट में लिया गया है।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार शासकीय कार्यालयों में हो रहे नियुक्तियों को लेकर अनियमितता एवं नियम विरुद्ध अनुकंपा नियुक्ति का आरोप लगता रहता है, इसकी शिकायत के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं होने पर शिकायतकर्ता न्यायालय की शरण में जा रहे हैं । इसी तरह का एक मामला सामने आया है ,जिला शिक्षा विभाग और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास शाखा जगदलपुर में हुए पांच अनुकंपा नियुक्ति को लेकर अनियमितता एवं नियम विरुद्ध नियुक्ति बताते हुए आरटीआई कार्यकर्ता फगनु राम साहू ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाया था, जिसे उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है। आरटीआई कार्यकर्ता फागनु राम साहू ने बताया कि शिक्षा विभाग में लिपिक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति हुई है, जबकि अनुकंपा नियुक्ति के लिए निर्धारित मापदंड के अनुसार यह सभी अनुकंपा नियुक्ति के लिए अपात्र है। कलेक्टर आदिवासी विकास शाखा जगदलपुर में कार्यरत लिपिक और चपरासी भी अनुकंपा के नियम एवं शर्तों के अनुसार अपात्र है। अनुकंपा नियुक्ति को निरस्त करने की कार्यवाही कलेक्टर द्वारा की गई थी इसके बावजूद उनकी नियुक्ति अनेक संदेह पैदा करता है वही अनुकंपा का लाभ लेकर शासकीय सेवा में पदस्थ अन्य 4 भी अनुकंपा के लिए निर्धारित पात्रता की श्रेणी में नहीं आते हैं क्योंकि सभी के परिजन शासकीय सेवा में उनकी नियुक्ति के समय कार्यरत हैं जिससे वे सभी भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए अपात्र है ।