कर्मचारी शिकार हुए एसडीएम के प्रशासनिक आतंकवाद से, ऐसी हरकतों से कई बार शर्मशार हुआ प्रशासन, छत्तीसगढ़ क्वार्टर खाली कराने का मामला

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जगदलपुर । जिला प्रशासन की मंशा जीर्ण-शीर्ण छत्तीसगढ़ क्वार्टर के नये सिरे से निर्माण की योजना है जिसका स्वागत किया जा रहा है किंतु इसको खाली कराने की जवाबदेही जिस अधिकारी को दी गई है उनका विवादों से चोली दामन से रिश्ता है। प्रशासनिक आतंकवाद से चर्चा में रहने वाले एसडीएम जीआर मरकाम ने अब अपने मातहतों को ही शिकार बना डाला। प्रशासनिक अधिकारी ही अपनी मनमानी पर उतर आएं और लोगों की समस्याएं सुलझाने के बजाय अपनी तुगलक मिजाज से आनन-फानन में एक दिन के भीतर घर खाली कराने के निर्देश दिए जिसके बाद छत्तीसगढ़ क्वार्टर निवासी एसडीएम मरकाम की शिकायतें कलेक्टर और विधायक से भी किया गया है।

कर्मचारियों को सुविधा उपलब्ध कराने जगदलपुर के चांदनी चौक से सटे इलाके 36 क्वार्टर में नया निर्माण कराया जाना है जिसको खाली कराने की जिम्मेदारी एसडीएम को दिया गया है लेकिन शासकीय मकानों को खाली करने के तुगलकी फरमान के कारण वहां के रहवासियों व एसडीएम के बीच में कहासुनी हो गया । 36 क्वार्टर शासकीय मकानों के निवासियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एसडीएम की भाषा धमकी भरे लहजे में थी कि 36 क्वार्टर को 7 दिनों के अंदर अपने -अपने घरों को खाली कराये। एसडीएम के द्वारा वहां के निवासियों से कहा गया कि 36 क्वार्टर शासकीय मकानों को तोड़ कर नया निर्माण किया जाना है । प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी भी प्रकार की नोटिस नहीं दी गई है बिना नोटिस के एसडीएम जगदलपुर के 36 क्वार्टर शासकीय मकानों वाले क्षेत्र में आ धमकना और वहां के निवासियों को धमकाना सीधे-सीधे एसडीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है ।

इससे पूर्व भी एसडीएम जगदलपुर मरकाम की कार्यशैली की वज़ह से सुर्खियों में रही हैं। कुछ दिनों पूर्व सदर स्कूल के पास रहने वाले एक परिवार का मकान भी एसडीएम के इशारे पर तोड़ दिया था जिसके बाद परिवार के लोगों ने एसडीएम मरकाम पर गंभीर आरोप लगाए थे। लाकडाऊन के दौरान स्थानीय कोर्ट के एक वकील के साथ भी एसडीएम मरकाम ने अनावश्यक विवाद करते हुए अपने पद का रौब झाड़ा था इसके अलावा नए बस स्टैंड क्षेत्र में भी जगदलपुर एसडीएम के द्वारा पत्रकारों के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए अनावश्यक विवाद किया गया था जिसमें मौके पर मौजूद आरआई एवं पटवारियों द्वारा बीच बचाव करते हुए एसडीएम की तरफ से पत्रकारों से माफी मांग कर मामले को सुलझाया गया। प्रशासनिक आतंकवाद के रोने से पिछली सरकार अधिकारियों की मनमानी के चलते अपना विश्वास बस्तर में खो चुकी थी जिसका परिणाम उसे चुनाव में भी भुगतना पड़ा अगर समय रहते प्रशासन इस पर नकल नहीं कसती है तो अनावश्यक फजीहत झेलनी पड़ेगी।