नियोगी विचारधारा से बने शहीद अस्पताल के आगे बीएसपी कर्मचारी हुए नसमस्तक

0
342

डॉ विनायक सेन और शहीद अस्पताल की देन है मितानिन योजना

दल्लीराजहरा – मज़दूरों के लिए अस्पताल चालू करने वाले छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मजदूर-किसान नेता छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शहीद शंकर गुहा नियोगी है। जिनकी महज 48 वर्ष की उम्र में 28 सितंबर 1991 को भिलाई स्थित उनके अस्थायी निवास पर तड़के चार बजे के करीब खिड़की से निशाना बनाकर गोली मारी गई थी।

1981 में दो डॉक्टरों, आशीष कुंडू और विनायक सेन ने अपने सपने को साझा करने के लिए ‘नियोगी जी’ (जैसा कि उन्हें लोकप्रिय कहा जाता था) की टीम में शामिल हो गए और इसके बाद डॉ पवित्र गुह मेडिकोज ने इसे अभ्यास में डाल दिया। ठीक एक साल बाद डॉ सैबाल जाना उनके साथ शामिल हो गए और केवल दल्लीराजहरा के निवासी रह गए जो अभी वर्तमान समय मे शहीद अस्पताल चलाने के लिए सबसे वरिष्ठ चिकित्सक के रूप में बने हुए हैं और चिकित्सा के अलावा, वे सर्जरी और प्रसूति-स्त्रीरोग विज्ञान को समान दक्षता के साथ करते हैं।ज्ञात हो कि डॉ विनायक सेन और शहीद हॉस्पिटल के द्वारा ही प्रथम बार दल्लीराजहरा में मितानिन योजना अभियान चलाया गया था जो आज पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में लागू किया गया है।

This image has an empty alt attribute; its file name is MATH1-2.jpg

वर्तमान समय मे चल रहे महामारी कोरोना वायरस में शहिद अस्पताल को आइसोलेशन सेंटर बनाने के साथ साथ कोरोना से पीड़ित मरीजों के उपचार हेतु स्वास्थ्य विभाग ने अनुमति प्रदान की है। सन 1991 में नियोगी जी के सपनो के विरुद्ध जाकर बीएसपी के पूंजीपति कर्मचारियों ने नियोगी जी की हत्या की थी आज वही बीएसपी के कर्मचारी अपने बीएसपी प्रबंधन के बनाये अस्पताल में इलाज कराना छोड़ कर शहीद अस्पताल में अपना इलाज कराने के लिए राजनीतिक जुगाड़ और इधर उधर से फोन कर अपना इलाज कराने के लिए बाधित हो रहे है। नियोगी जी के विचारधारा को ना मानने वाले बीएसपी के पूंजीपति कर्मचारी आज नियोगी विचारधारा से चलने वाले शहीद अस्पताल के आगे झुकने को मजबूर हो चले है। ज्ञात हो कि बीएसपी द्वारा संचालित अस्पताल में बीएसपी के कोरोना मरीजों का इलाज नही किया जा रहा है। अस्पताल मात्र रिफर सेंटर बना हुआ है। जिस पर वर्तमान सीजीएम तपन सूत्रधार ने चुप्पी साध ली है। और बीएसपी कर्मचारियों को नियोगी विचारधारा के आगे नसमस्तक होना पड़ा।

This image has an empty alt attribute; its file name is DPS-3-1.jpg

वर्तमान समय मे चल रहे महामारी कोरोना वायरस में शहिद अस्पताल को आइसोलेशन सेंटर बनाने के साथ साथ कोरोना से पीड़ित मरीजों के उपचार हेतु स्वास्थ्य विभाग ने अनुमति प्रदान की है। सन 1991 में नियोगी जी के सपनो के विरुद्ध जाकर बीएसपी के पूंजीपति कर्मचारियों ने नियोगी जी की हत्या की थी आज वही बीएसपी के कर्मचारी अपने बीएसपी प्रबंधन के बनाये अस्पताल में इलाज कराना छोड़ कर शहीद अस्पताल में अपना इलाज कराने के लिए राजनीतिक जुगाड़ और इधर उधर से फोन कर अपना इलाज कराने के लिए बाधित हो रहे है। नियोगी जी के विचारधारा को ना मानने वाले बीएसपी के पूंजीपति कर्मचारी आज नियोगी विचारधारा से चलने वाले शहीद अस्पताल के आगे झुकने को मजबूर हो चले है। ज्ञात हो कि बीएसपी द्वारा संचालित अस्पताल में बीएसपी के कोरोना मरीजों का इलाज नही किया जा रहा है। अस्पताल मात्र रिफर सेंटर बना हुआ है। जिस पर वर्तमान सीजीएम तपन सूत्रधार ने चुप्पी साध ली है। और बीएसपी कर्मचारियों को नियोगी विचारधारा के आगे नसमस्तक होना पड़ा।

This image has an empty alt attribute; its file name is image-21.png

विदित हो कि शहीद अस्पताल ने उन ग्यारह संविदा कर्मियों से अपना नाम कमाया जिन्होंने अपनी मांगों के लिए पुलिस फायरिंग और 1977 के 2-3 जून को दल्ली-राजहरा में छत्तीसगढ़ खान श्रमिक संघ (सीएमएसएस) के अधीन रहते हुए अपनी जान की बाजी लगा दी। 3 जून, 1983 को शहीद दिवस पर, अस्पताल में एक बूढ़े खनकदार लाहर सिंह और एक बूढ़े किसान हलाल खोर द्वारा 15-बिस्तरों और एक आउटडोर क्लिनिक के प्रतीक को खोला गया।

This image has an empty alt attribute; its file name is image-1.png

जल्द ही ये प्रयास एक बड़े लोगों के स्वास्थ्य आंदोलन में बदल गए और डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम ने 1994 तक अपनी क्षमता को बढ़ाकर 60 बेड कर दिया और वर्तमान समय मे नयी केंद्रीय कमेटी के 7 सदस्यों की टीम के साथ शहीद अस्पताल लगभग 170 बिस्तर वाला अस्पताल है जो लगभग 100 किमी से अधिक के जलग्रहण क्षेत्र की सेवा करता है। यह चिकित्सा, शल्यचिकित्सा, प्रसूति और स्त्री रोग, दंत चिकित्सा, बाल चिकित्सा और भौतिक चिकित्सा जैसी चौतरफा स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करता है, जो बहुत ही उचित लागत पर विनम्र आजीविका के साथ आबादी की सेवा करता है। यह एक अपडेटेड पैथोलॉजिकल लेबोरेटरी चलाता है और सप्ताह में 6 दिन ओपन आउट पेशेंट सेवाएं उपलब्ध हैं। और यह राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के तहत आईसीटीसी केंद्र और तपेदिक के लिए एक डॉट केंद्र भी रखता है। शहीद अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत गरीब लोगों को सेवाएं प्रदान करने का एक चैंपियन है।

शहीद अस्पताल को एक नीति के रूप में किसी भी फंडिंग एजेंसियों से कोई पैसा नहीं मिलता है। यह अभी भी देश भर में और विदेशों में भी एक स्वयंसेवक के रूप में शहीद शंकर गुहा नियोगी के सपने को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य स्वयंसेवकों को आकर्षित करता है।