गुरुवार को छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष एवं नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप जी पूर्व मंत्री केदार कश्यप को के ऊपर जो आरोप लगाया है वो बिल्कुल सत्य है। पूर्व मंत्री केदार कश्यप पर लगे आरोप को निराधार मानते हुए जिला पंचायत सदस्य निर्देश दिवान ने एक प्रेस जारी करके पलटवार किया था उसके जवाब मे शनिवार को भानपुरी ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जितेन्द्र जैन ने एक प्रेस जारी कर फिर से पूर्व मंत्री और स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को आड़े हाथ लिया। जैन ने कहा कि विधायक चंदन कश्यप जी ने प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री केदार कश्यप पर जो आरोप लगाए है वो बिल्कुल सत्य है कहीं सच्चाई सामने ना आ जाए इसके डर से स्थानीय भाजपा नेता मुद्दा की अभाव मे कुछ भी बयान देकर सोशल मीडिया मे हीरो बनना चाहते हैं। दिवान ने चपका मामले की लेकर जो कहा वो झूट है वास्तविकता यह है कि स्टील प्लांट को लेकर जो विरोध था वो प्रभावित गाँव वाले शांत पूर्ण तरीके से कर रहे थे किंतु 12 अप्रैल को जन सुनाई समाप्त होने के बाद कुछ भाजपा के स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं के द्वारा भीड़ को भड़काकर विधायक के ऊपर जानलेवा हमला करने को कोशिश किया गया। मैं जिला प्रशासन और सरकार से मांग भी करता हूं कि इस घटना का निष्पक्ष जांच हो और जो भी दोषी है भीड़ को भड़काने का उसके ऊपर कारवाई हो क्यों कि एक जेड प्लस सुरक्षा श्रेणी प्राप्त जनप्रतिनिधि के साथ ऐसा होना मतलब साजिश बहुत बड़ी है।
चंदन कश्यप जी. सांसद प्रिय ही नहीं पूरे क्षेत्र के जनता के भी प्रिय है.
निर्देश दिवान ने जो सांसद प्रिय होने और मंत्री पद की लालच की बात कही है मैं उनको बता दूँ कि विधायक चंदन कश्यप केवल सांसद जी के ही प्रिय नहीं पूरे क्षेत्रवासियों के प्रिय है रहीं बात भविष्य मंत्री पद पाने की यदि इनको मंत्री पद का लालच रहता तो भाजपा के कद्दावर नेता और एक मंत्री को हरा कर चुनाव जीतने के बाद ही मंत्री पद की मांग करते किन्तु नहीं किया क्यों कि उनको जनता सेवा करना है ना कि फर्जीवाड़ा जैसे कांड। प्रिय तो आप है अपने पूर्व मंत्री को खुश करने के लिए और सच्चाई सामने आने के डर से मुद्दाविहीन बयान बयान दे रहे है। चंदन कश्यप शिक्षक के रूप में लंबे समय तक सेवा देने के बाद राजनीति में आकर जनता की सेवा कर रहे है। नारायणपुर की जनता ने उन्हें अपना विधायक चुना है। वे अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे है। केदार कश्यप को राजनीति विरासत में मिली। आदरणीय बलीराम जी कश्यप के प्रभाव से वह विधायक और मंत्री भी बने। लेकिन अफसोस इस बात का है कि उन्होंने अपने पिता से राजनीतिक संस्कार नही सीखा। यदि पिताजी से कुछ अच्छे संस्कार सीख लेते, तो यह पूंजी जीवन भर काम आती। अपनी पत्नी से जुड़े परीक्षा फर्जीवाड़ा कराकर केदार कश्यप जी ने साबित कर दिया है कि वे किसी भी हद तक जा सकते है। नैतिकता होती तो परीक्षा फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद मंत्री पद से त्यागपत्र दे देते। 15 साल की भाजपा सरकार के समय गर्भाशय कांड, आंख फोड़वा कांड, झलियामारी कांड जैसे मामलों में मूकदर्शक बने रहने वाले केदार कश्यप के समर्थक भाजपाइयों से चंदन कश्यप को प्रमाण पत्र की जरूरत नही है।