स्थानीय व बाहरी माओवादियों में पनप रहा वैचारिक मतभेद, रणछोड़ दास बन गये बिहड़ों में रहने वाले दुर्दांत, गोंडी भाषा में लिखे पत्र में स्वीकृति

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जगदलपुर। जनहितैषी होने का ढोंग करने वाले बस्तर के बिहड़ों में रहने वाले माओवादी अब रणछोड़ दास बन गए हैं और यह बात खुद उनके पास से प्राप्त पत्र के माध्यम से खुलासा हुआ है। पत्र में माओवादियों की मौत कोरोना सहित डिहाईड्रेशन के कारण होने की बातें कही जा रही है। वहीं स्थानीय व बाहरी माओवादियों में साफ भय भी देखा जा रहा है और कई मुद्दों पर तकरार की खबर भी सामने आई है कि अभी जनांदोलन स्थगित किया जाये।

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पुलिस विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार वैश्विक महामारी कोरोना की प्रथम लहर में माओवादी अछूते रहे किंतु दूसरी लहर तथा आंध्र स्ट्रेंथ की चपेट में आने से माओवादियों को बड़ी संख्या में नुकसान हुआ है जिसकी स्वीकारोक्ति स्वयं उनके गोंडी भी लिखे पत्र से हुआ है जिसमें बाहरी व स्थानीय माओवादी कैडर के बीच जनांदोलन को लेकर खुली बहस हुई है।बाहरी माओवादी इसे बरकरार रखना चाहते हैं किंतु स्थानीय माओवादी वैश्विक महामारी के बीच जनांदोलन छोड़ भागना चाहते हैं और कई माओवादी नेता भाग भी गयें हैं।

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