जगदलपुर 27 मई
आज पूरी दुनिया में ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ मनाया जा रहा है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है लड़कियों और महिलाओं को महीने के `उन 4-5 दिन’ यानी मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता रखने के लिए जागरूक करना और उन्हें माहवारी से संबंधित सही जानकारियां देना। साथ ही समाज में फैली उस क्रूर मानसिकता को दूर करना जो महावारी से जुड़ी हुई है| मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाने के लिये 28 तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि आमतौर पर महिलाओं के मासिक धर्म 28 दिनों के भीतर आते हैं और पीरियड्स साइकल 28 दिनों का होता है।
समान्यतः मासिकधर्म 9 से 13 साल की लड़कियों को होने लगता है। यह शरीर में होने वाली एक सामान्य हार्मोनल प्रक्रिया है। इसके होने से शरीर में बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। यह क्रिया बिल्कुल प्राकृतिक है|, यह सभी लड़कियों में किशोरावस्था के अंतिम चरण से शुरू हो जाती है| लेकिन इसके बारे में बहुत से लोगों के मन मे कई तरह की अवधारणाएं बनी हुई हैं जो अज्ञानता के कारण गम्भीर रूप से समाज मे फैली हुई है।
जिला प्रभारी सीएमएचओ डॉ.डी.राजन ने बताया मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता न रखने पर बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन होने की संभावना बनी रहती है। मासिक धर्म के समय कपड़े से बेहतर सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करना चाहिए| इन्हें समय- समय पर बदलें। इस्तेमाल किए गए पैड को सही तरीके से फेंकना भी बहुत जरूरी है नहीं तो आसपास के वातावरण में भी बीमारियां फैल सकती हैं। प्रयोग किए गए पैड्स कागज में लपेटकर कूड़ेदान में डालें। ध्यान रखें कि माहवारी कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक साधारण शारीरिक प्रक्रिया है। अगर कोई समस्या है तो डॉक्टर की सलाह ले।
आंगनबाड़ी सुपरवाइजर जगदलपुर (ग्रामीण) रेखा नाग ने बताया मासिक धर्म के दौरान कई तरह की परेशानियां होती हैं और संक्रमण का खतरा रहता है। इसकी मुख्य वजह गंदे कपड़े का उपयोग है। ग्रामीण इलाकों में मासिक धर्म के प्रति भ्रांतियां काफी फैली हैं।
मासिकधर्म के दौरान लड़कियों और माताओं को अलग कमरे में रहने को कहा जाता है, उनके खान पान को लेकर भी बहुत सी पाबन्दी रहती है जिसके कारण उनके बच्चों को कुपोषण जैसी स्थिति का भी सामना करना पड़ता है। इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम किये जाते है जिससे ग्रामीणों के मानसिकता में बदलाव आने लगा है।
कुरन्दी की मितानिन चम्पावती ने बताया मासिकधर्म स्वच्छता के लिये 2 साल पहले क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाया गया था। तब ज्यादातर महिलाएं माहवारी के समय कपड़े का प्रयोग करती थी जो कि उनके लिये असुरक्षित होता था। फिर उन्हें अभियान के दौरान सेनिटरी पैड के महत्व को बताया गया साथ ही स्वयं सहायता समुह के द्वारा कम दरों पर सेनिटरी पैड का वितरण किया गया। इस प्रयास से ग्राम की सभी औरतें माहवारी स्वच्छता और सुरक्षा के प्रति जागरूक हुई है। अब महिलाएं अपनी बेटियों के लिये माहवारी के दौरान कपड़े के बजाय सैनेटरी पैड देती हैं।
NFHS-4 2015-16 की रिपोर्ट में 15 वर्ष से 24 वर्ष की युवतियों में किये गए सर्वे के अनुसार छत्तीसगढ़ में में 47 प्रतिशत महिलाएं ही माहवारी प्रबंधन के लिए स्वच्छ साधन का उपयोग करती हैं जिनमे 34 प्रतिशत महिलाएं माहवारी प्रबंधन के लिए सेनिटरी नैपकिन्स, 10 प्रतिशत महिलाएं स्थानीय क्षेत्रों द्वारा तैयार किया गए नैपकिन्स का उपयोग करती हैं। 81 प्रतिशत महिलाएं यह कहती हैं कि वह कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। माहवारी के दौरान शहरी क्षेत्र में रहने वाली लगभग 72 % और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली केवल 39% महिलाएं ऐसी हैं जो स्वच्छ साधन का प्रयोग करती हैं।