बस्तर जिले में कोरोना संक्रमण के घटते प्रभाव के बीच अब स्वास्थ्य कर्मचारियों, अधिकारियों के ऊपर दुव्र्यवहार एवं हमले की घटनाएं बढ़ी

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जगदलपुर। कोरोना महामारी के कारण बस्तर जिले में कई माह लॉकडाउन की स्थिति बनने के बाद एवं शासन-प्रशासन द्वारा काफी जिम्मेदारी के साथ इस महामारी से लडऩे जो रणनीति तैयार की गई थी उसका असर कुछ दिनों से बस्तर जिले में दिखना शुरू हो गया है। कोरोना संक्रमण के कारण हो रही मौत पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। वहीं संक्रमित मरीजों के समूचित इलाज हेतु मेडिकल कॉलेज से लेकर धरमपुरा कोविड सेंटर जैसे कई अन्य सेंटर बस्तर जिले के विकासखंड में स्थापित किए गए हैं। इसका ही सुखद परिणाम सामने आया है कि बस्तर जिले में संक्रमितों की संख्या काफी कम हो चली है। जिले के स्वास्थ्य कार्यकर्ता के साथ स्वास्थ्य संयोजक अपने-अपने अधिकारियों के दिशा-निर्देश पर कार्य कर महामारी से मुक्ति दिलाने दिन-रात एक योद्धा की तरह कार्य कर रहे हैं। किंतु पिछले कुछ दिनों से कुछ गैर जिम्मेदार स्वास्थ्य कर्मचारी जिन्हें जिला प्रशासन द्वारा अनुबंध के तौर पर नियमित कर्मचारियों को सहयोग करने रखा गया है उनकी गैरजिम्मेदाराना हरकत के कारण समूचा स्वास्थ्य विभाग का अमला आम आदमियों के सामने अपने आपको शर्मिंदा महसूस करने लगा है।

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मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी बस्तर के कार्यालय में पदस्थ महामारी सलाहकार दीपक पाणीग्राही के कारनामें की चर्चा तो अब पूरे बस्तर जिले के स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ आम लोगों की जुबान पर हैं कि कैसे उनके द्वारा नियमित कर्मचारी रूपेन्द्र सिंह ठाकुर के साथ गैरजिम्मेदाराना हरकत कर उसे अपने साथी मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के साथ मिलकर उसे निलंबित कराया गया। इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग के धरमपुरा कोविड अस्पताल के फार्मासिस्ट के साथ की गई गैरजिम्मेदाराना हरकत के कारण समूचे अस्पताल के कर्मचारी अपने आप को असूरक्षित महसूस करने लगे हैं। इसी अनुबंधित महामारी सलाहकार दीपक पाणीग्राही के हरकतों का बेजा फायदा उठाकर देर रात कोविड सेंटर धरमपुरा के प्रांगण में पहुंचकर नशे में धूत कुछ पार्षद अपने साथियों के साथ मिलकर इस कोविड सेंटर के डॉक्टर एवं कर्मचारियों के साथ धक्का-मुक्की, गाली-गलौच जैसी स्थिति निर्मित किए। समूचे अस्पताल प्रांगण में स्वास्थ्य कर्मचारी एवं भर्ती रोगियों के बीच भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। भला हो स्थानीय पुलिस विभाग का जिनके कुशल निर्देशन में इस कोविड सेंटर अशान्ति पैदा नहीं हो सकी।

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डिमरापाल स्थित मेडिकल कॉलेज में एक मरीज के परिवार के साथ अनुबंधित कर्मचारी दीपक पाणीग्राही सरीखे ही एक नौसीखिया डॉक्टर ने मारपीट की एवं उन्हीं के खिलाफ थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करा दी। जब पीडि़त परिवार अपने साथ घटे इस दुखद घटना की जानकारी मीडिया कर्मियों को देकर अपना पक्ष रखने की कोशिश की। ठीक दूसरे दिन इसी नौसीखिया चिकित्सक ने कुछ अपने सहयोगी के साथ मिलकर उस पीडि़त परिवार के खिलाफ पत्रवार्ता लेकर बड़ी गैरजिम्मेदारी के साथ यह कहा कि वह परिवार किसी रंजीशवश हमारे साथ अस्पताल में घुसकर हम पर हमला करने आया था जिसके बचाव में हमने उनके साथ हाथापाई जैसी स्थिति निर्मित की। राज्य शासन द्वारा लाख दुहाई दी जा रही है कि कोरोना संक्रमण काल से निपटने प्रशासनिक अधिकारियों को उचित दिशा-निर्देश दिए गए हैं जिसके तहत सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा का अधिकार जिला प्रशासन जिम्मेदारी के साथ करेगी किंतु गैरजिम्मेदार अधिकारी किस प्रकार अपने साथी कर्मचारियों को प्रताडि़त कर अपना महत्व अपने उच्च अधिकारी के सामने रखने के फेर में सारे स्वास्थ्य अमले को बदनाम कर देते हैं। यह पिछले कई दिनों से देखने को मिल रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नेता संजय पांडेय के साथ ही साथ बस्तर जिले के विभिन्न राजनीतिक दलों एवं कई संगठनों के द्वारा बार-बार इस प्रकार हो रही घटना की निंदा की जा रही है। किंतु अबतक जिला प्रशासन द्वारा ऐसे गैरजिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारी के अलावा अनुबंधित महामारी विशेषज्ञ जैसे महत्वपूर्ण ओहदे पर बैठे लोगों के खिलाफ अबतक किसी प्रकार की कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है। हालांकि बस्तर जिला स्वास्थ्य कर्मचारी संघ पिछले महिने भर से ऐसे अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोलकर जिला प्रशासन को इनके कारनामे से अवगत कराने का प्रयास कर रही है किंतु अबतक जिला प्रशासन द्वारा ऐसे गैरजिम्मेदार अधिकारियों पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है।