15 लोगों के एनकाउंटर की चिंता, ग्रामीण बोले- लिखित में वादा, तभी आंदोलन खत्म सिलगेर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लोगों की चिंता, कांग्रेस जांच दल से की मांग

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रायपुर. सिलेगर हत्याकांड में आंदोलनकारियों और कांग्रेस जांच दल के बीच बातचीत के बाद कुछ मुद्दों पर सहमति बन सकती है। जांच दल अपनी रिपोर्ट एक-दो दिन में सरकार को सौंपेगा। उसके बाद सरकार तय करेगी कि आंदोलनकारियों की मांगों पर क्या कदम उठाए जाएं। ग्रामीणों ने करीब दर्जनभर मांगें रखी हैं। इसमें सबसे अहम मांग आंदोलन का नेतृत्व कर रहे 15 लोगों की जान की सलामती को लेकर है। ग्रामीणों को आशंका है कि आंदोलन खत्म होने के बाद उनका एनकाउंटर कर दिया जाएगा। ग्रामीणों ने कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल से उनकी सुरक्षा का लिखित आश्वासन देने की मांग की है। उसके बाद ही आंदोलन को लेकर कोई फैसला किया जाएगा। सुकमा-बीजापुर जिले के सीमावर्ती गांव सिलगेर में 17 मई को गांव में सुरक्षा बलों के लिए बने शिविर का सिलगेर और अन्य गांव के ग्रामीण विरोध कर रहे थे। विरोध में बड़ी संख्या में ग्रामीण वहां पहुंचे और शिविर पर पथराव शुरू कर दिया। सुरक्षा बलों की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद से ग्रामीणों में आक्रोश था। घटना के विरोध में करीब 25 गांवों के ढाई से तीन हजार लोगों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने इस घटना में शामिल पुलिस के अफसरों पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की मांग शुरू कर दी। आंदोलन में भोपालपट्टनम से लेकर ओरक्षा तक के ग्रामीणों के शामिल होने को लेकर सरकार ने गंभीरता से लिया और बस्तर सांसद दीपक बैज के नेतृत्व में विधायकों का जांच दल गठित किया। जांच दल ने गुरुवार को आंदोलनकारियों से चर्चा की है और संभवत: सोमवार तक सरकार को रिपोर्ट सौंप देगा।

ग्रामीणों की मांग कि लखमा आएं ग्राम सिलगेर सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा क्षेत्र में आता है। ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र के विधायक और सरकार में मंत्री कवासी लखमा यहां घटना के बाद अब तक नहीं पहुंचे। यहां हर घर से ग्रामीण रूटीन में आंदोलन के लिए पहुंच रहे हैं। रोज ढाई से तीन हजार लोग पहुंच रहे हैं। ग्रामीण चाहते हैं कि लखमा आंदोलन स्थल पर पहुंचें।

ग्रामीणों ने कहा सरकार लिखित में दे

आंदोलन कर रहे ग्रामीणों ने कांग्रेस सांसद के नेतृत्च में पहुंचे दल से कहा कि यहां से सीआरपीएफ का कैंप हटाया जाए। ग्रामीण गोलीबारी में शामिल पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई चाहते थे। वहीं उन्होंने गांव में जिन ग्रामीणों की हत्या हुई, उनका स्मारक बना लिया है उसे न तोड़ने की मांग रखी। ग्रामीणाें ने यह कहा कि जब भी इस क्षेत्र में पुलिस का कैंप लगाया जाए, उसे हमारी ग्रामसभा की समिति से अनुमति लेनी होगी। समिति ही तय करेगी कि कहां कैंप लगेगा। ग्रामीणों ने पूरी घटना की जांच कोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने और दाेरनापाल-कोंटा सड़क का निर्माण बंद करने की मांग रखी।

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एनकांउटर कर देंगे हम क्या करेंगे जांच दल के एक सदस्य ने कहा कि ग्रामीणों की चिंता है कि आंदोलन समाप्त होने के बाद फोर्स आंदोलनकारियों को फंसा देगी। खासतौर पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे 15 लोगों की सुरक्षा की मांग रखी है। उनको चिंता है कि आंदोलन का नेतृत्व कर रहे 15 लड़कों का एनकाउंटर कर दिया जाएगा। या किसी मामले में फंसाकर उनको जेल भेज दिया जाएगा। गांव प्रतिनिधिमंडल से ग्रामीणों ने कहा कि सरकार सभी मांगों को पूरा करने लिखित में दें, तभी आंदोलन समाप्त होगा। हम दो दिन में रिपोर्ट सौंपेंगे बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस ग्रामीणों से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार कर रही है। रिपोर्ट मुख्यमंत्री को एक-दो दिनों में रायपुर जाकर सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने जो मांग रखी है, उस पर सरकार को सुझाव दिए जाएंगे। कैंप हटाए जाने की प्रमुख मांग पर उन्होंने कहा कि यह केंद्र और राज्य सरकार से तय होता है, इस पर सरकार काे निर्णय लेना है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में स्कूल, अस्पताल और मूलभूत सुविधाओं की कमी है, इसे भी रिपोर्ट में शामिल कर सरकार को सुझाव दिए जाएंगे। ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ कर रहे नक्सली बीजापुर और सुकमा जिले के अंदरूनी गांव से ग्रामीणों को सिलगेर की ओर भेजकर नक्सली उनके जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण से बचने की जगह ग्रामीणों को गुमराह और भड़काया जा रहा है। सिलगेर कैंप को लेकर धरना प्रदर्शन को देखते हुए उस इलाके में पर्याप्त फोर्स की तैनाती है और ऑपरेशन भी लगातार जारी है। जान माल की रक्षा के लिए विषम परिस्थिति में भी जवान तैनात हैं। -सुंदरराज पी, आईजी बस्तर

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