पुल निर्माण में लिपापोती के बाद सड़क निर्माण का कोई मापदंड नहीं
मुरूम के बदले मिट्टी का उपयोग
जगदलपुर – बस्तर कलेक्टर सहित जिले के कई प्रशासनिक अधिकारी कोरोना संक्रमण की कड़ी को तोड़ने में दिनरात जुटे है जिसके कारण खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का सही मानिटरिंग नहीं हो पा रही है। कुछ ठेकेदार अफसरों को व्यस्तता का फायदा उठाते हुए सड़क निर्माण कार्यों में लिपापोती करने में जुटे है। अफसरों द्वारा कई बार फटकार लगाने के बाद भी उस ठेकेदार ने गुणवत्ता की सुधार में काई रुचि नहीं दिखाई और विभाग के अधिकारी भी ठेकेदार पर मेहरबान है। ऐसा ही नजारा बकावण्ठ-कोठावण्ड से उडीसा सीमा तक सड़क निर्माण में देखा जा सकता है।
ज्ञातव्य हो कि उक्त ठेकेदार के कार्यप्रणाली से लोक निर्माण विभाग एवं पीएमजीएसवाय के अधिकारी भी परेशान है। कई बार फटकार के बाद भी ठेकेदार ने गुणवत्ता सुधार पर ध्यान नहीं दिया। घटिया निर्माण कार्यों के अंजाम देने के बाद भी विभाग के अधिकारी कारवाई करना तो चाहते है लेकिन उनके हाथ बंधे हुए है। कार्रवाई का फरमान जारी होते ही ठेकेदार के समर्थन में राजनीतिक दबाव बनाया जाता है जिसके कारण अधिकारी भी ठेकेदार पर मेहरबान बने हुए है।
सड़क निर्माण में लिपापोती
जानकारी के अनुसार आरआरपी 2 के तहत बकावण्ड-कोठावण्ठ से करपावण्ठ मार्ग होते हुए उड़ीसा सीमा तक 24 करोड़ की लागत से लगभग 26 किमी तक सड़क चौड़ीकरण कार्य स्वीकृत किये गये है जिसका निर्माण एजैसी लोक निर्माण विभाग को बनाया गया है। सरपंच, जनपद सदस्य एवं ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि कछुए गति से घटिया सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। सड़क की चौड़ाई कितनी होनी चाहिए इसमें कितना गहा कर कितना मुरूम गिट्टी डाला जाना है जिसका कोई मापदंठ तक नहीं है। अधिकांश मात्रा में मिट्टी की भरपाई कर नाममात्र की गिट्टी डालकर उब्ल्यूबीएम का कार्य किया गया है। गुणवत्ता के सुधार नहीं हुए तो पहली बारिश में ही गणवत्ता की पोल खुल जायेगी। उक्त ठेकेदार का कार्य अधिकांश स्थानों पर गुणवत्ता को लेकर विवादित ही रहा है इसके पूर्व में भी बकावण्ड विकासखंड के मलबेला में पुल निर्माण कराया गया था जिसमें भी अनियमितता की शिकायत मिलने पर विभाग के अधिकारी को लेक्टर की फटकार सुननी पड़ी थी। इसके बाद भी ठेकेदार द्वारा गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं किया है। घटिया सड़क निर्माण निर्माण कराया जा रहा है जिसको लेकर विभाग के अधिकारी के संज्ञान में लाया जा चुका है इसके बाद भी गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है।