कांग्रेस की भूपेश सरकार का बड़ा ऐलान छत्तीसगढ़ में अब मछुआरों को भी मिलेगा मछली उत्पादन बोनस और पट्टे पर दिए जाएंगे जलाशय.
मछुआ समाज के उत्थान और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने सरकार का फैसला सराहनीय, मछुआ समाज में खुशी की लहर मछुआरों ने कहा भूपेश सरकार ने समाज के लिए जो किया यह हमारा सौभाग्य.
राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा, मछुआरों को मिलेगी सहकारी समितियों से सुविधाएं, तालाबों और जलाशयों को अब 6 माह के बजाय 3 माह के भीतर आवंटन करने का प्रस्ताव.
कांग्रेस की भूपेश सरकार के मंशानुरूप मछुआ जाति के लोगों की सहकारी समिति को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर जलाशय मत्स्य पालन के लिए पट्टे पर दिए जाएंगे.
भूपेश है तो भरोसा…..
छत्तीसगढ़ के संवेदनशील यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी ने राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा दिए जाने की घोषणा और एलान का बस्तर के मछुआ समाज व मछुआरों की तरफ से जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजीव शर्मा ने स्वागत किया आगे उन्होंने कहा कि मछली पालन में जुटे मछुआरों को सहकारी समितियों से ऋण एवं अन्य सुविधाएं मिल सके उन्होंने कहा कि समिति द्वारा किए गए प्रस्ताव को परीक्षण के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, सहकारिता एवं वित्त विभाग को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा तथा संबंधित विभागों की अनुशंसा के अनुरूप नवीन मछली पालन नीति का अंतिम प्रारूप तैयार कर कैबिनेट के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. श्री शर्मा ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी की मंशा के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य की नवीन मछली पालन नीति का प्रस्ताव तैयार करने के लिए गठित समिति की बैठक की गई थी जिसमें नवीन मछली पालन नीति में राज्य के मछुआरों को मछली उत्पादन बोनस दिए जाने की अनुशंसा की गई है उत्पादकता बोनस राज्य के जलाशयों को पट्टे पर दिए जाने से होने वाली आय का 40 प्रतिशत होगा जो मत्स्याखेट करने वाले मछुआरों को दिया जाएगा नवीन मछली पालन नीति में राज्य के ऐसे एनीकट जिनका जलक्षेत्र 20 हेक्टेयर तक है उन्हें मत्स्य पालन के लिए पट्टे पर नहीं दिए जाने का प्रस्ताव समिति ने किया है ऐसे एनीकट स्थानीय मछुआरों के मत्स्यखेट के लिए निःशुल्क उपलब्ध होंगे.
मछुआ जाति के लोगों की सहकारी समिति को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर जलाशय मत्स्य पालन के लिए पट्टे पर दिए जाएंगे आदिम जाति मछुआ सहकारी समिति मछली पालन एवं मत्स्य विभाग के कार्य को कुशलता पूर्वक कर सकें इनको ध्यान में रखते हुए आदिम जाति मछुआ सहकारी समिति में 30 प्रतिशत सदस्य मछुआ जाति के ही होंगे तथा समिति के उपाध्यक्ष का पद भी मछुआ जाति के लिए आरक्षित होगा. श्री शर्मा ने कहा कि नवीन मछली पालन नीति में समिति ने ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत अपने क्षेत्राधिकार के तालाबों जलाशयों को अब 6 माह के बजाय 3 माह के भीतर आवंटन की कार्रवाई की जाने का प्रस्ताव किया है उक्त अवधि के बाद पंचायत की अनुशंसा के बिना नियमानुसार पट्टा आबंटन का अधिकार प्राधिकृत अधिकारी को होगा. मछली बीज की गुणवत्ता नियंत्रण एवं प्रमाणीकरण हेतु राज्य में मत्स्य बीज प्रमाणीकरण अधिनियम बनाया जाएगा जो मत्स्य बीज उत्पादन के लिए
निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करेगा. श्री शर्मा ने कहा कि निजी क्षेत्र में अधिक से अधिक हेचरी एवं संवर्धन प्रक्षेत्रों के निर्माण को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा राज्य में उपलब्ध 50 हेक्टेयर से अधिक जलक्षेत्र के जलाशय जिन्हें दीर्घावधि के लिए पट्टे पर दिया गया है उन जलाशयों में केज कल्चर के माध्यम से मछली उत्पादन के लिए केज स्थापित करने के लिए अधिकतम 2 हेक्टेयर जलक्षेत्र पट्टे पर दिया जाना प्रस्तावित किया है. छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मछुआरों की आर्थिक दैनिक और सामाजिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए जो सराहनीय कदम उठाया उससे मछुआरे समाजों में खुशी की लहर व हर्ष का माहौल है तथा उन्होंने अपने परिवार और समाज की तरफ से प्रदेश के मुखिया का कोटि कोटि आभार जताते उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते कहा है कि भूपेश है तो भरोसा है गढ़बो नवा छत्तीसगढ़।