शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में फैला सट्टा का मकड़ जाल

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जगदलपुर । सरकार बदलने के साथ ही नये पुलिस महानिरीक्षक द्वारा पुलिस विभाग को फरमान जारी किया गया कि समस्त जिले के पुलिस अधीक्षक अपने क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित किए जाने वाली कार्यों पर ध्यान देकर तत्काल कार्यवाही करें। अगर जानकारी के बावजूद ऐसे कार्य किसी भी जिले में संचालित करने की बात सामने आयेगी तो उसे जिले के पुलिस अधीक्षक पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।

लेकिन बस्तर जिले के कुछ विकासखंडों एवं इससे सटे दर्जनों गांव में खुलेआम सट्टा का संचालन एवं अवैध शराब की बिक्री की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार कुछ माह पूर्व इस जिले से डीजीपी के आदेश पर पूर्व पुलिस अधीक्षकों ने कार्यवाही कर इस जिले से सट्टा संचालन पूर्ण रूप से बंद करा दिया था। साथ ही साथ कई बड़े खाईवाल पर कार्यवाही कर उन्हें जिले से बाहर रहने पर मजबूर कर दिया गया था। किंतु पुलिस अधीक्षक बदलने के साथ ही कई थाना क्षेत्रों में सट्टा संचालन की गतिविधियां बढऩा शुरू हो गई। बस्तर जिले में जो वर्षों से जिले में सट्टा संचालन का प्रमुख केन्द्र रहा है। सूत्रों पर अगर विश्वास किया जाये तो लगभग 10 से 20 लाख रूपए का सट्टा पर दांव लगाकर खाईवाल इस क्षेत्र के भोलेभाले लोगों को बर्बाद करने पर तुले हैं। शहर के अलावा कई ग्रामपंचायत इस अवैध रूप से संचालित सट्टा व्यवसाय की चपेट में है। खुलेआम दोपहर से लेकर देर रात्रि तक लोग विभिन्न जगहों पर बैठे सटोरियों के पास दांव लगाकर अपनी पर्ची लेते हुए देखे जाते हैं। शहर के अलावा आदिवासी विकास खंड करपावंड, तोकापाल, दरभा, बस्तर शामिल हैं। यहां सटोरिये बिना किसी डर-भय के खुलेआम सट्टा संचालन का कार्य करते हैं।

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मिली जानकारी के अनुसार इस प्रकार के सट्टा संचालन संबंधित कुछ खबर कुछ अखबार नवीसों द्वारा छापे जाने पर बस्तर जिला अधीक्षक द्वारा शहर के नामचिन सटोरियों पर कार्यवाही भी की गई थी इसी मामले में शहर के कुछ राजनैतिक रसूख रखने वाले सटोरिये भी पुलिस के डर से भूमिगत हो गये थे किंतु जिला पुलिस अधीक्षक बदलने के साथ ही वे अपनी पुरानी भूमिका में आकर शहर के अलावा आसपास के ग्रामों में सरेआम सट्टा का संचालन कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार कुछ राजनैतिक रूप से रसूखदार खाईवाल तो पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही को अदालत में लाकर पुलिस को हतोत्साहित करने का प्रयास भी कर चुके हैं। जिससे यह समझ में आता है कि इन रसूखदार सटोरियों की पहुंच राजनैतिक तबकों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों के बीच भी मजबूती से है। अत: पुलिस के थानेदार से लेकर छोटे कर्मचारी भी इतनी बड़ी आवक को रोकने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं। कुछ पुलिस कर्मचारियों के अनुसार इस क्षेत्र के थाने में पदस्थापना के समय से ही जानकारी दे दी जाती है कि ऐसे कारोबार को आप कैसे सहुलियत से संचालित करा सकते हैं। लेकिन सब कुछ जानने के बावजूद भी स्थानीय अधिकारी किसी प्रकार की कार्यवाही न कर छत्तीसगढ़ शासन के पुलिस महानिरीक्षक के दिए गए आदेश की अव्हेलना कर रहे हैं।

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