अर्जुन झा
रायपुर। बात निकली है तो दूर तलक जायेगी… या फिर आवाज़ टकराकर वापस लौट आयेगी… छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारों में उमड़ घुमड़ रहा बवंडर कब, किस तरह और कहां जाकर थमेगा, यह कौतूहल का विषय बन गया है। बदले हुए अंदाज में दिल्ली में जमकर डेरा डालने के बाद हाल ही लौटे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एक रोज विभागीय काम निबटाकर फिर दिल्ली कूच कर गए हैं। उनके यहां आने से पहले दिल्ली दरबार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल खोलकर बात करने के बाद विजेता वाले अंदाज में वापस लौटे तो सिंहदेव ने भी दावा किया कि उन्होंने भी सारी बात कर ली है। फैसला आलाकमान के पास सुरक्षित है। उनका यह भी कहना था कि दिल्ली जाने वाले विधायक भी आलाकमान का फैसला मानेंगे। वे कह रहे थे कि अब अपने काम पर लगना है। लेकिन इसके बाद फिर उनकी दिल्ली रवानगी की खबर से नई सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि जल्द ही पर्यवेक्षक के रूप में कुमारी शैलजा, अजय माकन या फिर दिग्विजय सिंह के पहुंचने की संभावना है।
गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह को कांग्रेस आलाकमान की पसंद के अनुरूप छत्तीसगढ़ की पहली सरकार का मुखिया तय कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बहरहाल अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इस संभावना के मद्देनजर सिंहदेव दिल्ली रवाना हो गए। यह भी कहा जा रहा है कि संगठन प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल और हरीश रावत में से कोई एक छत्तीसगढ़ पहुंच सकते है। वैसे रावत अभी पंजाब की कांग्रेसी कलह के समाधान में व्यस्त हैं। इधर सरगर्मी तेज होने का एक सबब यह सवाल भी बताया जा रहा है कि सिंहदेव 28 रोज तक दिल्ली में रहने के बाद रायपुर लौटकर एक दिन बाद ही अचानक दिल्ली किसलिए रवाना हुए? यदि पर्यवेक्षक भेजे जाने की अटकल में कोई दम है तो इसे पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अगले हफ्ते संभावित छत्तीसगढ़ दौरे की सियासी तैयारियों से जोड़कर भी देखा जा सकता है। वैसे यह भी जाहिर है कि राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ आने का न्यौता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिया है।