रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि मतांतरण व धर्मांतरण रोकने के लिए जन जागरण अभियान चलाये जाने की जरूरत है और इसके लिए स्वयं आदिवासी समाज को आगे आने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री बघेल ने यह भी दोहराया है कि पेशा कानून का हो-हल्ला मचाया जाता है किंतु इसके लिए ड्राफ्ट तैयार नहीं किया जा रहा जिसके कारण वह अमलीजामा नहीं पहन रहा है यदि मसौदा सामने लाएं तो इस मुद्दे को सरकार तुरंत सुलझा लेगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर संभाग के आदिवासियों को भोजन हेतु अपने निवास में आमंत्रित किया था।उससे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समाज के लोगों से उनके क्षेत्र की समस्यायों को सूना था जिसमें धर्मांतरण पूर्व मतांतरण की बातें सामने आई थी जिसके लिए कई तर्क दिया गया था जिस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्पष्ट रूप से कहा कि मतांतरण व धर्मांतरण रोकने के लिए सभी सामाजिक संगठनों को अपने -अपने समाज की बैठकों में यह बात रखनी होगी और निर्धन लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना होगा जिससे वह राह नहीं भटके। इस दौरान कई मांगें भी सामने आई जिसे जल्द से जल्द पूरा करने का भरोसा दिलाया। आदिवासी समाज से आए प्रतिनिधि मंडल ने राज्य सरकार की की महत्त्वपूर्ण योजनाओं को सराहा।
सिलगेर के लोग नौकरी व पैसे नहीं चाहते हैं इंसाफ
सिलगेर , धर्मांतरण, पेशा कानून जैसे मुद्दों पर राजनीति करने वाले लोगों को बिना नाम लिए लताड़ लगाई है। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण पर बेवजह गाल बजा रहा है जबकि भाजपा के पंद्रह वर्षों के कार्यकाल में जमकर धर्मांतरण हुआ। वहीं पेशा कानून तय करने की कमेटी वाले भी सोए हुए हैं जिससे अनावश्यक बखेड़ा खड़ा हुआ है। सिलगेर मुद्दे पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन् यह पहली सरकार है जो सिलगेर तक अपनी जान जोखिम में डालकर गई। सरकार ने पहल कर उनके परिवार से चार बार बातें की। पीड़ित परिवार को नौकरी देने व मुआवजा देने की बात हुई किंतु वह लोग सिर्फ और सिर्फ मृतकों को इंसाफ मिले वह एक बात में कायम हैं। सिलगेर सहित इस मुद्दे पर राजनीति बर्दाश्त नहीं।