100 दिन 100 कहानियां – कहानी स्कूलों में शिक्षण शास्त्र का एक सशक्त माध्यम साबित हो रहा है

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टुमन लाल सिन्हा प्रभारी प्रधान पाठक शासकीय प्राथमिक शाला ककरेल, विकासखंड डौंडी , जिला बालोद , छत्तीसगढ़

कहानी का जन्म कब, कैसे, कहां से हुई शुरुआत, इस पर कोई एक मत तो नहीं । पर कहानी जैसी कोई मनोरंजक , ज्ञानवर्धक , लेखन विधा कोई और नहीं । ऐसा माना जाता है कि 10 वीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी के मध्य ही इस हिंदी गद्य की शुरुआत हुई थी । मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वााभाव बन गया । इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियां पाई जाती है । इसी परिपेक्ष्यी में शिक्षा विभाग की योजना 100 दिन 100 कहानियां एक तीर से कई निशाने को साधने का कार्य कर रही है ।

लॉकडाउन ने शिक्षा व्यवस्था को बहुत नुकसान पहुचाने का कार्य किया । 18 माह तक बच्चों का लर्निंग लॉस हुआ । बिना परीक्षा के क्रमोन्नत करने का घातक फैसला भी लेना पड़ा । बड़े फैसले नीतियों को ध्यान में रख कर ही लिया जाता है । यह फैसला शत प्रतिशत सही है । हमें बच्चों का साल बर्बाद करने का कोई हक नही । लर्निंगलॉस को कम जरूर किया जा सकता है । इस लर्निंगलॉस को कम करने के लिए शिक्षा विभाग की यहस योजना 100 दिन 100 कहानियां खरी उतर रही है ।

इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 100 दिनों तक 100 कहानियों को पढ़ने , सुनने, सीखने का कार्य प्रगति पर है । प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 100 पुस्तकों का सेट , समग्र शिक्षा, छत्तीसगढ़ के माध्यम से प्रदान किया गया है । यह पुस्तक दोनों भाषाओं हिंदी और अंग्रेजी में एक ही पृष्ठ पर लिखित है । बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में एक ही कहानी , पढ़ने सुनने का अवसर मिलता है । एक ही जगह होने के कारण बच्चों का शब्द ज्ञान बढ़ता है , अर्थ को समझने में आसानी होती है । दोनों विषय के व्याकरण को समझ पाते हैं । पुस्तक के दूसरे पृष्ठ पर चित्रों का समावेश है । बच्चे कहानीह की पटकथा को आसानी से समझ पाते हैं । चित्रों को देखकर बच्चों को कहानी पढ़ने में और भी दिलचस्पी बढ़ जाती है । कहानी के अंत में अभ्यास कार्य भी दोनों भाषाओं में दिये गए है । जैसे शब्दों का मिलान, रिक्त स्थान, समूह बंधन , प्रश्नोत्तरी , व्याकरण आदि । ये पुस्तके नैतिक गुणों को बढ़ाने पर आधारित है ।

कहानी सुनाने का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ पठन कौशल को बढ़ावा देता है । बच्चे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कहानियों का पठन करते हैं । शिक्षक इनका वीडियो बनाकर ग्रुप में वीडियो शेयर करते हैं । छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों में भी एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रहा है । शिक्षा विभाग बच्चों को अन्या देशों में प्रचलित कहानियां का संग्रह पढ़ने सुनने का मौका देना चाहती है । इसलिए शिक्षकों के माध्यम से कहानियों को स्थािनिय भाषाओं में अनुवाद का कार्य सौंपा गया है । शिक्षकों ने भी अपनी स्थानीय भाषा में अनुवाद कार्य पूर्ण किया गया तथा छात्रों और शिक्षकों को स्वलिखित कहानियों को प्रकाशित करने का मौका मिल पा रहा है । कहानी कथन के माध्यम से बच्चे भाषा के स्वकर के उतार-चढ़ाव, शारीरिक गति, हाव-भाव आदि के उपयोग से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने में सक्षम हो पा रहे है ।

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कहानी स्कूलों में शिक्षण शास्त्र का एक सशक्त माध्यम साबित हो रहा है । राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा इस बात की अनुशंसा करता है कि स्कूली ज्ञान को समुदाय के ज्ञान से जोड़ा जाए । विभिन्न समुदायों में ज्ञान के संसाधन के रूप में प्रचलित कहानियां , स्कूल को समुदाय से जोड़ने का एक अच्छा साधन है । कहानियां बच्चों की चुप्पी तोड़ने , समुदाय से सीखने , कहानी लिखने , कहानी की घटनाओं पर आधारित रचनात्मक चित्र बनाने और अर्थपूर्ण सीखने के लिए प्रेरित करता है । वास्तव में शिक्षा विभाग ने बच्चों के लर्निंग लॉस को दूर करने व लर्निंग आउटकम को आसानी से प्राप्त करने के लिए 100 दिन 100 कहानियां की शुरुवात ,एक कारगर योजना साबित हुई है ।

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