सेल कर्मियों के 58 माह से लंबित वेतन समझौते के लिए एनजेसीएस के सदस्य यूनियन और सेल प्रबंधन के बीच हुआ – MOU

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दिनांक 22.10.2021 को नई दिल्ली में महारत्न सेल के कर्मियों के 58 माह से लंबित वेतन समझौते के लिए एनजेसीएस के सदस्य यूनियन और सेल प्रबंधन के बीच MOU हुआ जिसपर प्रबंधन के प्रतिनिधियों के साथ-साथ NJCS के पांच सदस्य यूनियन में से तीन यूनियन के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किये और दो यूनियन ने इस MOU पर हस्ताक्षर करने से स्पष्ट मना कर दिया। जिन तीन यूनियन ने हस्ताक्षर किये वे हैं इंटुक, एटक और एचएमएस। बीएमएस और सीटू ने इस MOU पर हस्ताक्षर करने से साफ़ मन कर दिया। इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुए बीएमएस से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के उपाध्यक्ष (केंद्रीय) राजीव सिंह ने कहा कि 58 माह से लंबित वेतन समझौता का जिस तरह से अंत हुआ है वो सचमुच में निराशाजनक है और इस MOU से ये साफ़ हो जाता है कि सेल प्रबंधन के साथ इन तीन श्रम संगठनों ने मिलकर कर्मियों के साथ विश्वासघात किया है।

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राजीव सिंह ने आगे कहा कि इंटुक, एटक और एचएमएस ने न केवल श्रम संगठनों के एकता पर करारा प्रहार किया है बल्कि उन्होंने कर्मियों के साथ भी छल किया है। जब कोर ग्रुप की बैठक में सभी यूनियन ने 28% पर्क्स पर सहमति बना ली थी तो फिर प्रबंधन के साथ बैठक में 26.5% पर सहमति देने के पीछे क्या औचित्य था? आज ये तीन यूनियन यह कहते फिर रहे रहे हैं कि पहले से ही काफी देर हो चूका था और कर्मियों को नुकसान हो रहा था इसलिए उन्होंने 26.5% पर हस्ताक्षर कर दिया। अपने इस वक्तव्य से ये तीनों यूनियन अपने आपको कर्मियों के रहमनुगार साबित करने में लगे हैं। भारतीय मजदूर संघ और सभी कर्मी इन तीनों श्रम संगठनों से यह सवाल पूछते हैं कि अगर 26.5% पर्क्स पर ही समझौता करना था तो फिर 30 जून को सेल के सभी यूनिट्स में एक दिवसीय हड़ताल कराकर कर्मियों के एक दिन का वेतन कटौती क्यों कराई गयी? इस हड़ताल के वजह से आज कई कर्मियों को शो कॉज नोटिस, विभागीय कारवाई, ट्रांसफर आदि जैसे वीभत्स मानसिक यंत्रणा से गुजरना पड़ रहा है। क्या ये तीन यूनियन उन पीड़ित कर्मियों के इस मानसिक व्यथा के लिए जिम्मेद्दार नहीं हैं? जब कर्मियों ने अपना पूरा समर्थन इन नेताओं को दिया था तब ऐसे में कोर कमिटी की बैठक में सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय से पीछे हटकर, यूनियन की एकता को तोड़ते हुए, कर्मियों के साथ विश्वासघात करते हुए इन तीन यूनियन ने जो कृत्य किया है उसका भारतीय मजदूर संघ कड़े शब्दों में निंदा करता है।

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जहाँ तक 26.5% पर्क्स पर समझौते की बात है तो भा.म.सं. को यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि अगर इस एनजेसीएस में बीएमएस शामिल नहीं होता तो ये तीन यूनियन के नेता मिलकर कर्मियों का गला काटकर और अपनी जेब भरकर 20% पर्क्स पर ही हस्ताक्षर करके इसे कर्मियों की जीत बताते। इन्ही तीन यूनियन ने पेंशन के वक्त भी कर्मियों के साथ विश्वासघात किया। जब बीएमएस ने 6% पेंशन अंशदान को 2007 से लागू करने या फिर 2012 से 9% पेंशन अंशदान देने की मांग की तब भी इन्ही तीन यूनियन ने यह कहा कि बीएमएस देर करके कर्मियों के पेंशन के मामले को लटकाना चाहता है प्रबंधन के पक्ष में बात की और कर्मियों को नुकसान पहुँचाया। वर्तमान MOU के साईन होने के तत्काल बाद यह खबर आ रही है कि अधिकारीयों को 15% एमजीबी और 35% पर्क्स दिया जावेगा और साथ ही उन्हें पर्क्स की राशि का एरियर्स भुगतान भी किया जावेगा। हालाँकि अभीतक ये बातें केवल हवा में ही हो रही है किन्तु अगर ऐसा होता है तो ये कर्मियों के साथ न केवल प्रबंधन का कपटपूर्ण व्यवहार होगा बल्कि इन तीन यूनियन के नेताओं द्वारा कर्मियों के साथ किये गए धोखाधड़ी का ज्वलंत उदाहरण होगा। दरअसल में इंटुक और एटक पहले से ही प्रबंधन की गोद में बैठनने के लिए कर्मियों का गला काटते आये हैं।

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अंत में राजीव सिंह ने कहा कि वर्तमान MOU सर्वसम्मति से नहीं हुआ है जो कि NJCS के मूल सिद्धांत के विपरीत है। इसके अलावा जिस तरह से इंटुक, एटक और एचएमएस ने एनजेसीएस कोर समिति में हुए निर्णय से पलटकर प्रबंधन का साथ दिया वो न केवल निंदनीय है बल्कि कर्मियों के प्रति उनकी संवेदनहीनता का भी प्रतिक है। भा.म.सं. यह प्रयास कर रहा है कि MOS साईन होने के समय भी कर्मियों के हितार्थ पर्क्स की राशि में बढ़ोतरी हो और अगर अधिकारीयों को पर्क्स की राशि का एरियर्स दिया जाता है तो बीएमएस इसके विरुद्ध न्यायलय जाने से भी पीछे नहीं हटेगा। बीएमएस कर्मियों के हित को सर्वोपरि मानता है और कर्मियों के वाजिब हक़ के लिए सभी लड़ाई लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहा है और आगे भी तैयार रहेगा। साथ ही उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि कर्मी अपने हित को देखते हुए बीएमएस का साथ देंगे। MOU पर हस्ताक्षर न करने के लिए सीटू को भी बीएमएस की तरफ से उन्होंने धन्यवाद दिया।

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