केंद्रीय सरकार के सार्वजानिक उपक्रम महारत्न कंपनी सेल के इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदान राजहरा खदान समूह वर्तमान में खुलेआम भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। यहाँ कार्यरत अधिकांश अधिकारी ठेकेदारों के साथ मिलकर न केवल ठेका श्रमिकों का खुलेआम शोषण कर रहे हैं बल्कि कंपनी के सार्वजानिक पैसे को अपना मान कर खुलेआम धांधली कर रहे हैं। भा.म.सं. से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के अध्यक्ष (केंद्रीय) एम.पी.सिंह ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आज राजहरा खदान समूह के हर चार में से दो अधिकारी खुले आम भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ।
वर्ष 2020 में संघ ने भ्रष्टाचार का एक प्रकरण स्थानीय प्रबंधन के मुखिया मुख्य महाप्रबंधक खदान के सामने लाते हुए इसमें लिप्त अधिकारीयों पर समुचित कारवाई करने की मांग की थी। प्रकरण का संक्षिप्त विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि राजहरा क्रशिंग प्लांट में एम एस राजहरा इंजीनियरिंग वर्क्स को मैन पावर सप्लाई का काम मिला था जिसका देख रेख ठेका कंपनी के तरफ से श्री अनिल यादव कर रहे थे एवं प्रबंधन के तरफ से उक्त कार्य का देख रेख तत्कालीन उपमहाप्रबंधक प्लांट श्री सुनाराम बास्के कर रहे थे। उक्त ठेका में कार्यरत श्रमिकों द्वारा संघ को यह शिकायत मिली कि उन्हें अर्धकुशल की जगह अकुशल श्रेणी के कर्मी का वेतन भुगतान किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में जब संघ ने जानकारी इकट्ठा की तब यह बात सामने आयी कि उक्त ठेके में श्री सुनाराम बास्के एवं ठेका कंपनी के संचालक श्री अनिल यादव द्वारा षड्यंत्र रचकर एक तरफ खुले आम ठेका श्रमिकों का शोषण किया जा रहा था तो दूसरी तरफ कंपनी के सार्वजानिक पैसे को अपना समझते हुए कंपनी के साथ आर्थिक धोखाधड़ी भी की जा रही थी जिसमे एक तरफ मस्टर रोल में कम हाजिरी दिखाई जा रही थी तो दूसरी तरफ बिल में पूरे मैनडेज का भुगतान किया जा रहा था।
इस सम्बन्ध में दस्तावेजिक सबूतों के साथ संघ के अध्यक्ष एम.पी.सिंह ने मुख्य महाप्रबंधक खदान के समक्ष प्रकरण को रखते हुए इसमें लिप्त अधिकारी श्री सुनाराम बास्के एवं ठेका कमपनी के संचालक अनिल यादव पर समुचित कारवाई करने की मांग की थी लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई न होते देखत संघ के अध्यक्ष ने मामले को कार्यपालक निदेशक (खदान एवं रावघाट) तथा प्रभारी निदेशक बी.एस.पी के समक्ष भी रखते हुए कारवाई की मांग की जिसपर आश्वासन तो दिया गया किन्तु वास्तविकता में कुछ किया नहीं गया तब संघ ने मामले की शिकायत सेल चेयरमैन से भी की जिसपर मामले में लिप्त व्यक्तियों पर समुचित कारवाई करने हेतु स्थानीय प्रबंधन को कहा गया किन्तु इसके बाद भी मुख्य महाप्रबंधक खदान द्वारा कोई कारवाई नहीं की गयी। तब संघ के अध्यक्ष एमपी सिंह ने मामले को बीएसपी के विजिलेंस विभाग के समक्ष रखते हुए कारवाई की मांग की।
विजिलेंस विभाग द्वारा किये जा रहे कारवाई के बीच ही सुनाराम बास्के को उपमहाप्रबंधक से पदोनत्त करते हुए महाप्रबंधक प्लांट बना दिया गया, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कंपनी का आर्थिक नुक्सान पहुंचाने वाले अधिकारियों का प्रमोशन करके उनके कृत्यों को सही साबित करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। जबकि सुनाराम बास्के और अनिल यादव द्वारा सुनियोजित तरीके से कंपनी को चूना लगाकर अपना जैब भरा है कायदे से तो ईस आर्थिक धोखाधड़ी के लिए कंपनी के उच्च अधिकारियों को सुनाराम बास्के और अनिल यादव के ऊपर अपराध पंजीबद्ध कराना था किन्तु खदान के उच्च अधिकारी तो ईनको संरक्षण देने में लगे रहे जिसका जीवंत उदाहरण ये है कि विजिलेंस जांच के बीच सुनाराम बास्के को प्रमोशन देना है जबकि राजहरा खदान में किसी भी ठेकेदार द्वारा किसी तरह की गड़बड़ी करने पर उसे कंपनी से डी रजिस्टर किया जाता है और आर्थिक भ्रष्टाचार करने पर जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार पर अपराध पंजीबद्ध कराना चाहिए। किंतु इस मामले में ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया गया , जबकि यहां प्रमाणिक आर्थिक अपराध है।पर ईसपर कंपनी के अधिकारियों द्वारा किसी तरह की कार्यवाही का न करना ईसमे उच्च अधिकारियों की सलंग्लता को दिखाता है, जबकि अभी कुछ माह पूर्व दस्तावेज की ऐसी गड़बड़ी अर्पित एसोसियेट भिलाई द्वारा करना सामने आया था तब उस पर कार्रवाई करते हुए उसे भी बीएसपी से परमानेंट डी रजिस्टर कर दिया गया था और कंपनी का वेंडर कोड भी हमेशा के लिए रद्द कर दिया गया था किन्तु ठेकेदार अनिल यादव के ऊपर किसी तरह की कार्यवाही का न करना कंपनी के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत को दिखाता है।
बीएसपी के उच्च अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने पर संघ के अध्यक्ष एम.पी.सिंह ने मामले को कलेक्टर बालोद जिला जन्मजेय महोबे के संज्ञान में लाते हुए दोषियों पर समुचित कारवाई करने की मांग की। प्रकरण की जानकारी लेते हुए कलेक्टर बालोद ने मामले की जांच हेतु स्थानीय पुलिस थाने में संघ के आवेदन को भेज दिया। इस तारतम्य में संघ का एक प्रतिनिधिमंडल स्थानीय पुलिस प्रशासन के मुखिया सी.एस.पी राजहरा श्री मनोज टिर्की से मुलाकात की और मामले की जांच करते हुए दोषी व्यक्तियों पर समुचित कानूनी कारवाई करने का निवेदन किया जिसपर सी.एस.पी महोदय ने कहा कि मामले की जांच जारी है और शीघ्र ही समुचित कारवाई की जावेगी। इस सम्बन्ध में संघ को यह भी जानकारी मिली है कि उक्त भ्रष्टाचार में केवल महाप्रबंधक प्लांट सुनाराम बास्के ही नहीं बल्कि उनसे नीचे के अधिकारी भी शामिल हैं। इसका पुख्ता प्रमाण इसी बात से होता है कि सुनाराम बास्के के अनुपस्थिति में उक्त ठेका कार्य के देख रेख करने वाले अधिकारी ने भी ठेकेदार अनिल यादव को लाभ पहुंचाने के लिए गलत दस्तावेज, फर्जी बिल, और मास्टर रोल पर हस्ताक्षर कर कंपनी को आर्थिक नुक्सान पहुंचा कर अपना जैब भरा है ये वही कार्य है जो सुनाराम बास्के द्वारा लगातार अट्ठारह महीने से किया जा रही था और कंपनी को चूना लगाया जा रहा था। जिससे साफ पता चलता है कि कंपनी को चूना लगाने के लिए सुनियोजित तरीके से सुनाराम बास्के और उनके अधिनिस्थ अधिकारी एवं ठेकेदार अनिल यादव ने गलत दस्तावेज प्रस्तुत कर कंपनी से पैसा निकाल कर गबन किया है।