सड़क एवं भवन निर्माण में चल रहा कमीशन का खेल
बंटवारे की राशि राजधानी तक
जगदलपुर – बस्तर वन मंडल के कई वन परिक्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में सड़क एवं भवन निर्माण में कमीशन के बंटवारे में चल रहा है लिपापोती का खेल। लिपापोती के कार्यों में माहिर अधिकारी को ईनाम के तौर पर पदोन्नति का तोहफा दिया जाता है जिसका फायदा हाल ही में कुछ अधिकारी को भी मिला। ऐसे अधिकारी अपने चहेते स्थानों में पदस्थापना कराने में माहिर है। कुछ तो बस्तर वनमंडल में जमे है कुछ यहां से दतवाड़ा वन मंडल में चहेते स्थानों पर अपनी पदस्थापना कराने में सफल हुए है।
प्रदेश सरकार को यह मंशा है कि शासन की योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके। इसको ध्यान में रखते हुए बस्तर वन मंडल के कई वन परिक्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य स्वीकृत किये गये थे ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो सके। कुछ परिक्षेत्र अधिकारी ऐसे कार्यों को मजदूरों से न कराकर मशीन का उपयोग कर शासन की छवि को धूमिल कर अपनी जेब गर्म करने में लगे है ऐसे कई मामले है जिसकी जानकारी विभाग के जिम्मेदार अफसरों को भी है लेकिन कमीशन के बंटवारे में हिस्सेदारी होने के कारण अधिकारी भी चुप बैठे है।
निर्माण कार्यों में लिपापोती का खेल: बस्तर वन मंडल के कई वन परिक्षेत्र में सड़क एवं भवन निर्माण कार्यों में लिपापोती का खेल चल रहा है। जिन क्षेत्रों में मिट्टी सड़को का निर्माण किया जा रहा है वहां मुरूम के नाम पर चादर मात्र बिछाया जा रहा है जबकि डब्ल्यूबीएम सड़क में गिट्टी का उपयोग कर सड़क का निर्माण कराने का प्रावधान है लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। भवनों के निर्माण में भी गुणवत्ता को दरकिनार कर घटिया निर्माण को अंजाम दिया जा रहा है।
निर्माण स्थल से बोर्ड गायबः शासन के दिशा निर्देश के अनुसार निर्माण स्थल पर बोर्ड लगाना अनिवार्य किया गया है जिसमें यह उल्लेख करने के निर्देश दिये गये है कि कार्य योजना का नाम, प्रारंभ एवं पूर्ण करने का समय सहित अन्य जानकारियां बोर्ड में अंकित करने का प्रावधान है लेकिन वन विभाग द्वारा एक भी स्थान पर ऐसा नहीं किया गया |
लिपापोती करने वाले को तोहफा: अफसरों से सांठगांठ कर घटिया निर्माण कर लिपापोती करने वाले कुछ परिक्षेत्र एवं सहायक परिक्षेत्र अधिकारियों की बल्ले-बल्ले है। ऐसे अधिकारी को पदोन्नति का तोहफा भी दिया गया है जो अपने चहेते स्थान पर पदस्थ होने में भी कामयाब हो गये है, ऐसे अधिकारी राजधानी से सीधा संपकं बनाये रखते है जिन्हे समय-समय पर आशीर्वाद भी मिलता रहता है। शासन इस कदर ऐसे अधिकारियों पर मेहरबान रही तो जनता के बीच विश्वास स्थापित करने और आने वाले समय में नाकामी हासिल होगी |