पन्डर दल्ली में छत्तीसगढ़ संस्कृति के प्रतीक गौरी गौरा पूजा का हुआ शुभारम्भ

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दल्ली राजहरा के वार्ड नंबर 2 राम नगर चौक पन्डर दल्ली में छत्तीसगढ़ संस्कृति के प्रतीक गौरी गौरा पूजा का कल संध्या शुरुआत हुआ । राम नगर चौक में लगभग 55- 56 साल पहले स्वर्गीय गणेश राम निर्मलकर एवं स्वर्गीय उझियार बैगा के द्वारा शुरुआत की गई थी छत्तीसगढ़ संस्कृति का गौरी गौरा पूजा का कार्यक्रम आज भी निरंतर चल रहा है । इस कार्यक्रम की शुरुआत द्वाश के दिन बैगा परघाने , गौरा जागरण ,अंडा फोड़ने से शुरुआत होता है , कार्यक्रम लगातार चार दिन तक चलता है अंतिम दिन लक्ष्मी पूजा के मध्य रात्रि गौरा अर्थात भगवान शंकर एवं गौरी अर्थात माता पार्वती की बारात के साथ सुबह मोहल्ला भ्रमण के बाद गौरा चौरा में स्थापित किया जाता है | वार्ड के महिलाएं पुरुष एवं बच्चे भगवान शंकर एवं माता पार्वती का अपने अपने परिवार के साथ पूजा करते हैं । इसके बाद वार्ड की

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बालिकाओं के द्वारा कलश यात्रा निकाला जाता है आगे आगे गौरा (भगवान शंकर) उसके पीछे गौरी (माता पार्वती) माई कलश एवं बाकी कलश साथ में होते हैं । मोहल्ले वासी साथ साथ तलाब में विसर्जन करने जाते हैं तालाब में विसर्जन के साथ ही यह कार्यक्रम समाप्त हो जाता है | इस कार्यक्रम में एक पतरी रैनी बैनी रहय रतन मोर , गौरा जागे मोर गौरी जागे, जैसे पारंपरिक गीत मोहल्ले के महिलाओं के द्वारा गाए जाते हैं बहुत ही सुंदर और छत्तीसगढ़ी संस्कृति की परंपरा का त्यौहार अपने आप में अद्भुत होता है। इस कार्यक्रम में ऐसा महसूस होता है कि हम किसी शहर में ना रह कर एक गांव मैं रह रहे हैं जहां आपसी प्रेमभाव सद्भावना निर्मित है ।इस कार्यक्रम में मोहल्ले के युवा महिलाएं एवं वरिष्ठ जनों का भरपूर सहयोग मिलता है गांव की यह परंपरा दल्ली राजहरा के इस वार्ड को गांव से भी बेहतर बना देता है।

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