जगदलपुर । शासकीय सेवा में रहते हुए कर्मचारी के निधन के पश्चात इनके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देने हेतु शासन द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए हैं लेकिन कर्मचारी के मौत के पश्चात उनके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने हेतु सरकारी अधिकारियों के प्रताडऩा सहते हुए किस प्रकार इन्हें विभाग के उच्च अधिकारी के द्वारा उनकी अनुकंपा नियुक्ति पाने के दायरे से खतम करने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार का एक मामला सामने आया है।
जानकारी के अनुसार कु. सोनल मिश्रा के पिता स्व. दिनेश मिश्रा जो जिला मलेरिया कार्यालय में कार्यरत थे। उनकी मृत्यु 18 मार्च 2013 को हो गई। इसके एवज में इनके द्वारा अनुकंपा नियुक्ति हेतु इसी वर्ष अगस्त माह में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जगदलपुर के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया गया। कु. सोनल मिश्रा द्वारा अनुकंपा नियुक्ति हेतु प्रस्तुत आवेदन में अपनी नियुक्ति प्रकरण पर तत्काल सुनवाई हेतु मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से निवेदन किया किंतु शासन द्वारा अनुकंपा नियुक्ति हेतु दिये गए दिशा-निर्देश का पालन न करते हुए उस विभाग के प्रमुख द्वारा सोनल मिश्रा को वर्षों तक अंधेरे में रखा गया इस बीच बार-बार विभागीय अधिकारियों से पत्र चर्चा करने पर उन्हें आश्वासन दिया जाता रहा कि स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य विभाग में आपको नियुक्ति दी जायेगी। लेकिन समय गुजरता रहा लेकिन सोलन मिश्रा को विभाग द्वारा केवल आश्वासन के अलावा किसी प्रकार की नियुक्ति नहीं दी गई। मामले की गंभीरता को देखकर सोनल मिश्रा द्वारा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि के साथ साथ अपने स्व. पिता के विभाग के उच्चअधिकारियों से संपर्क साधकर अपने मदद की गुहार लगाई गई किंतु वहां से भी विभिन्न प्रकार के नियम कानून की बात कहकर उसे अनुकंपा नियुक्ति में पात्र नहीं होने की बात कही गई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी द्वारा यह कहा गया कि चूंकि तुम्हारी माता अन्य सरकारी विभाग में
कार्यरत है अत: तुम अनुकंपा हेतु पात्रता नहीं रखती हो। इसी प्रकार 60 हजार वार्षिक आय की पारिवारिक पात्रता रखने के कारण भी अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं हो सकती है। इन्हीं सब कायदे-कानून में उलझाकर विभाग के उच्च अधिकारियों ने अब तक कु. सोनल मिश्रा को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान नहीं की है बल्कि मौखिक रूप से यह भी अफवाह फैलाने की कोशिश की जा रही है कि कई बार उन्हें नियुक्ति दिए जाने की बावजूद उनके द्वारा उपस्थित नहीं होने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। कु. सोनल मिश्रा ने जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी जगदलपुर के समक्ष बार-बार अपनी अनुकंपा नियुक्ति संबंधित बातों का खंडन किया है और कहा है कि केवल मौखिक रूप से मुझे यहां-वहां नियुक्ति देने की बात कही जा रही है जबकि मुझे अबतक किसी भी नियुक्ति संबंधित आदेश के कागज अबतक नहीं मिले हैं। हालांकि इस मामले में कई वर्ष गुजर जाने के बावजूद सोनल मिश्रा अनुकंपा नियुक्ति प्रकरण में जिला कलेक्टर द्वारा जांच कमेटी का गठन भी किया गया था। लेकिन उस जांच कमेटी के सदस्य डॉ. जी सी शर्मा एवं डॉ. डी. राजन जो वर्तमान में जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी जिला बस्तर हैं उनके द्वारा भी निष्पक्ष जांच के बहाने कु. सोनल मिश्रा के अनुकंपा प्रकरण में प्रतिकूल निर्णय देकर नियुक्ति देने में कई प्रकार के अड़चन पैदा कर इस मामले को पेचिदा बना दिया है। वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा किसी भी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के पश्चात उनके परिजनों को तत्काल अनुकंपा नियुक्ति देने हेतु नियम कानून को सरल किया गया है किंतु अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले परिवार को अब भी सरकारी अधिकारियों के उत्तपीडऩ का शिकार होना पड़ रहा है। कु. सोनल मिश्रा प्रकरण में लगभग 8 साल का समय गुजर चुका है लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब तक इस प्रकरण का निर्णय नहीं हो पाया है।