कोंडागांव। आज एक बार फिर कोंडागांव जिले में पधार रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जिलावासियों को अपेक्षा है की जिले के सर्वांगीण विकास का पथ प्रशस्त करते लोगों के जीवन में खुशहाली लाने के लिए करोड़ों की सौगात देने के सांथ-सांथ कोंडागांव जिला में राजस्व बंदोबस्त कराने की जन अपेक्षित मांग पर बंदोबस्त कराने के किए गये अपने घोषंणा को एक तय समयावधि में पूरा कराने हेतु सार्थक पहल प्रारंभ करवायेंगे। स्मरणींय है कि पिछले 26-27 जनवरी को जब मुख्यमंत्री कोंडागांव जिला मुख्यालय और जिला अंतर्गत बडेराजपुर ब्लाक के कोंगेरा पधारे थे तब कोंडागांव विधानसभा के विधायक एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम एवं केशकाल विधानसभा के विधायक व बस्तर विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष संतराम नेताम सहित जनप्रतिनिधियों समाज प्रमुखों ने जिले में 1927के बाद से बंदोबस्त न हो पाने से होने वाली समस्याओं की तरफ ध्यान आकर्षित करते जिले में बंदोबस्त कराने की मांग प्रमुखता से उठाया था। जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ी गंभीरता से लेते हुए जनसभा में बंदोबस्त कराने की घोषंणा किया था। मुख्यमंत्री के द्वारा घोषंणा करने के बाद आम जन को राजस्व विभाग के अमले को यह उम्मीद जाग्रृत हुई थी कि जिले में बंदोबस्त हो जायेगा और पिछले कयी दशकों से बंदोबस्त न हो पाने के भोग रहे अभिशाप से मुक्ति मिल जायेगा। मुख्यमंत्री द्वारा की गयी घोषणाएं समय के सांथ धीरे धीरे पूरी होने लगी और जिलावासियों को सौगात मिलने लगी पर बंदोबस्त कराने का बड़ा और पेचिदा काम आरंभ नहीं हो पाया और समस्याऐं यथावत बनी हुई हैं जिसके चलते लोगों के उम्मीद की आश बस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर ही टिकी हुई है की वो ही चाहेंगे तभी हमारे जिले का बंदोबस्त हो पायेगा।
बंदोबस्त न हो पाने से समस्या ही समस्या
कोंडागांव जिला का 1927 के बाद बंदोबस्त नहीं हो पाया ।जिसके चलते जिले की 1927 की भौगोलिक स्थिती और वर्तमान स्थिती परिस्थिति में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। जमीन का पूरा रिकार्ड अस्त व्यस्त जीर्ण शीर्ण हो गया है अनेकों जगह का नक्शा ही अपना अस्तित्व खो चुका है। जिसके चलते पटवारी भूस्वामी की जमीन का सीमांकन करने एवं प्रतिवेदन दे पाने में खुद को असमर्थ पाते हैं। जिसके चलते जमीन को लेकर लंबे समय चल रहे विवादों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। 1927 में जंहा पर बड़े झाड़ जंगल छोटे झाड़ जंगल और श्मसान घाट तालाब था वंहा पर आज घनी बस्ती आबाद हो चुकी है ।पुराने रिकार्ड के चलते आज लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। छोटे झाड़ जंगल बड़े झाड़ जंगल श्मसान तालाब दर्ज जिस जमीन पर लोग पिछले कयी दशक से रह रहे हैं वंहा का न भू स्वामी हक मिल पा रहा है और न आवास योजना एवं अन्य योजना का लाभ मिल पा रहा है।इस तरह से देखने में आ रहा है की बंदोबस्त न हो पाने से जिले की जनता और राजस्व अमला के सामने समस्या ही समस्या पैदा हो रहा है जिसका वैकल्पिक कोई इलाज भी नहीं है।
आसान काम नहीं है बंदोबस्त
1999 के पूर्व अविभाजित मध्यप्रदेश में एक अलग से बंदोबस्त विभाग ही था जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मितव्ययिता के नाम से अचानक बंद कर दिया गया। उस समय कोंडागांव जिला की बजाय तहसील का दर्जा प्राप्त था और कोंडागांव का बंदोबस्त हो पाता उसके पूर्व ही बंदोबस्त विभाग ही बंद हो गया।
2017 में वनग्राम से राजस्व ग्राम घोषित गांव का आज तक नहीं हो पाया बंदोबस्त
बंदोबस्त का काम बहुत ही सावधानी भरा और पेचिदा होता है बंदोबस्त विभाग खत्म कर दिये जाने के कारंण अब बंदोबस्त का काम भी वर्तमान राजस्व अमले को ही करना पड़ रहा है। राजस्व विभाग का अमला पहले से ही स्टाफ की कमी भोगते काम के बोझ में दबा हुआ है जिसके पास अपना नियमित काम निपटाने के लिए ही समय नहीं रहता। छत्तीसगढ़ में 2017 में वनग्राम को राजस्व ग्राम घोषित कर दिया गया। जिनका आज तक सही ढंग से बंदोबस्त नहीं हो पाया है क्योंकि हवाई सर्वे से प्राप्त नक्शे को प्रमाणिंत करने पटवारी को मौके तक जाकर देख परखकर अभिलेख दुरूस्त करना होता है जो सहज सरल नहीं होता।
कोंडागांव जिले के 500 से अधिक गांव के बंदोबस्त के लिए जरूरी होगा स्टाफ का
कोंडागांव जिला का बहुप्रतीक्षित बंदोबस्त का काम कराना वर्तमान स्टाफ से करा पाना संभव नहीं होगा। जिले के 500से अधिक गांव का सुव्यवस्थित ढंग से बंदोबस्त करते हूं अभिलेख तैयार करने के लिए जिला से लेकर फिल्ड तक काम करने के लिए प्रर्याप्त स्टाफ की जरूरत होगा जिन्हें बकायदा प्रशिक्षंण देकर बंदोबस्त में लगाना पड़ेगा तभी अपेक्षानुरूप ठिक ठाक ढंग से बंदोबस्त हो पायेगा नहीं तो बंदोबस्त हो जाने की कल्पना महज लोक लुभावन चुनावी घोषणापत्र की भांति ही दिवास्वप्न बनकर रह जायेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज कोंडागांव पधार रहें हैं और जिला के लोगों को उम्मीद है की प्रदेश की राजनीति में खास स्थान रखने वाले कोंडागांव विधानसभा के विधायक एवं कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और केशकाल विधानसभा के दबंग विधायक एवं बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष संतराम नेताम एवं पार्टी संगठन के प्रभावी पदाधिकारीगंण अपने जिले का बंदोबस्त कराने की जरूरत को प्रभावी ढंग से मुख्यमंत्री के समक्ष रखकर उनके द्वारा बंदोबस्त कराने को लेकर किये गये घोषंणा को साकार कराने के लिए सार्थक पहल प्रयास करेंगे और मुख्यमंत्री से भी उम्मीद है की वो अपनी घोषंणा को असली जामा पहनाते पूरा कर जिलावासियों के दशकों की समस्या को दूर करेंगे।