पर्यावरंण चेतना केंद्र में विकास के नाम पर्यावरंण को दुष्प्रभावित करने के कवायद पर पुनर्विचार किया जाये -कृष्णकुमार ध्रुव

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केशकाल । केशकाल के पूर्व विधायक कृष्ण कुमार ध्रुव ने पर्यटन विकास के नाम पर टाटामारी में किते जा रहे अंधाधुंध विकास पर सवाल खड़ा करते यह मांग किया है की शासन प्रशासन को प्रदत्त स्वीकृति पर पुनर्विचार करना चाहिए ।पूर्व विधायक का कहना है की अपनी भौगौलिक विशिष्टता प्राकृतिक सौंदर्यता एवं नैसर्गिक छटा से देश दुनिया के प्रकृतिप्रेमी पर्यटकों को सम्मोहित करते आकर्षित करने वाले टाटामारी के “पर्यावरंण चेतना केंद्र ” में आगंतुकों के सुविधा और पर्यटन विकास के नाम पर प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्यता की बजाय अधिक से अधिक कृत्रिम सौंदर्यता परोसने और अधिक से अधिक कांक्रिट का जंगल खड़ा करने की चल रही कवायद को सही नहीं माना जा सकता।विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ करते कांक्रिट का जंगल खड़ा करना उचित नहीं होता है। श्री ध्रुव का कहना है की शहर के भीड़भाड़ और चकाचौंध से दूर निर्जन वन क्षेत्र में स्थित टाटामारी शुरू से वन्यप्राणिंयों का विचरंण केंद्र रहा है जंहा जीव जंतु पशु पक्षी व वन्य प्रांणी बेखौफ विचरंण करते आ रहे थे।

स्थल की भौगोलिक विशिष्टता और वंहा से केशकाल घाटी पहाड़ी की हरी भरी वादी को निहारने का आकर्षंण को ध्यान में रखते लगभग दो दशक पूर्व वनविभाग के द्वारा इस जगह को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का काम आरंभ किया। समय के सांथ निरंतर विकास चलता रहा और विकास के नाम पर कांक्रिट का जंगल खड़ा किया जाने लगा । जो जगह कभी निर्जन वन क्षेत्र हुआ करता था वंहा इंसानी चहल पहल बढ़ने लगा जिसके चलते पशु पक्षी एवं वन्यप्रांणी यंहा से दूरी बनाने लगे। आगंतुक पर्यटकों के सुविधा और पर्यटन विकास के नाम पर लगातार निर्माण कार्य कराया जाना लगा।जंगल में मंगल की अनुभूति करने आने वालों के लिए शहर के उद्यानों की सौंदर्यता सुविधा व संवाधन जंगल में परोसने की कोशिश आरंभ कर दिया गया और अब विकास के नाम पर होने वाले 4 स्टाफ क्वार्टर ,फूड जोन,प्ले जोन,मड हाउस,वाच टावर इत्यादि होने वाले निर्मांण से अब टाटामारी भी पूर्णत:आबाद हो जायेगा और शहर से दूर जंगल में भी शहर का आकर्षंण और आनंद देगा। टाटामारी का नामकरंण पर्यावरंण चेतना केंद्र रखकर जिस तरह से विकास के नाम से प्रकृति पर्यावरंण एवं वन्य क्षेत्र में विचरंण करने वाले जीव जंतु पशु पक्षी प्रांणी के जीवन चक्र पर दुष्प्रभाव डालने का गैर ईरादन अपराध किया जा रहा है उसे भविष्य के लिए सही नहीं माना जा सकता।पूर्व विधायक ने जिला खनिज न्यास एवं अन्य मद से करोड़ों रूपये के होने वाले विकास कामों में से वही काम कराना चाहिए जो निहायत जरुरी हो। स्टाफ क्वार्टर ,रेस्टोरेंट, मड हाउस ,वाच टावर और अन्य कांक्रिट के निर्मांण कार्य को कराने के पहले पर्यावरंण विदों एवं वन्यप्रांणी जीवन पर जानकारी रखने वालों के परामर्श के बाद ही कार्य आरंभ कराने की मांग किया है।

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