सत्ता पक्ष के विधायक ने पूछा – 22 दिन काम देकर कैसे राेकेंगे पलायन, श्रम मंत्री घिरे

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विधानसभा अध्यक्ष ने कहा – पलायन छत्तीसगढ़ के माथे पर कलंक

रायपुर। विधानसभा के बजट सत्र में सत्ता पक्ष के विधायक धनेंद्र साहू ने पलायन का मुद्दा उठाते हुए श्रम मंत्री डॉ. शिव डहरिया को घेरा। उन्होंने मंत्री से पूछा कि मजदूरों को केवल 22 दिन का काम उपलब्ध कराकर कैसे पलायन राेकेंगे? मजदूरों जो काम जानते हैं वैसा काम देकर उन्हें रोकें। मंत्री ने बताया, अधिकतर लोगों को मनरेगा में काम दिया जा रहा है। जो लोग बाहर जा रहे हैं उनके पंजीयन की व्यवस्था है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने पलायन को छत्तीसगढ़ के माथे पर कलंक बताया है।

प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू ने श्रम मंत्री से पूछा कि वर्ष 2021-22 में महासमुंद जिले के कितने मजदूर मजदूरी के लिए दूसरे प्रांतों में पलायन किया है। जवाब में श्रम मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने बताया, चालू वित्तीय वर्ष में महासमुंद जिले के 551 गांवों से 30 हजार 9 मजदूर दूसरे राज्यों में गए हैं। इसी दौरान दो लाख 50 हजार 547 लोगों को मनरेगा में काम दिया गया। इन्हें 10819.88 लाख रुपए की मजदूरी भुगतान किया गया। साहू ने कहा, 193 रुपए मजदूरी है, जितने लोगों के बीच यह मजदूरी बंटी है उसके हिसाब से यह केवल 22 दिनों का काम है। ऐसे में किसी व्यक्ति का परिवार कैसे चलेगा। ऐसे में पलायन कैसे रोका जा सकता है। उन्होंने पूछा कि ईंट भट्‌ठा मजदूर जैसे जाे कुशल श्रमिक हैं, उनके लिए उनकी विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में काम उपलब्ध कराया गया है या नहीं? श्रम मंत्री ने बताया, कलेक्टरों को स्किल मैपिंग का निर्देश दिया गया है। उसके आधार पर स्थानीय उद्योगों में नियोजन की व्यवस्था की जा रही है। श्रम मंत्री ने कहा, यहां से अधिक मजदूरी मिलने पर लोग दूसरे राज्यों में जाते हैं। उनके लिए पंचायतों में पंजीयन की व्यवस्था है। जो पंजीयन के बिना जा रहे हैं उनको पुलिस के द्वारा रोका जाता है।

रोजगार उपलब्ध कराने कार्ययोजना बनाएं-महंत

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा, पलायन, छत्तीसगढ़ के माथे पर कलंक है। महासमुंद, जांजगीर-चांपा, मुंगेली, बिलासपुर जिलों के बहुत से लोग हर साल दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए जाते हैं। इनको स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने की कार्ययोजना बननी चाहिए।