राजीव भवन में संजय गांधी जी की जयंती गरिमा व सादगी के साथ मनाई गई

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बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी शहर द्वारा राजीव भवन में संजय गांधी की जयंती गरिमा व सादगी के साथ मनाई सर्वप्रथम उनके छाया चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

जिलाध्यक्ष राजीव शर्मा ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते बताया कि संजय गांधी इंदिरा गांधी जी के छोटे बेटे थे. उनका पूरा परिवार भारत की राजनीति से संबंध रखता हैं संजय गांधी जी के नाना स्वतंत्र देश में पहले प्रधानमंत्री बने थे वहीँ उनकी माता देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं. इसके साथ ही संजय गांधी जी के परिवार के अन्य सभी सदस्य भी राजनीति में ही हैं. संजय अपनी माँ के बेहद करीब थे इसलिए वे हमेशा अपनी माँ का समर्थन किया करते थे. संजय गांधी ने भी देहरादून के उन्हीं दोनों स्कूल से अपनी स्कूली पढाई पूरी की, जहाँ से उनके भाई ने पढ़ाई की थी. वे दोनों स्कूल वेल्हम बॉयज स्कूल एवं दून स्कूल है. संजय गांधी का जन्म 14 दिसंबर 1946 को एक भारतीय राजनीतिज्ञ और इंदिरा गांधी गांधी के छोटे बेटे के रूप में हुआ. संजय ने विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं की लेकिन ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग को उन्होंने अपने एक करियर के रूप में लिया और 3 साल के लिए इंग्लैंड के क्रेवे में रोल्स रॉयल्स के साथ एक ट्रेनी के रूप में काम किया उन्होंने सन 1976 में एक पायलट लाइसेंस प्राप्त किया क्योकि वे विमान कलाबाजी में रूचि रखते थे. जिसमें उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हालाँकि उनके बड़े भाई राजीव गांधी भी एक पायलट थे. जो कि इंडियन एयरलाइन्स में बोइंग 737 – 200 एडीवी विमान के कैप्टेन थे।

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महापौर सफीरा साहू ने भी उन्हें याद करते बताया कि संजय गांधी कांग्रेस की राजनीति के युवा आइकॉन थे युवाओं के प्रेणास्रोत भी थे उनका सपना था कि अधिक से अधिक शिक्षित युवाओं को भारतीय राजनीति से जोड़ने का था वह संसद, लोकसभा और नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य थे अपने जीवनकाल के दौरान उन्हें व्यापक रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख रूप में अपनी मां के सफल होने की उम्मीद थी लेकिन एक विमान दुर्घटना में उनकी प्रारंभिक मृत्यु के बाद उनके बड़े भाई राजीव उनकी मां के राजनीतिक उत्तराधिकारी बन गए और उनकी मां की हत्या के बाद भारत के प्रधान मंत्री के रूप में सफल हुए।

जिला महामंत्री (प्रशासन) अनवर खान ने कहा कि सियासी तौर पर देश के सबसे ताकतवर परिवार में जन्म, प्रतिष्ठित दून स्कूल से पढ़ाई, ऑटोमेटिव इंजिनियर, पायलट का लाइसेंस, स्पोर्ट्स कारों का शौक और विमानों को उड़ाने का शगल। अपने पहले ही चुनाव में भले ही करारी शिकस्त झेलनी पड़ी लेकिन छोटे से सियासी करियर में ऐसा भी वक्त रहा देश की सियासत को अपने इशारे पर चलाया। अब तक आप समझ चुके होंगे कि यहां बात हो रही है संजय गांधी की और आज उन्हीं की जयंती है संजय गांधी 1977 में अमेठी से पहली बार लोकसभा का लड़े लेकिन उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। आखिरकार 1980 में अगले चुनाव में अमेठी से ही वह चुनकर संसद पहुंचे हालांकि सांसद के तौर पर उनका कार्यकाल बहुत ही छोटा रहा क्योंकि दुर्भाग्य ने उनकी जिंदगी की डोर ही काट दी। उसी साल यानी 1980 में 23 जून को एक विमान हादसे में उनकी मौत हो गई।

कार्यक्रम के अंत मे ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष एन आर परासर जी के आकस्मिक निधन पर राजीव भवन में कांग्रेस परिवार द्वारा आत्मा की शांति के लिये 2 मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

यह रहे मौजूद…
कमल झज्ज,छबिश्याम तिवारी, हरिशंकर सिंह, शहनावाज खान, प्रवीण जैन, बंटी भदौरिया,अंकित सिंह, महेश ठाकुर, सामेल नाग,प्रेम ठाकुर,करण बजाज सहित कांग्रेस के कायकर्तागण उपस्थित थे।