बालोद – जिले में कल रात झमाझम तेज बारिश के कारण खरीदी केंद्रों पर रखा लाखों क्विंटल धान भीग गया । इस विषय में किसानों का कहना है कि पिछले दो वर्षों से शासन द्वारा देरी से खरीदी की जा रही है जिस कारण से सोसाइटीयों से धान का उठाव भी देरी से हो रहा है आजकल मौसम भी अचानक बदलता है कल रात हुए बेमौसम तेज बरसात के कारण ज्यादातर सोसाइटीयों के प्रबंधक अपने आपको असहाय महसूस किये एवं धान को ढक नहीं पाए | सोसाइटीयों में रखे हजारों क्विंटल धान को पानी से सुरक्षित कर पाना टेड़ी खीर हो जाती है ऐसे समय में सोसाइटी प्रबंधक पूर्व से व्यवस्था नहीं करते दिखाई देते | प्रशासन द्वारा भी समुचित व्यवस्था सोसाइटीयों को प्रदान नहीं की जाती है जिसका हाल रहा कि कल फागुनदाह, निपानी, पीपरछेड़ी, परसोदा, तरौद, जगन्नाथपुर, सांकरा (क), बरही, सुर्रा, माहुद (बी), सिकोसा, लाटाबोड़, गुरुर, कुसुमकसा, साल्हे, चिखलाकसा, मंगलतराई सोसाइटी का हुआ जहाँ पर त्रिपाल रहते हुए भी समिति प्रबंधक की लापरवाही के कारण धान के रखरखाव की व्यवस्था नहीं की जा सकी चूँकि त्रिपाल द्वारा भी धान को पूरी तरह ढकना संभव नहीं हो पाया | मंगलवार रात एवं बुधवार की सुबह हुई अचानक तेज बारिश से धान भीग गया । बुधवार सुबह बारिश बंद होने के पश्चात् कई समिति प्रबंधक द्वारा सुबह से ही सोसाइटीयों में लीपापोती में जुटे रहे एवं पानी निकासी की व्यव्यस्था बनाते एवं धान को ढकते हुए दिखे |
नोडल अधिकारी सत्येन्द्र वैदे से बात करने पर कहा गया कि सोसाइटीयों को सम्पूर्ण सुविधा जैसे नाली, ड्रेनेज, त्रिपाल आदि की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई थी एवं पूर्व में ही समिति प्रबंधन को धान के रखरखाव के सम्बन्ध में निर्देशित किया गया था | नोडल अधिकारी ने कहा कि समिति प्रबंधन द्वारा किसी भी प्रकार की अनियमितता बरती गई तो उन पर कार्यवाही की जाएगी |
सोसाइटी प्रबंधकों को शासन का लाखों का चूना लगाने से कोई परहेज दिखाई नहीं दे रहा है बल्कि उन्हें चांदी काटने का अवसर मिल गया चूँकि भीगे धान का वजन किसानों से ख़रीदे धान से अधिक होगा एवं ख़राब मौसम के धान सड़ने का हवाला दे दिया जायेगा | इस प्रकार की लापरवाही जानबूझ कर तो नहीं की जाती चूँकि मौसम विभाग द्वारा तीन दिनों पूर्व से ही बारिश की चेतावनी दी जा रही थी | भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष से इस सम्बन्ध में पूछा गया तो उनके द्वारा कहा गया कि इस वर्ष सोसाइटीयों में अत्यधिक अव्यवस्था है किसानों से सोसाइटी में धानों को भी सुख जाने की बात कहकर ज्यादा धान लिया जा रहा है | बोरों में एक से दो किलों अधिक वजन तौला जा रहा है | भूपेश सरकार कहीं भी भ्रष्टाचार का अवसर नहीं छोड़ रही है जानबूझकर धान को पानी से भीगने का बचाने का प्रयास नहीं करवा रही है |