बीएसपी प्रबंधन से वेतन समझौते को लेकर स्थानीय यूनियनों की आपस में ठनी

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दिनांक 07.01.2022 को तीन श्रम संगठनों, बीएमएस, एटक और इंटुक ने स्थानीय बीएसपी प्रबंधन के साथ एक समझौता किया और उसे सभी के समक्ष तत्काल रखा जिसका दो श्रम संगठन सीटू और सीएमएसएस ने यह कहते हुए विरोध किया कि उक्त समझौता नियमीत एवं ठेका श्रमिकों के हितों के विरुद्ध है और केवल दिखावा है। उनके द्वारा यह भी प्रचारित किया गया कि ठेका श्रमिकों के लिए प्रबंधन एवं तीन श्रम संगठनों के बीच खदान भत्ते के रूप में रुपये 150/- प्रतिदिन के हिसाब से जो समझौता हुआ है वह संभव ही नहीं है एवं उसके लिए ठेका श्रमिकों का वेतन कम से कम रुपये 39000/- प्रतिमाह होना चाहिए। उसके उपरांत इन दोनों श्रम संगठनों ने ठेका श्रमिकों को गुमराह करते हुए एक दिन का वेतन कटवाया और क्या हासिल करवाया उसका विस्तृत विश्लेषण करते हुए तीनों श्रम संगठन के प्रतिनिधियों ने विज्ञपति जारी करते हुए कहा कि इन्हे पढ़ने के बाद सभी नियमित कर्मीगण/ठेका श्रमिक स्वयं निर्णय लेवें कि उक्त दोनों श्रम संगठन कर्मचारियों के कितने शुभचिंतक हैं अथवा उन्होंने नियमित कर्मचारियों/ठेका श्रमिकों के लिए अलग से क्या किया ?

तीन श्रम संगठनों ने मिलकर दासा के मामले में नए मूल वेतन के 8% राशि को दासा के रूप में लेना स्वीकार इसलिए किया क्योंकि उक्त निर्णय केंद्र सरकार का है और पूर्व में भी दिए जा रहे 10% राशि का निर्णय भी केंद्र सरकार का ही था। लेकिन इस आपत्ति के साथ किया कि उक्त आदेश आम नियमित कर्मचारियों पर लागू नहीं होती और प्रबंधन ने यह आश्वस्त किया कि वह सम्बंधित मंत्रालय से इस सम्बन्ध में दिशा निर्देश प्राप्त कर दो माह के भीतर निराकरण करेगा। दूसरी तरफ इन दो श्रम संगठनों ने भी इसी शर्त पर 8% राशि को दासा हेतु लेना स्वीकार किया कि वे इस मामले को एनजेसीएस के फोरम में उठाने हेतु स्वतंत्र हैं। दासा के एरियर्स के मामले में तीनों श्रम संगठनों ने जिन शर्तों के साथ दासा के एरियर्स को न देने का विरोध किया लगभग उन्ही शर्तों के आधार पर दोनों श्रम संगठनों ने भी विरोध किया। एरियर्स की तिथि में अंतर पर तीनों श्रम संगठनों ने कहा कि तीनों श्रम संगठनों के स्थानीय प्रतिनिधियों ने एक साथ यह निर्णय लिया कि अगर दिनांक 01.04.2020 से मिले एरियर्स की तरह उसी दिनांक से दासा के एरियर्स राशि का भी भुगतान होता है अैर सब-कमिटी एवं प्रबंधन के बीच दिनांक 01.01.2017 से एमजीबी के एरियर्स भुगतान हेतु सहमति बनती है तो मिले हुए दासा एरियर्स के आधार पर ही 01.01.2017 से नए मूल वेतन के आधार पर दासा एरियर्स का भी स्वतः भुगतान होगा।

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सीटू और सीएमएसएस द्वारा 01.01.2017 से ही एरियर्स की राशि को माँगा गया है। दोनों समझौते में मामले का निराकरण हेतु प्रबंधन द्वारा दो माह का समय माँगा गया है। एक तरफ तीनों श्रम संगठनों ने पिछले वेतन समझौते के बाद के दासा राशि के एरियर्स पर चर्चा की जिसपर प्रबंधन ने इस शर्त पर मामले पर सकारात्मक कदम उठाकर भुगतान करने की बात कही कि अगर पूर्व में आरएमडी के खदानों में दिए गए दासा के एरियर्स को प्रबंधन द्वारा रिकवरी नहीं की गयी है तो राजहरा के खदान कर्मियों को भी इसका भुगतान एक माह के अंदर कर दिया जावेगा। इस मामले पर सीटू एवं सीएमएस द्वारा कोई चर्चा नहीं। ऐसे में दोनों समझौते में क्या अंतर है इसका निर्णय कर्मचारी स्वयं लेवें।

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ठेका श्रमिकों के लिए तीनों श्रम संगठनों ने दासा के रूप में रुपये 150/- प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करने की मांग की जबकि इन दोनों श्रम संगठनों ने इसे मूल वेतन के आधार पर 25% देने की मांग की जबकि अपने मांग पत्र में इन्होंने खुद 10% की मांग की थी?? जब प्रबंधन ने तीनों श्रमिक संगठन के साथ 150 रुपये देने पर सहमति जता दी, तब ये जो 10% मांग कर श्रमिकों का बड़ा नुक़सान करने पर तुले थे , मजबूरी में 25% की मांग की मगर इसमें भी ठेका श्रमिकों का नुक़सान हो रहा है। अब दोनों ही मामले में प्रबंधन ने इसे खदान भत्ता के रूप में देने पर सैद्धांतिक सहमति जताई है। सीटू एवं सीएमएसएस द्वारा ठेका श्रमिकों को यह भी कहा गया है कि उनका यह 25% राशि हर 06 माह के बाद बढ़ता रहेगा। यह बात सर्वविदित है कि किसी भी भत्ते का भुगतान केवल मूल वेतन के आधार पर होता है और दासा अगर मूल वेतन के आधार पर निश्चित किया जाता है तो मूल वेतन में परिवर्तन होने पर ही दासा की राशि बढ़ेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि हर 06 माह में श्रमिकों का केवल डीए बढ़ता है। कई दशकों से ठेका श्रमिकों का मूल वेतन बहुत ही कम था जिसे कि केन्द्र सरकार ने 19.01.2017 से बढ़ाया गया। लेकिन अगर प्रबंधन इन दोनों श्रम संगठन के द्वारा प्रचारित तथ्यों के आधार पर प्रत्येक 06 माह में ठेका श्रमिकों के दासा राशि में बढ़ोतरी करती है तो प्रत्येक तीन माह में डीए के बढ़ने से समस्त सेल के नियमित कर्मियों के दासा और पर्क्स में भी वृद्धि होगी |

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श्रम संगठनों के दोनों समूहों द्वारा ठेका श्रमिकों के लिए तय किये जाने वाले खदान भत्ता के तरीके से ठेका श्रमिकों को क्या मिलेगा इसकी जानकारी देते हुए तीनों श्रम संगठनों ने बताया कि उनके द्वारा प्रस्तावित रुपये 150/- प्रति दिन के हिसाब से अगर भुगतान किया जाता है तो सभी ठेका को सामान रूप से प्रति माह रुपये 3900/- खदान भत्ता के रूप में मिलेगा। वहीँ मूल वेतन के 25% को आधार बनाकर खदान भत्ता की राशि तय की जाती है तो विभिन केटेगरी के श्रमिकों को उनके केटेगरी के मूल वेतन के आधार पर ही खदान भत्ता मिलेगा जो कि इस प्रकार से होगा – अकुशल वर्ग के लिए प्रतिदिन उसके मूल वेतन रुपये 350/- के हिसाब से जो राशि तय होगी वह प्रति माह रुपये 2275/- होगी जिससे उसे रुपये 1625/- प्रतिमाह का नुकसान होगा। इसी तरह से अर्ध कुशल वर्ग को प्रतिमाह रुपये 1060/- और कुशल वर्ग को रूपए 501/- का नुकसान होगा। उच्च कुशल वर्ग को मात्र रूपए 65/- का ही लाभ होगा। ठेका श्रमिकों को यह नुकसान उस समय तक उठाना पड़ेगा जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा उनके मूल वेतन को नहीं बढ़ाया जाता है।

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जहाँ तक नाईट अलाउंस एवं छुट्टी के पैसे की बात है तो वह पहले भी मिलता था और अब तो सभी ठेकों में इसका निविदा के शर्तो लिखित उल्लेख किया जा रहा है उसके बाद सिटू और सीएम एस एस का यह कहना कि नाईट एलाउंस और छुट्टी का पैसा ठेका श्रमिकों को दिलवाया जायेगा पूरी तरह हास्यास्पद लगता है।लेकिन फर्क सिर्फ इतना था कि प्रबंधन के स्थानीय अधिकारीयों द्वारा कुछ ठेकेदारों द्वारा पालन कराया जाता था और कुछ ठेकेदारों को इससे छूट दी जाती थी। कुछ ठेकों में नाईट अलाउंस रुपये 90/- प्रति रात्रि के हिसाब से भुगतान कराया जाता है तो कुछ ठेकों में रुपये 50/- के हिसाब से और कुछ में बिलकुल नहीं। शिकायत मिलने पर प्रबंधन ने अब सभी नए निकलने वाले ठेकों में इसे जोड़ना शुरू भी कर दिया है। ऐसे में इसकी मांग करने का क्या औचित्य है यह समझ से बाहर है। दरअसल ये दोनों श्रम संगठन अपने सदस्यों को किसी भी ठेके के नियम और शर्त की जानकारी नहीं देती है क्योंकि इसकी जानकारी छुपाकर वे ठेका श्रमिकों को भ्रमित करते रहते हैं, उनका शोषण करते हैं और दूसरी तरफ प्रबंधन को भी ब्लैक मेल करने की कोशिश करते हैं। 07 तारीख को जो हड़ताल सिटू और सीएम एस एस ने किया उसमें ईस हड़ताल को हवा देने का काम एक भ्रष्ट ठेकेदार ने किया और सिटू और सीएम एस एस के नेता उसे मौन सहमति देने में लगे रहे।आज वो भ्रष्ट ठेकेदार जो ठेका श्रमिकों को उनका पुरा वेतन और एलाउंस का भुगतान नहीं करता है। ठेका श्रमिकों की ईपीएफ की राशि को डकार जाता है।तो आप समझ सकते हैं कि एक भ्रष्ट ठेकेदार के साथ मिलकर सिटू और सीएम एस एस श्रमिकों का भला करना चाहते हैं या भ्रष्ट ठेकेदार का आज उस भ्रष्ट ठेकेदार पर ठेका श्रमिकों के पैसे गबन करने के प्रमाणित आरोप लगे हैं जिस पर कार्रवाई होनी है ऐसा लगता है उस कारवाई को रोकने के लिए हड़ताल किया गया था जिससे प्रबंधन पर दबाव डालकर कारवाई रोकी जा सके और इसमें बलि का बकरा कुछ नियमीत कर्मचारियों और ठेका श्रमिकों को उनका एक दिन का वेतन कटवा कर बनाया गया।और जो समझौता हम तीनों श्रमिक संगठनों ने किया था उससे कुछ अलग तो नहीं कर पाये बल्कि नियमित और ठेका श्रमिकों का नुक़सान करने में लगे थे ऐसे लगता है।

यहां एक बात और ठेका श्रमिकों को समझना है कि जिस तरह से सिटू और सीएम एस एस बहुत जोर शोर से प्रचारित करने में लगे हैं कि बीएसपी प्रबंधन द्वारा बनाई गई कमेटी जो अपना रिपोर्ट 20 तारीख को देने वाली थी अब वो 15 तारीख को देगी और ईसे ये क्रन्तिकारी सफलता मान रहे हैं जो पूरी तरह हास्यास्पद है क्योंकि ठेका श्रमिकों को भुगतन 01-04-2022 से ही किया जायेगा जो समझौता हम तीनों श्रमिक संगठनों ने किया है।अब सिटू और सीएम एस एस के नेता जवाब दें कि कमेटी रिपोर्ट 15 तारीख को दे या 05 तारीख को भुगतन तो तीनों श्रमिक संगठनों के द्वारा किए गए समझौते के अनुसार 01-04-2022 से ही किया जायेगा |

अंत में तीनों श्रम संगठनों ने इन दोनों श्रम संगठनों से निवेदन किया कि वे उनके और प्रबंधनके बीच हुए सहमति और समझौते के कागज को सार्वजानिक करें ताकि सच्चाई सामने आ सके। तीनों श्रम संगठनों ने अपने किये समझौते को नियमित एवं ठेका श्रमिकों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए धन्यवाद दिया तथा भविष्य में सीटू और सीएमएसएस के नेताओं के ऐसे किसी भी तरह के धोखे और प्रपंच से बचने की अपील करते हुए कहा कि वे स्वयं तथ्यों का आंकलन करते हुए सही और गलत का निर्णय करें।