- के. रामा यशवंत के मामले को लटका रहे हैं अफसर
- शासन से वेतन -भत्तों के रूप में हजम कर चुके हैं करोड़ों रुपए फर्जी कर्मी
-अर्जुन झा-
जगदलपुर बस्तर संभाग में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी पाने वालों की फेहरिश्त जितनी लंबी है, उतना ही लंबा चौड़ा कुनबा ऐसे अधिकारियों का भी है, जो फर्जी तरीके से नौकरी पा चुके लोगों को येनकेन प्रकारेन बचाने में लगे हुए हैं। अगर फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की ईमानदारी से जांच हुई, तो अधिकारियों की इस लॉबी तक भी जांच की आंच पहुंच जाएगी। यही वजह है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र वाले कर्मचारियों को बचाने के लिए तरह तरह के बहाने ईजाद किए जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बस्तर संभाग के सुकमा जिले में प्रभारी प्राचार्य के पद पर कार्यरत के. रामा यशवंत का मामला है।
बस्तर संभाग में पढ़े लिखे आदिवासी युवाओं का हक मारकर पचासों लोग फर्जी जाति प्रमाण बनवाकर विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरियां हासिल कर चुके हैं। सर्वाधिक नौकरियां शिक्षा विभाग में ऐसे फर्जी लोगों ने हथिया ली हैं। इन्हीं में से एक हैं के. रामा यशवंत, जो बस्तर संभाग के सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला एर्राबोर में प्रभारी प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। आरोप है कि के. रामा यशवंत का भी जाति प्रमाण पत्र फर्जी है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे के रामा यशवंत ने शालेय शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली। उनकी जाति प्रमाण को लेकर करीब डेढ़ साल पहले शिकायत की गई थी। इस शिकायत को आधार बनाकर सुकमा जिले में कार्यरत शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी और आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग के बीजापुर जिले में पदस्थ अधिकारियों ने के. रामा यशवंत को कमाई का माध्यम बना लिया। के. रामा यशवंत बीजापुर जिले के निवासी हैं और शिक्षा विभाग में उनकी नौकरी की शुरुआत बीजापुर जिले से ही हुई थी। उनकी जाति का मामला अभी बीजापुर जिले में ही विचाराधीन है। के. रामा यशवंत पर अब तक कार्रवाई न होना इस बात की तस्दीक करता है कि सुकमा और बीजापुर जिलों के संबंधित अधिकारी के. रामा यशवंत को न सिर्फ बचा रहे हैं, बल्कि उन पर इस कदर मेहरबान भी हैं कि उन्हें एक सामान्य शिक्षक पद से पदोन्नत करते हुए अब बड़े हायर सेकंडरी स्कूल के प्रभारी प्राचार्य पद तक पहुंचा दिया है।नजरअंदाज किया हर समन को
प्रभारी प्राचार्य के. रामा यशवंत को जिला शिक्षा अधिकारी सुकमा और आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग बीजापुर के अधिकारी के संरक्षण की बात को पुष्ट करने वाले कई मुद्दे मौजूद हैं। सबसे बड़ा मुद्दा तो यही है कि के. रामा यशवंत के खिलाफ जांच आज तक किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है। दूसरा मुद्दा है जाति प्रमाण पत्र की जांच के बीच के. रामा यशवंत को एक सामान्य शिक्षक से प्रभारी प्राचार्य के पद तक पहुंचा देना। तीसरा मुद्दा है आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग की बीजापुर जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति के नोटिस को के. रामा यशवंत दद्वारा नजरअंदाज किया जाना। समिति कई बार नोटिस समन भेजकर के. रामा यशवंत को तलब कर चुकी है, मगर के. रामा यशवंत इस समिति को भी लगातार ठेंगा दिखाते आ रहे हैं। ऐसा दुस्साहस कोई कर्मचारी तभी कर सकता है, जब उसे बड़े अधिकारियों का वरदहस्त प्राप्त हो।विभागीय अफसर एक्सपर्ट नहीं ?
फर्जी जाति प्रमाण पत्र की बात सामने आने के कई माह बाद कलेक्टर (आदिम जाति विकास) बीजापुर ने आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग छ्ग शासन को पत्र लिखकर जाति प्रमाण पत्रों की जांच के लिए विषय विशेषज्ञ की मांग की है। बताते हैं कि दो फरवरी को यह पत्र लिखा गया हुआ है और अब इसके अमल पर भी लोगों को संदेह होने लगा है। क्योंकि जब शासन ने ऐसे फर्जी कर्मचारियों को बर्खास्त करने के आदेश दे दिया है, तब विषय विशेषज्ञ से ऐसी जांच कराने के बहाने फर्जी तरीके से नौकरी पाकर वेतन, भत्तों के रूप में अब तक शासन के करोड़ों रुपए हजम कर चुके और शासकीय सुविधाओं का नाजायज लाभ लेते आए ऐसे फर्जी लोगों को और मौका क्यों दिया जा रहा है? इन सारे मामलों को लेकर में कुछ लोगो ने दावा किया है की आरोपी के. रामा यशवंत जिस सुकमा जिले के स्कूल में पदस्थ है उस जिले के डीईओ और बीजापुर के आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग के बड़े अधिकारी जांच पर जांच का हवाला देकर मामले को उलझाए हुए हैं। जबकि अब तक इस प्रकरण का निपटारा हो जाना चाहिए था। कलेक्टर (आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग) के इस पत्र से एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि बीजापुर जिले में पदस्थ आदिम जाति अनुसूचित जाति विकास विभाग के अधिकारी क्या अनुभवहीं हैं और एक्सपर्ट नहीं हैं? अगर वे अनुभवहीन हैं, तो उन्हें ऐसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी कैसे दे दी गई है? बीजापुर कलेक्टर को इस विषय पर गौर करना चाहिए।कमिश्नर के आदेश का क्या होगा?
के. रामा यशवंत के जाति प्रमाण पत्र के मामले में बस्तर संभाग के आयुक्त ने जांच के आदेश दिए हैं। कोंटा नगर पंचायत के एक जागरूक नागरिक की शिकायत पर आयुक्त ने सुकमा के कलेक्टर को मामले की जल्द जांच कराने हेतु निर्देशित किया है। आयुक्त के निर्देश पर सुकमा कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को जांच हेतु निर्देश दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस जिला शिक्षा अधिकारी पर के. रामा यशवंत को संरक्षण देने के आरोप लग रहे हैं, वे भला ईमानदारी से जांच कैसे करेंगे? इधर सूत्रों का कहना है कि सुकमा के जिला शिक्षा विभाग और बीजापुर के आदिम जाति कल्याण एवं विकास विभाग के अधिकारियों बीच हुए गुप्त समझौते के तहत के. रामा यशवंत के मामले को अब तक लटका कर रखा गया है। सूत्र का दावा है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने वाले के. रामा यशवंत को जेल जाने का भय दिखाकर कई लाख रुपए की वसूली की गई है और इसी लेनदेन की वजह से इस मामले को अबतक लंबित रखा गया है जो इस पत्र से भी साबित होता है।