बस्तर के किशोरों को लगी किसकी काली नजर, नशे के सौदागरों ने उजाड़ा इनका खिलखिलाता बचपन

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जगदलपुर – हरी-भरी वादियों से भरी सुगम्य बस्तर को न जाने किसकी नजर लग गयी कि देश-विदेश से बस्तर की सैर करने आने वाले सैलानी अब बस्तर आने से कतराने लगे हैं. बस्तर का नाम देश-विदेश में नक्सलगढ़ के रूप में प्रचारित किया गया था किन्तु, शासन-प्रशासन एवं आम बस्तरियों के सहयोग से अब बस्तर सबके बीच आमचो बस्तर के रूप में अपनी प्रसिद्धि पा रहा है. सरकार, बस्तर में आने वाले पर्यटकों की संख्या को देखते हुए अब इसे पर्यटन उद्योग के रूप में विकास करते जा रही है. जगदलपुर शहर के पास से गुजरने वाले इन्द्रावती नदी एवं शबरी नदी के तटबंधों से लगे हुए जंगली क्षेत्रों में पर्यटकों के सैर-सपाटे एवं ठहरने की व्यवस्था को व्यावसायिक रूप दिया जा रहा है ताकि पर्यटक, इन्द्रावती और शबरी से लगे हुए क्षेत्रों के सुगम्य स्थलों के नैसर्गिक सुन्दरता को देखकर अभिभूत हो सकें.

सरकार की इस योजना को पिछले कई वर्षों से बस्तर प्रशासन द्वारा अमलीजामा पहनाया गया. दलपत सागर से लेकर आसपास के बस्तरिया प्राकृतिक धरोहरों को पर्यटकों के सामने पेश किया गया ताकि वे बस्तर की खूबसूरती के साथ-साथ यहाँ की संस्कृति से भी परिचित हो सकें. बस्तर में पर्यटक आमतौर पर स्वास्थ्य मनोरंजन एवं बस्तर की हरी-भरी वादियों के दर्शन करने आते हैं लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से समूचे बस्तर के शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी नशे के सौदागर अपने नशीले व्यापार के माध्यम से बस्तर की खूबसूरत छटा को काली घटा में बदलने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं. जगदलपुर शहर में तफरी करने आये कई पर्यटकों में अब आम शिकायत हो रही है कि नशे में झूमते नशेडी युवक, बच्चे एवं महिलाएं बाहर से आने वाले पर्यटकों के साथ, छीना-झपटी के साथ-साथ दुर्व्यवहार करने तक को उतारू हो जाते हैं. इन्ही पर्यटकों के अनुसार, शहर के नए बस स्टैंड से उतरते ही ऐसे नशेड़ियों के साए में आने वाले पर्यटक पढ़कर अपना धन एवं प्रतिष्ठा खो बैठते हैं. एअरपोर्ट से आने वाले पर्यटक भी कुम्हार पारा से जब शहर की ओर आते हैं तब भी ऑटो या टैक्सी वालों के बीच ऐसे नशेडी उन्हें परेशान करने मिल जाते हैं.

एक जानकारी के अनुसार, कुम्हार पारा से लेकर पुराना बस स्टैंड, नए बस स्टैंड से लेकर चांदनी चौक, एवं अनुपमा चौक से लेकर दलपत सागर क्षेत्र का मुहाना के साथ धरमपुरा पीजी कॉलेज से कालीपुर क्षेत्र के दर्जनों दुकानों में नशीली दवाइयों के सौदागर, दवाई दुकान अथवा किराना दुकानों के माध्यम से बेचते मिल जाते हैं. विलिअम-10, नायत्रोंवेट जैसी नशीली दवाई के साथ कोरेक्स के सिरप यहाँ आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. नशीले पदार्थ का सेवन करने वालों में बड़े घरों के बिगडैल संतान के साथ स्लम एरिया के नाबालिग बच्चे भी सुगमता से इन दवाईयों का उपयोग कर अपनी जान के साथ ही साथ अन्य लोगों की जान को भी खतरे में डालते हुए दिख जाते हैं.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शहर के भीतर वर्षों से तैनात सीआरपीएफ कैंप के जवान जो देश के विभिन्न राज्यों से नौकरी करने यहाँ आये हुए हैं उनके द्वारा भी सस्ती, सुलभ व नशीली दवा व्हाइटनर, आयोडेक्स को ब्रेड में लेकर नशा के रूप में उपयोग करते हुए देखा जा सकता है. नया बस स्टैंड के आसपास रहने वाले कई संभ्रांत परिवार के लोगों द्वारा बस्तर जिला प्रशासन से कई बार इस कैंप को यहाँ से हटाने हेतु आवेदन भी दिया जा चुका है लेकिन प्रशासन न जाने क्यों इसे अब तक यहाँ से हटाने तैयार नहीं हुई है. नया बस स्टैंड के आसपास सूर्य अस्त होते ही ऐसे नशा करने वाले जवान आसपास के झुग्गी-झोपडी इलाकों के नाबालिग बच्चे-बच्चियों को ऐसे नशों का पान कराकर उनका शारीरिक शोषण किये जाने की बात भी कई बार सामने आई है लेकिन इस क्षेत्र के लोग इसका प्रतिरोध करने के बजाय ऐसे जवानों से चंद रुपये लेकर अपना मूंह बंद करने में ही भलाई समझते हैं.

बस्तर जिले के संभागीय मुख्यालय में कई जिलों से आने वाले नौकरी-पेशा, रोजगार एवं खिलाडी तबके के लोग भी जगदलपुर में नए बस स्टैंड, इंदिरा स्टेडियम परिसर, पुराने बस स्टैंड, एअरपोर्ट के समीप नशीली दवाइयों की खोज करते हुए देखे जा सकते हैं. हालाँकि, शहर के कोतवाली थाना एवं बोधघाट थाना के अधिकारी एवं कर्मचारी ऐसे नशेड़ियों के खिलाफ धरपकड़ की कार्यवाई करती है लेकिन नशेड़ियों के बीच नशा का सामान उपलब्ध कराने वाले कुछ नशे के सौदागरों जो शहर में ऐसी नशीली दवाइयों का व्यापार कर रहे हैं, पुलिस उनकी हद तक अब भी नहीं पहुँच पायी है.

शहर की कुछ सामाजिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने बताया कि सरकार बस्तर जैसे खूबसूरत एवं उन्मुक्त क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की सुख-सुविधा हेतु कई प्रकार के उपाय कर रही है लेकिन ऐसे असामाजिक तत्व जो अपने नशे के व्यापार को इनके बीच में फैलाकर प्रतिमाह लाखों रुपये कमा रहे हैं. अगर समय रहते ऐसे नशेडी व्यापारी एवं बिगडैल नशेडी जवानों से उनके ऐसे किये जा रहे क्रियाकलापों पर तत्काल रोक नहीं लगायी गयी तो बस्तर का हाल भी उड़ता पंजाब जैसे स्तिथि में हो जायेगा.

राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के जिलाध्यक्ष जगमोहन सोनी द्वारा दिए गए एक आंकड़ों के अनुसार बस्तर जिले में स्लम क्षेत्रों सहित स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाले करीब 20-25 हज़ार से अधिक बच्चे ऐसे नशीली दवाइयों की चपेट में आ चुके हैं, जिनसे इनका भविष्य अंधकारमय हो गया है. इनमें से कई बच्चों की तो ऐसे ही नशे के चलते मौत भी हो चुकी है. सोनी ने कहा है कि इस सम्बन्ध में विशेष योजना बनाये जाने हेतु वे शीघ्र ही कलेक्टर से मुलाकात कर चर्चा करेंगे.

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