राष्ट्रीय स्तर पर अपने ब्लाक-जिला एवं छत्तीसगढ़ राज्य को गौरवान्वित करने वाली परमेश्वरी की ह्रदयविदारक मौत, विभागीय अधिकारियों के नकारात्मक रवैय्ये के चलते न झण्डा फहरा पाई और न मिल पाया सार्वजनिक समारोह में सम्मान और पुरस्कार

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स्वास्थ्य विभाग को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाने वाली परमेश्वरी का गणतंत्र दिवस को विडंबना जनक हालात में सड़क दुघर्टना में हुई ह्रदयविदारक मौत

विभागीय अधिकारियों के नकारात्मक रवैय्ये के चलते न झण्डा फहरा पाई और न मिल पाया सार्वजनिक समारोह में सम्मान और पुरस्कार

ठिठुरती ठंड में 87 कि.मी.स्कूटी चलाकर कोंडागांव पंहुची परमेश्वरी को समारोह में विलंब से पंहुचने के चलते नहीं मिल पाया था सम्मान और पुरस्कार जिससे दुखी होकर फफक फफक कर रो पड़ी थी परमेश्वरी दुखी हताश निराश होकर लौटते वक्त एक ट्रक ने अपनी चपेट में लेकर परमेश्वरी की ले लिया जान

केशकाल।राष्ट्रीय स्तर पर अपने ब्लाक-जिला एवं छत्तीसगढ़ राज्य को गौरवान्वित करने वाली स्वास्थय विभाग की सी.एच.ओ. परमेश्वरी साहू को दिल्ली में सम्मानित और पुरस्कृत होने के बाद गणतंत्र दिवस पर जिला मुख्यालय कोंडागांव में गणतंत्र दिवस पर आयोजित सार्वजनिक समारोह में पुरस्कार प्राप्त करने आमंत्रित किया गया था। परन्तु अपने विभागीय अधिकारी के नकारात्मक मौखिक फरमान का पालन करने के फिराक में वह न अपने संस्था में झंण्डा फहरा पायी और न ही जिला मुख्यालय मे सार्वजनिक समारोह के पुरस्कार वितरंण में समय पर उपस्थित होकर सम्मान और पुरस्कार प्राप्त कर पाई । जिससे वह बहुत ज्यादा व्यथित् दुखित् होकर फफक फफक कर रो पड़ी थी। क्योंकि वह गणतंत्र पर्व पर आयोजित सार्वजनिक समारोह में सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त करने की लालशा संजोए अपने खल्लारी उप स्वास्थ्य केंद्र से स्कूटी से ठिठुरती ठंड में कोंडागांव पंहुची थी। परन्तु पंहुचने में हुए विलंब के चलते समारोह निपट चुका था जिसके चलते उसकी खुशी धरी की धरी रह गयी। जिसके चलते उसे बहुत दुख हुआ और वह फफक फफक कर रो पड़ी। बताया जाता है की उसने अपने पति को फफक फफक कर रोते हुए अपने दुख और दर्द को साझा किया । उसके पति के द्वारा उसे बहुत समझाया गया और उसका ढांढस बढ़ाया गया। जिसके बाद वह अपने आपको संभाली और बहुत दुखी मन से अपने स्कूटी से वापस आ रही थी कि- लंजोडा के पास खूनी ट्रक ने अपनी चपेट में लेकर परमेश्वरी की जान ही ले लिया।

सड़क दुर्घटना में परमेश्वरी की ह्रदयविदारक मौत की खबर देखते ही देखते सोशल मीडिया मीडिया के माध्यम से तेज़ी से फैलने लगा।जिसने भी इस दुखद मौत के बारे में जाना उन सभी ने गहरा दुख व्यक्त करते परमेश्वरी के कार्य-व्यवहार एवं उपलब्धि की सराहना करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया । कोंडागांव के जिला कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मींणा ने परमेश्वरी के आकस्मिक मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए जिला कार्यालय में शोकसभा का आयोजन कर श्रद्धांजलि अर्पित किया जिसमें बड़ी संख्या में जिले के अधिकारी उपस्थित रहे।

29 जनवरी को शोकाकुल परिवार से मिलकर उनके दुख में सहभागी बनते ब्रम्हलीन आत्मा को श्रद्धांजलि देने केशकाल के वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय परमेश्वरी के गृहग्राम-टाटीरास पंहुचे और स्वर्गीय परमेश्वरी को श्रद्धासुमन समर्पित किया।

शोकाकुल परिवार जन ने पत्रकारों को जो जानकारी दिया वह बहुत विडम्बना जनक रहा । हादसे के कुछ समय पहले कोंडागांव से अपने पति को विडियो कालिंग करके फफक फफक कर स्वर्गीय परमेश्वरी ने जिस तरह से अपने दुख को जाहिर किया था वह विडियो देख सभी का ह्रदय द्रवित हो गया। परमेश्वरी के परिवार जन ने बताया कि – कोंडागांव जिला मुख्यालय में आयोजित सार्वजनिक समारोह में पुरस्कार प्राप्त करने हेतु आमंत्रण 25 जनवरी को ही मिल गया था। परमेश्वरी जिला मुख्यालय में पुरस्कार प्राप्त करने का अवसर मिलने को लेकर बहुत खुश थी और वह चाह रही थी की समय रहते वंहा पहुंचकर वह पुरस्कार प्राप्त करें। जिसके बारे में उसने अपने वरिष्ठ अधिकारी बी पी एम से पूछा था तो उन्होंने उसे यह कहा गया कि – पहले अपने संस्था में सुबह झंण्डा फहरा लेना उसके बाद कोंडागांव जाना।जिसकेे चलते अपना मन मारकर परमेश्वरी अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश का पालन करते हुए झंण्डा फहराने के बाद कोंडागांव जाने का अपना कार्यक्रम बनाया। सुबह वह जल्दी उठकर अपने संस्था में झंण्डा फहराने की तैयारी कर झंण्डा फहराने के समय का इंतजार कर रही थी तभी उसे बोला गया की कोंडागांव चले जाओ। जिसके बाद परमेश्वरी अपने स्कूटी से ही कोंडागांव जाने के लिए निकल गयी। कोंडागांव में समय पर पंहुचने के फिराक में वह ठिठुरन भरी ठंड में स्कूटी चलाते कोंडागांव पंहुची। पर वह समय पर पंहुच पाने में कामयाब नहीं हो पायी। पुरस्कार वितरंण समारोह समाप्त हो चुका था। जिसके चलते वह गणतंत्र पर्व के सार्वजनिक समारोह में सम्मान और पुरस्कार पाने से वंचित रह गयी । जिससे उसे घोर निराशा हुई और फफक फफक कर रो पड़ी। उसने वंही से अपने पीड़ा को अपने पति को विडियो कालिंग करके सब बताया था। तब उसके पति ने परमेश्वरी को समझाते बुझाते उसका ढांढस बढ़ाया और कहा की घर आ जाओ। अपने काम से अपने विभाग का नाम रोशन कर गौरवान्वित करने वाली परमेश्वरी अपने विभाग के ही अधिकारी के उपेक्षापूंर्ण नकारात्मक रवैय्ये से मिली वेदना की पीड़ा को लिए बहुत दुखी मन से लौट रही थी कि अचानक लंजोडा के पास हादसा हो गया जिसमें उसे मौत ने अपने आगोश में ले लिया। अब सवाल यह उठता है कि 26जनवरी को जब जिला मुख्यालय में आयोजित सार्वजनिक समारोह में 87किलोमीटर की दूरी पर पदस्थ महिला कर्मचारी को उपस्थित होकर पुरस्कार प्राप्त करने का आमंत्रण भेजा गया था तब अगर विभाग के अधिकारी उस महिला कर्मचारी के समय पर समारोह में उपस्थित हो पाने के समय और साधन सुलभ कराने पर विचार क्यों नहीं किये -? और उसे सुबह पहले अपने संस्था में झंण्डा फहराने के बाद ही जाने का मौखिक फरमान क्यों दिया गया -?विभागीय अधिकारियों के उपेक्षापूर्वक रवैय्ये एवं नकारात्मक विडंबना जनक फरमान के चलते उसे 26जनवरी को कड़कती ठंड में सुबह सुबह स्कूटी से 87कि.मी.की लंबी यात्रा करने का कष्ट झेलना पड़ा और उसके बावजूद समय पर उपस्थित न हो पाने के चलते सम्मान एवं पुरस्कार से वंचित होना न पड़ा। परमेश्वरी के आकस्मिक मौत से दुखी परिवार जन का सोचना है कि अगर अधिकारी अपने कार्य एवं व्यवहार से विभाग को सम्मान और पुरस्कार दिलाने वाली परमेश्वरी के योगदान का कद्र करते उसे गणतंत्र पर्व पर आयोजित समारोह में पहुंचकर पुरस्कार प्राप्त करने के लिए समय दिया होता या साधन सुलभ कराया होता तो शायद यह हादसा भी नहीं होता । परमेश्वरी के मृत्यु से शोक संतप्त परिवार चाहता है कि शासन प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग इस पर संवेदना पूर्वक ध्यान देवे।

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