भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदान राजहरा खदान समूह में कुछ श्रम संगठन और श्रमिक नेता ऐसे भी हैं जो प्रबंधन के अधिकारीयों को गुमराह करते हुए ठेका श्रमिकों का शोषण करने में ठेकेदार के सहायक बनते हैं। उक्त आरोप लगाते हुए भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के उप महा सचिव लखन लाल चौधरी ने बताया कि संघ को ठेका श्रमिकों के माध्यम से यह जानकारी मिली कि दल्ली यंत्रीकृत खदान में कुछ ठेकों में कार्यरत श्रमिकों को वर्ष 2017 क ठेके में उल्लेखित सोडेक्सो कूपन की राशि, कुछ ठेकों के बोनस राशि एवं कुछ ठेकों के समाप्ति के उपरांत श्रमिकों के बकाया अर्जित छुट्टी का पैसा जो उनका वैधानिक हक है अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है और कुछ ऐसे श्रमिक नेता जो दशकों से अपने आप को श्रमिकों का मसीहा साबित करने का लगातार प्रयास करते रहे हैं वे प्रबंधन के उच्च अधिकारीयों से मिलकर इन ठेकेदारों द्वारा श्रमिकों को बकाया छुट्टी का पैसा नहीं देने को सही ठहराते हुए उन ठेकेदारों का फाइनल बिल पास करने की वकालत कर रहे हैं। इसके अलावा ठेका समाप्ति के उपरांत सभी ठेकेदारों का यह वैधानिक और नैतिक बाध्यता है कि वे अपने ठेके में कार्यरत श्रमिकों के पीएफ अकाउंट को क्लोज करें किन्तु अधिकांश ठेकों में ऐसा नहीं किया जाता है जिसके वजह से श्रमिकों के पीएफ खाते में पैसा तो दिखता है लेकिन श्रमिक उक्त पैसे को निकाल नहीं पाते हैं।
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उक्त शिकायत मिलने पर और श्रमिकों के साथ हो रहे इस अन्याय को गंभीरता से लेते हुए भा.म.सं. ने पहल करते हुए प्रबंधन के उच्च अधिकारीयों से लगातार संपर्क किया जिसके उपरान्त विगत पांच वर्षों से अटका सोडेक्सो कूपन का पैसा श्रमिकों को प्राप्त हुआ जिसके लिए संघ राजहरा खदान समूह और बीएसपी प्रबंधन को धन्यवाद और साधुवाद देता है। जहाँ तक श्रमिकों के बोनस और बकाया अर्जित छुट्टी के पैसे की बात है तो संघ ने इस सम्बन्ध में दल्ली यंत्रीकृत खदान के महाप्रबंधक सिरपुरकर एवं खदान के मुख्य महाप्रबंधक तपन सूत्रधार से इस सम्बन्ध में मिलकर चर्चा की और ज्ञापन सौंपते हुए यह कहा कि बोनस और बकाया अर्जित छुट्टी का पैसा ठेका श्रमिकों का वैधानिक हक है और उसे किसी भी हालत में श्रमिकों को दिलवाने हेतु भा.म.सं. प्रतिबद्ध है। माइंस एक्ट 1952 के सेक्शन 52(1)(b), 52(8), & 52(10) के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि बकाया अर्जित छुट्टी का पैसा प्राप्त करना ठेका श्रमिकों का कानूनी अधिकार है और ठेकेदार की कानूनी बाध्यता है। यहाँ यह सोंचने की बात है कि बोनस और बकाया अर्जित छुट्टी के पैसे को माफ कराने हेतु एक ऐसे तथाकथित श्रमिक नेता भी सक्रीय रहे हैं जो खुद भी ठेकेदारी करते हैं और जिनके ऊपर सप्रमाणिक रूप से एक महाप्रबंधक के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रचते हुए ठेका श्रमिकों के शोषण करने और कंपनी के साथ धोखाधड़ी करने के सप्रमाणिक आरोप लगे हैं तथा वर्तमान में संघ उक्त प्रकरण को जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायलय के समक्ष रखते हुए उसपर समुचित कानूनी कारवाई करने की मांग करना तय कर चुकी है।
चर्चा के उपरांत राजहरा खदान समूह प्रबंधन ने संघ के तर्क और प्रस्तुत तथ्यों को मानते हुए इस बात का आश्वासन दिया कि प्रबंधन यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे सभी ठेके जिनके समाप्ति के उपरांत श्रमिकों के पीएफ अकाउंट को क्लोज नहीं किया गया है उनमे आवश्यक सुधार किया जावेगा जिससे श्रमिकों को उनका पैसा मिल सके और आगे से प्रत्येक ठेकों के समाप्ति के उपरांत श्रमिकों के पीएफ अकाउंट को ठेकेदार द्वारा क्लोज किया जावे। साथ ही प्रबंधन ने संघ के प्रतिनिधियों को इस बात से भी आश्वस्त किया कि जिन ठेकों में श्रमिकों के बोनस और अर्जित छुट्टी के पैसों का भुगतान बकाया है उन्हें जबतक ठेकेदार द्वारा भुगतान नहीं कर दिया जाता है तब तक फाइनल बिल निकालने हेतु ठेकेदारों को एनडीसी नहीं दी जावेगी। प्रबंधन के इस आश्वासन पर भरोसा जताते हुए संघ के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि अगर प्रबंधन अपने दिए गए आश्वासन से मुकरता है तो श्रमिकों को उनका वैधानिक हक दिलवाने हेतु संघ कड़े कदम उठाने से भी परहेज नहीं करेगा।
इसके अलावा संघ के प्रतिनिधियों ने हितकसा डैम में कार्यरत श्रमिकों के समस्याओं पर भी विस्तृत चर्चा करते हुए प्रबंधन से यह मांग की कि आने वाले ठेके में प्रबंधन यह सुनिश्चित करने का प्रयास करे कि हितकसा में कार्यरत श्रमिकों को साल भर कार्य मिले। वर्तमान में यहाँ कार्यरत श्रमिकों को साल में लगभग 4-5 माह खाली बैठना पड़ता है और ऐसा प्राकृतिक कारणों से होता है जिसके लिए श्रमिकों किसी भी रूप से जिम्मेदार नहीं हैं। इस पर प्रबंधन ने सकारात्मक बात करते हुए इस बात पर सैद्धांतिक सहमति जताते हुए बताया कि उनके तरफ से इस बात का पूरा प्रयास किया जा रहा है कि आने वाले ठेके में ऐसी व्यवस्था बनाई जावे जिससे हितकसा में कार्य करने वाले श्रमिकों को साल भर कार्य मिलता रहे। इसके अलावा संघ ने इस बात का भी विरोध किया कि कुछ श्रम संगठनों द्वारा हितकसा में कार्यरत श्रमिकों को अन्यत्र दुसरे ठेकों में भेज दिया जाता है और उनके जगह अपने नए आदमियों को भर्ती करने का दवाब बनाया जाता है। इस पर भी प्रबंधन ने बताया कि संघ द्वारा पूर्व में भी इस बात को उठाया गया था जिसे संज्ञान में लेते हुए प्रबंधन द्वारा हितकसा के उन श्रमिकों को जो दुसरे ठेके में कार्यरत थे वापस हितकसा में ही भेजा जा रहा है। संघ की शुरुआत से ही मांग रही है कि अगर हितकसा के श्रमिकों के रोजगार की व्यवस्था करनी है तो सभी 134 श्रमिकों के लिए किया जावे जिससे सभी श्रमिकों को रोजगार पुरे साल भर मिल सके और प्रबंधन पर भी भाई-भतीजावाद का आरोप न लगे।