आदिवासी वर्ग की उपेक्षा, वनाेपज समितियों के जिला यूनियन में अन्य वर्ग के प्रतिनिधि नियुक्त

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अर्जुन झा

आरक्षित पदों पर सामान्य और पिछड़ा वर्ग के लोगों का चुनाव

राज्यपाल ने कहा- राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग करें कार्रवाई

रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्राथमिक जिला वनाेपज समितियों के जिला यूनियन के प्रतिनिधियों के चुनाव में अनुसूचित जनजाति के पदों पर अनारक्षित और पिछड़ा वर्ग के लोगों की नियुक्ति कर दी गई है। ऐसा 128 समितियों में किया गया है। विशेष कर बस्तर के दंतेवाड़ा और सरगुजा के सूरजपुर, कवर्धा और राजनांदागांव जिले में ऐसी गड़बड़ी की गई है। मामले में शिकायत के आधार पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग से आरक्षित पदों पर नियुक्ति को संज्ञान में लिया और इस पर आवश्यक कार्रवाई करने कहा है।

छत्तीसगढ़ में प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों से जिला प्रतिनिधि के सदस्य के रूप में हुआ चुनाव राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग की देखरेख में कराया गया। चुनाव में यह नियम है कि जिन जगहों में पचास प्रतिशत से अधिक मतदाता आदिवासी वर्ग के होंगे वहां से आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधि ही जिला प्रतिनिधि चुना जाएगा। आदिवासी क्षेत्रों में अनारक्षित और पिछड़ा वर्ग के 128 प्रतिनिधि बनाए गए है। इसमें 128 आदिवासी वर्ग के लोगों को चुना जाना था। मामले में बताया गया है कि आरक्षित वर्ग के पद के निए चुनाव अधिकारी ने नामांकन कैसे भरवाया, यह जांच का विषय है।

बालोद में सेवानिवृत्त अधिकारी बना प्रतिनिधि

एक अधिकारी बालोद वनोपज से 2019 में सेवानिवृत हुए बीआर नेताम को प्रतिनिधि बना दिया गया है। प्राथमिक वनोपज समिति के प्रतिनिधि बनने के लिए तेंदूपत्ता तोड़ाई करना अनिवार्य बताया गया है। नेताम अभी कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी भी हैं। बनाए गए प्रतिनिधि को शेयर होल्डर होना अनिवार्य किया गया है, लेकिन कई प्रतिनिधि शेयर होल्डर भी नहीं है।

प्रशिक्षण करा रहे हैं- कुजूर

राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग के आयुक्त सुनील कुजूर ने इस संबंध में बताया कि प्रतिनिधियों के चुनाव का परीक्षण कराया जा रहा है। परीक्षण के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।