(अर्जुन झा)
जगदलपुर। मुन्ना भाइयों की राजनीतिक जंग में मुन्नियों पर आफत आ रही है। कांग्रेस की मुन्नी के पीछे भाजपा के भाई लोग हाथ धोकर पड़ गए तो उन्हें आखिर गिरफ्तार होकर न्यायिक हिरासत में जाना पड़ा। पुलिस ने पार्षद कोमल सेना को गिरफ्तार कर अदालत में भेजा जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजने के आदेश दिए जाने पर कांग्रेस अब भाजपा की मुन्नी के पीछे पड़ गई है। कांग्रेस की मुन्नी के बदले भाजपा की मुन्नी पर भी कार्रवाई चाहिए। स्थानीय कांग्रेस अध्यक्ष राजीव शर्मा ने बाकायदा ऐलान कर दिया कि मुन्नी बाई प्रकरण, दलपत सागर, स्वीमिंगपूल निर्माण घोटाले, दूकान आबंटन सहित कई घोटाले हुए हैं,उस पर अब कांग्रेस मांग करती है कि इस मामले में कार्रवाई हो। शहर कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को संवैधानिक व्यवस्थाओं पर भरोसा नहीं है। गरीबों की आड़ में ब्लैकमेलिंग और गुंडागर्दी की राजनीति कर रहे हैं। जबकि महिनों से अपराध में शामिल भाजपा पदाधिकारी छुट्टा घूम रहे हैं। वैसे जब पीएम आवास के नाम पर लोगों से रकम लेने का आरोप सामने आया था तब से भाजपा पार्षद कोमल सेना पर कार्रवाई के लिए आंदोलन कर रही थी। वह इस मामले में राजभवन तक पहुंच गई। राज्यपाल ने जांच के निर्देश दिए तब कोमल पर कठोर कार्यवाही हो गई।
इसके बाद आरटीओ ऑफिस विवाद में भाजपा नेताओं के खिलाफ भी कार्यवाही हुई। यह मामला एक साल बाद तब रंग लाया, जब भाजपा के भाई कांग्रेस की मुन्नी के पीछे पड़े। वरना इसके पहले याराना चल ही रहा था। यदि भाजपा कोमल के पीछे न पड़ती तो कांग्रेस को भी आरटीओ मामले में फुर्ती दिखाने की कोई जरूरत महसूस नहीं हो रही थी। अब भाजपा ने सत्ताधारी दल को छेड़ा है तो भाजपा की सत्ता के समय की हर बात कांग्रेस को याद आयेगी ही। कांग्रेस ने खुलकर मुन्नी बाई प्रकरण सहित कई और मामले उठाए हैं तो संकेत समझा जा सकता है कि अब चर्चित मुन्नीबाई प्रकरण की फाइल से धूल झाड़ी जा सकती है। वह मामला नए सिरे से खुल सकता है। गौरतलब है कि भाजपा सरकार के समय एक मुन्नी अपनी बहिन के बदले परीक्षा देने के मामले में चर्चित हुई थी और उस मुन्नी के जीजाजी ने कांग्रेस की मुन्नी के मामले में विरोधी दल के नेता की भूमिका निभाई। कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलना उनका राजनीतिक दायित्व था लेकिन अब कांग्रेस भी भाजपा की मुन्नी के मामले में अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहती है तो इसे बदलापुर की राजनीति कहें या कुछ और, राजनीतिक सरगर्मी बढ़ना तय है। इधर एक बात यह भी काबिल ए गौर है कि बस्तर में विवादित बोल के बाद भाजपा की प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी संयम बरतते हुए जगदलपुर की भाजपाई पंचायत से दूर ही रहीं। इसके भी कई राजनीतिक मायने निकाले जा सकते हैं।