माओवादियों के विरोध में संभाग आयुक्त कार्यालय के सामने पत्रकारों ने दिया धरना

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जगदलपुर। माओवादियों ने 9 फरवरी को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सुकमा जिले के पत्रकार लीलाधर राठी और बीजापुर के पत्रकार गणेश मिश्रा सहित तीन अन्य पत्रकार साथियों के नाम पर आरोप लगाकर जनता की अदालत में सजा देने की बात कही थी ।इस विज्ञप्ति के विरोध में जिला पत्रकार संघ बीजापुर द्वारा बस्तर संभाग के सभी पत्रकारों के साथ मिलकर आंदोलन करने का ऐलान किया था। 16 फरवरी को नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले गंगालूर में पत्रकारों ने बाइक रैली निकाली और आज 18 फरवरी को संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में

कमिश्नर ऑफिस के सामने धरना स्थल पर प्रदेश भर के पत्रकारों ने इस विज्ञप्ति के विरोध में आंदोलन किया ।इस आंदोलन में सभी पत्रकारों ने एकजुटता दिखाते हुए आंदोलन को सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। इस आंदोलन से पहले बीती रात नक्सलियों ने एक और विज्ञप्ति जारी करते हुए पत्रकार साथियों से आंदोलन को वापस लेने तथा पत्रकारों के साथ बैठक कर चर्चा करने की बात कही थी। बहरहाल जिला मुख्यालय में आंदोलन के तहत सभी पत्रकार मौजूद रहे। इस मौके पर जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष एस करीमुद्दीन ने कहा कि जब यह आंदोलन शुरू हुआ तो नक्सली मजबूर हो गए, की हम पत्रकारों से बैठकर बातचीत करें। लेकिन हम यह जरूरी नहीं समझते कि उनसे बात करें या एक तरफा कोई कार्रवाई करें और आज बात कर लेंगे लेकिन कल फिर एक चिट्ठी दे देंगे। सारी चीजें स्पष्ट होनी चाहिए, तभी हम आश्वस्त हो सकते हैं, हम अपने पत्रकार साथियों से भी कह सकते हैं कि जिन इलाकों मे आप काम कर रहे हैं, निष्पक्ष होकर काम कर रहे हैं,और पूरी निडरता और निष्पक्षता के साथ काम कर रहे है। अब शासन और प्रशासन की निगाहें भी पत्रकारों पर है, अब ऐसी स्थिति मे पत्रकार क्या करें। प्रबंधन को भी पत्रकारों का साथ देना चाहिए क्योंकि पहले जो नक्सली थे आज वो बदल गए और उनकी विचार धारा भी बदल गई है तो ऐसी स्थिति में पत्रकारों को जरूरत है कि खुद संभल कर काम करें और दूसरी बात यह है कि एक रणनीति तय की जाएगी जिसके तहत उनसे बातचीत की जाएगी।

पत्रकार साथी गणेश मिश्र ने बताया कि नक्सलियों द्वारा जो प्रेस नोट जारी किया गया है। उस प्रेस नोट के बाद उसी लाइन से और उसी लेटर पेड से माओवादियों के वर्तमान में बस्तर जोनल कमेटी के ओर से एक और विज्ञप्ति जारी कि गई है। वर्तमान में पत्रकारिता को लेकर जो परिस्थितियां हैं वह बहुत ज्यादा विपरीत है पहले और अब में काफी अंतर है। मैं यहां पर नेशनल,लोकल या स्टेट की पत्रकारिता की बात नहीं करूंगा मैं सिर्फ पत्रकारिता की बात करूंगा आप चाहे शहर में रहकर पत्रकारिता करें या फिर अंदरूनी इलाकों में जाकर पत्रकारिता करें। चुनौतियां उतनी ही है, लेकिन अंदरूनी इलाकों में खतरा ज्यादा रहता है, और शहरों में

चुनौतियां ज्यादा होती है। ऐसा हुआ कि जिस रास्ते में हम निकल रहे थे उस रास्ते में काफिला को उड़ा दिया गया था। इस तरह से हम सभी पत्रकार साथी रिपोर्टिंग करते हैं, और सारी खबरें जो हम निकाल कर लाते हैं, यही खबरें बाद में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरें बनती है।इस आंदोलन में मुख्य रूप से एस करीमुद्दीन, उमाशंकर शुक्ल, हरजीत सिंह पप्पू, वीरेंद्र मिश्रा, रवि दुबे, धर्मेंद्र महापात्र, मनीष गुप्ता, शंकर तिवारी, स्वरूप राज दास, अर्जुन झा, नरेश मिश्रा फगनू राम साहू, सुरेश रावल, हेमंत कश्यप, अनिल सामंत, मालिनी सुब्रमण्यम, पुष्पा रोकड़े, वहाब खान, महेंद्र विश्वकर्मा, विनय पाठक, रवि राज पटनायक, श्रीनिवास नायडू, श्रीनिवास रथ, सुनील मिश्रा, कमल शुक्ला, डी एस नियाजी, रितेश पांडे, अजय श्रीवास्तव, सतीश यादव, गणेश मिश्रा, मुकेश चंद्राकर, जीवानंद हलदर, लीलाधर काठी, सतीश चांडक, दिलीप सिंह, आदर्श शुक्ला, नरेश देवांगन, सुजाता चक्रवर्ती, अजय चंद्राकर, वह बस्तर संभाग के समस्त पत्रकार साथी उपस्थित थे।