नमक कमी अफवाह का नमक हराम कौन ? “लाख जतन बावजूद अधिक कीमत में बेचा जा चुका प्रतिबंधित सामग्री “।

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डौंडी । गोरेलाल सोनी
सब्जी की स्वाद में सबसे अहम वस्तु की अचानक साल्टेज होने की अफवाह खबर ने कल जिले सहित राज्य राजधानी को भी बेमतलब सकते में डालने की कोशिश की गई। जिससे अफवाह फैलाने वालों की नापाक मंसूबे स्पष्ट समझा जा सकता है, लेकिन फेक अफवाह फैलाने वालों पर इंटिलेज की पैनी नजर रखने की बात कही जाने पर सोचनीय विचार रखना निहायत जरूरी होता जा रहा है।

गौरतलब है कि सोमवार को बालोद, दुर्ग व अन्य जिलों सहित राजधानी रायपुर में भी नमक साल्टेज की अफवाह जंगल की आग की तरह तेजी से फैल गयी।
जिसके कारण इस अफवाह से बेखबर कुछ लोग तेजी के साथ नमक पैकेट खरीदने भी दुकानों में पहुंचने लग गए। हालांकि प्रशासन द्वारा नमक की जरा भी किल्लत इस लाकडाउन में नही होने की सूचना देने की बात राहत की खबर रही। लेकिन इस अफवाह ने कई सवाल भी खड़े किये वह यह कि जब राज्य सरकार प्रत्येक बीपीएल राशन कार्ड धारियों को मुफ्त दो किलो नमक पैकेट उपलब्ध करा रहा और प्रत्येक किराना दुकानों में नमक की उपलब्धता इफरात है। तो फिर ये अफवाह के पीछे किसका और क्या मकसद पैदा हुआ। जबकि शासन प्रशासन अफवाह फैलाने वाले फेक न्यूज पर निगाह रखने की बात कहती आ रही ।


इससे पूर्व भी लाकडाउन से सालों पहले इंसानों में धीमा जहर का कारण जर्दायुक्त पान मशालों व पर्यावरण का घातक प्लास्टिक पेलोथिन पर पूर्ण प्रतिबंध बावजूद क्रय विक्रय होना। तथा लाकडाउन में प्रतिबंध लगाने बाद भी छुपे रुस्तम गुडाखु, तम्बाखू, बीड़ी, सिगरेट, जर्दा गुटका आदि 50व अधिक दामो में विक्रय किया जाना किसकी दूरदर्षिता सोच का परिणाम को दर्शा रहा है। हालांकि प्रशासन को जहां भी इस तरह की विक्रय होने की जानकारी या शिकायत प्राप्त हुई उन्होंने कार्रवाई भी किया है।बात की जाए मंझोले व्यापारीयों की तो उन्होंने ने भी बड़े कालाबाजारियों से मिल रही इन सामाग्रियों को क्रय कर आगे छोटे दुकानदारों को विक्रय कर अपना लाभ चाहा है। किंतु सबसे बड़े मछलियों को किसका शह रहा यह तो प्रश्न का प्रश्न ही है। किन्तु राज्य में बात अब नमक तक आ पहुँची इस अफवाह का दोषी कौन है।