रायपुर विधानसभा में वन विभाग में टेंडर का घोटाला का मामला उठा । वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने स्वीकार किया कि वन अफसरों ने 37 टेंडर निकाले थे, उनमें से 33 में गड़़बड़ी पाई गई है। मामले में जिम्मेदार 9 अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इन अफसरों में से 7 भारतीय वन सेवा और दो राज्य वनसेवा के अधिकारी हैं। वन मंत्री ने कहा, नोटिस का जवाब आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी।
प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पूछा कि टेंडर में क्या अनियमितता मिली थी और दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई है। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने अनियमितता और नौ अफसरों के दोषी होने की पुष्टि की। वन विभाग के टेंडर गड़बड़ी की प्रारंभिक जांच में नौ अधिकारी दोषी पाए गए हैं। इनमें 7 भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं। उन्हें नोटिस दी गई है, जवाब आने पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि निविदा में 30 दिन की अवधि होनी चाहिए लेकिन 21 दिन का समय दिया गया था। निविदा में भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया। वन मंत्री ने बताया, अभी मामले में किसी को जांच अधिकारी नहीं बनाया गया है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक विकास योजना एवं प्रधान वन संरक्षक वन्य प्राणी क्षरा सभी निविदाओं का परीक्षण कर निष्कर्ष के आधार पर भंडार क्रय नियम का उल्लंघन होना पाया गया। विभागीय कार्रवाई जारी है। सभी को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है। अधिकारियों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है।
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यह केवल चार जिलों, हर जगह गड़बड़ी – कौशिक
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बताया कि 33 टेंडरों में गड़बड़ी का मामला तो केवल चार जिलों का था। अभी बलरामपुर में भी एक मामला सामने आया है। सामग्री खरीदी में लगभग हर जगह गड़बड़ी मिल रही है। नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। इसके बाद भी सरकार समय से जो कार्रवाई होनी चाहिए वह नहीं कर रही है। इससे भ्रष्टाचार के बढ़ावा मिल रहा है।
इनका नाम शामिल
जिन 9 अधिकारियों का नाम टेंडर गड़बड़ी में आ रहा है, उनमें भारतीय वन सेवा के नायर विष्णुराज नरेंद्रन, आयुष जैन, अमिताभ बाजपाई, स्टाइलो मंडावी, विजया विनोद कुर्रे और अशोक कुमार पटेल का नाम शामिल है। वहीं राज्य वन सेवा के तीन अफसरों में एनके शर्मा, डीके साहू और डीके मेहर के नाम शामिल हैं।