सत्ता और संगठन के बीच सामंजस्य की कमी कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम का इस्तीफा

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भूपेश से नाराज़गी के चलते बड़ी कार्रवाई

रायपुर। (होली समाचार)

छत्तीसगढ़ में सत्ता और संगठन के बीच सामजस्य की कमी के चलते प्रदेश संगठन में आपसी खींचतान बढ़ गई है। मामला एआईसीसी तक पहुंचा तो प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने भी कह दिया कि प्रदेश में चुनाव दो साल से कम समय बचा है उसके पहले यहां पर संगठन में असंतोष देखने को मिल रहा है। एआईसीसी ने प्रदेश प्रभारी के रिपोर्ट के बाद इशारा कर दिया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदला जाए। पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम को इसका पता चलते ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दिया है। अब उनको सरकार में मंत्री बनाने या फिर केंद्र में भेजे जाने के संकेत मिल रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया गया। उनके मुख्यमंत्री बनने के एक साल बाद मोहन मरकाम को आदिवासी क्षेत्र के विधायक होने के कारण प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। मरकाम के अध्यक्ष बनने के बाद संगठन के कामकाज में पहले तो सुस्ती देखी गई। नियुक्ति के 6 माह बाद उनकी कार्यकारिणी बनी। कार्यकारिणी में उनके पसंद के आधार पर कई पदों में नियुक्ति दी गई। प्रदेश और जिला कार्यकारिणी बनने के बाद कई जिलों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति भी हुई। सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाने प्रदेश अध्यक्ष को कई गार प्रदेश प्रभारी ने ताकीद की पर इसे लेकर वे असफल रहे। चाहे वह राजनांदगांव का मामला हो या बिलासपुर का वहां पर संगठन और विधायक के बीच पटरी नहीं बैठ पाई। जांजगीर-चांपा जिले में अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने मरकाम को कई बार कहा पर उन्होंने नहीं उठाया। अंतत: दिल्ली के निर्देश पर हटाया गया।

कार्यकारिणी में भी दो गुट

प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भी पीसीसी अध्यक्ष के समक्ष सत्ता और संगठन के बीच सामजस्य नहीं बैठने को लेकर कई बार शिकायत की गई। एक बैठक में मुख्यमंत्री ने मरकाम पर बैठक की सूचना नहीं देने का आरोप लगाते हुए कहा कि संगठन के मुखिया इसकी जानकारी दे तो सत्ता इस पर विचार करें। संगठन से कोई जानकारी नहीं आती ऐसे में कोई किसी कांग्रेस पदाधिकारी की क्या मंशा है उसे कैसे समझेगा।

निगम मंडल में नियुक्त पर विवाद

निगम मंडल में नियुक्ति को लेकर संगठन की ओर से मोहन मरकाम ने कई पदों पर नियुक्ति के लिए नाम दिए थे। वहीं मुख्यमंत्री ने सूची और जिले में कांग्रेस के पुराने पदाधिकारियों का नाम नहीं होने पर नाराजगी जताई थी। आपसी मालमेल नहीं होने के कारण निगम मंडलों में सरकार के दो साल का कार्यकाल पूरा होने तक कोई नियुक्ति नहीं हो पाई। संगठन के कार्यकर्ताओं में नाराजगी के चलते भी पीसीसी अध्यक्ष पर ठिकरा फोड़ा गया। मामले में मुख्यमंत्री ने एक बैठक बुलाई उसमें भी मरकाम शामिल नहीं हुए।

सदस्यता अभियान रूचि नहीं

प्रदेश कांग्रेस संगठन को 10 लाख नए सदस्य बनाने का टारगेट दिया गया था। टारगेट 15 फरवरी तक पूरा किया जाना था। प्रदेश अध्यक्ष मरकाम ने इसे पूरा नहीं किया। प्रदेश में सरकार होने के बाद भी जिलाें में कांग्रेस के सदस्य बनाने में प्रगति नहीं होने पर प्रदेश प्रभारी और कांग्रेस के निर्वाचन पदाधिकारियों ने मरकाम को कार्यशैली में बदलाव लाने की चेतावनी दी थी। बस्तर के तीन और सरगुजा संभाग के कई जिलों में कम सदस्य बने थे। वहाीं राजधानी सहित कई बड़े जिलों में लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया, इसे भी मरकाम की कमजोरी माना गया है।

चुनाव के पहले नई रणनीति

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के तीन साल पूरे हो गए हैं। अब दोबारा सत्ता में आने नई रणनीति बन रही है। प्रदेश प्रभारी पुनिया ने संगठन में असंतोष को दूर करने का सुझाव दिया। सरकार ने संगठन को योजनाओं के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दी गई थी, इसे पूरा नहीं कर पाई। ऐसे में अब संगठन में किसी नए व्यक्ति को अध्यक्ष बनाकर उनके नेतृत्व में चुनाव में उतरने का निर्णय लिया गया है। ताकी कांग्रेस दोबारा सत्ता में आ सके।