भारतवर्ष के संस्कृति एवं गोवंश के संवर्धन हेतु समर्पित छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध तीर्थ श्री जामडी पाटेश्वर धाम जहां पर 25 करोड़ रुपए की लागत से विश्व की पहली मां कौशल्या जन्मभूमि मंदिर का निर्माण 15 वर्षों से हो रहा है।
हजारों वर्षों से आदिवासी समाज के पूजा स्थल के रूप में यह स्थान जाना जाता है साथ ही 1975 से परम पूज्य सदगुरुदेव श्री राज योगी बाबा जी कि यह तपस्थली है बालयोगेश्वर संत राम बालक दास जी सन 1986 में 9 वर्ष की उम्र से यहां गुरुदेव के साथ रहते हुए पूरे
छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन भारतवर्ष में गौ रक्षा एवं सनातन धर्म के लिए कार्य कर रहे हैं इन 45 वर्षों के अंतराल में कई बार फॉरेस्ट विभाग के द्वारा कई प्रकार के पत्र पाटेश्वर सेवा संस्थान को प्राप्त हुए सभी का संस्थान ने समयानुसार जवाब भी दिया लेकिन संस्थान में अवैध कब्जा और बेदखली शब्द का उपयोग करते हुए पहली बार इस प्रकार का नोटिस डीएफओ बालोद द्वारा
दिया गया है पाटेश्वर धाम की तरह बालोद जिला और छत्तीसगढ़ में बहुत से देवस्थान फॉरेस्ट भूमि पर हैं लेकिन केवल पाटेश्वर धाम को नोटिस दिया जाना और षडयंत्र पूर्वक ग्राम पंचायत से लेकर आदिवासी समाज को भड़का कर पाटेश्वर धाम के खिलाफ करने का प्रयास करना बहुत ही निंदनीय है।
इस हेतु भक्तों के निवेदन पर आज पाटेश्वर धाम के संचालक श्री राम बालक दास जी ने महामहिम राज्यपाल अनुसुईया उईके जी से सौजन्य मुलाकात कर सभी विषयों की जानकारी उन्हें प्रदान की महामहिम राज्यपाल महोदया ने सभी विषय को सुनने पर श्री राम बालक दास जी को आश्वस्त किया एवं सहयोग करने की बात कही मंदिर परिसर बालोद जिला संविधान के
पांचवी अनुसूची में आने से इस अनुसूची के संवैधानिक प्रमुख महामहिम राज्यपाल होते है। श्री जामडी पाटेश्वर धाम के संत राम बालक दास महात्यागी आज राजभवन में राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके से मिले और उन्होंने राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके को बालोद जिले के वन मंडलाधिकारी सतोविसा समाजदार के द्वारा श्री जामडी पाटेश्वर धाम के संत राम बालक दास
महात्यागी को मंदिर निर्माण स्थल पर स्थित मंदिर के निर्माण से संबंधित प्रमाण तथा निर्माण की अनुमति से संबंधित कागजात प्रस्तुत करने कहा तथा कागजात प्रस्तुत नही करने पर मंदिर परिसर स्थल पर किये गए निर्माण कार्यो को हटाने की कार्यवाही करने संबंधी पत्र प्रेषित किया है।
संत राम बालक दास महात्यागी ने राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके को बताया कि श्री जामडी पाटेश्वर धाम में गुरुदेव श्री राम जानकी दास महात्यागी वर्ष 1975-76 में वहाँ के वनांचल छेत्र के नागरिकों के अनुरोध पर पहुँचे थे । गुरुदेव के आगमन उपरांत वनांचल के लोगो द्वारा स्वयं के सहयोग से मंदिर निर्माण कराया गया । मंदिर निर्माण उपरांत गुरुदेव के तप स्थली पर लोगो की धार्मिक आस्था दिनों दिन बढ़ते गया और आज श्री जामडी पाटेश्वर धाम लाखो भक्तो के आस्था का प्रतीक बनकर पूरे देश मे प्रसिद्ध हुआ है।पूरे देश से भक्तगण प्रतिदिन हजारों की संख्या में लगातार मंदिर परिसर में आते है।
पाटेश्वर धाम आने वाले भक्तो की सुविधा के किये प्रदेश सरकार द्वारा भी विश्राम हेतु भवन निर्माण ,पेयजल व्यवस्था ,विद्युत व्यवस्था सहित अनेक सुविधाए उपलब्ध कराया गया है। साथ ही पाटेश्वर धाम संस्था द्वारा उक्त भूमि का पट्टा दिए जाने बाबत विगत कई वर्षों से वन विभाग से पत्राचार तथा आवश्यक कार्यवाही भी किया गया है। इतने वर्षों बाद वन विभाग के बालोद जिला वन मंडलाधिकारी द्वारा मंदिर निर्माण परिसर में निर्मित मंदिर तथा शासन द्वारा
निर्मित निर्माण कार्यो को तोड़े जाने संबंधी पत्रों से समाजिक सदभावना खराब होने की संभावना पैदा होने लगी है। देश भर में रहने वाले पाटेश्वर धाम के भक्तो में आक्रोश व्याप्त होने लगा है। देश मे सौहाद्र पूर्ण वातावरण बनाये रखने तथा हिन्दुओ के आस्था से संबंधित होने से वन विभाग द्वारा की जा रही कार्यवाही पर रोक लगाया जाए तथा मंदिर परिसर से संबंधित भूमि का पट्टा दिलाने की कार्यवाही करने का कष्ट करें।
उपरोक्त जानकारी मीडिया में श्री दुर्गा प्रसाद साहू गौभक्त ने दी है।