मनरेगा घोटाला, जिला पंचायत सीईओ सहित 15 निलंबित

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रिटायर्ड डीएफओ से भी हो सकती है वसूली की कार्रवाई

पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने सदन में की निलंबन की घोषणा

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में मरवाही वन मंडल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पुलिया और स्टॉपडेम निर्माण में अनियमितता के मामले में पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने माना कि इसमें गड़बड़ी हुई है। उन्होंने मामले में जिला पंचायत सीईओ सहित 15 वन अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित करने की घोषणा सदन में की। जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र ठाकुर के निलंबन की भी घोषणा की गई. गड़बड़ी करने वाले एक तत्कालीन डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी समन्वय में भेजी जाएगी।

मामला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के मरवाही वन मंडल से जुड़ा हुआ है। सत्तापक्ष के विधायक गुलाब कमरो ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से मामला उठाया। उन्होंने कहा, मरवाही वन मंडल के ग्राम चुकतीपानी, टाड़पथरा, पकरिया, केंवची, पंड़वनिया और तराईगांव में पुलिया और स्टापडैम का निर्माण कराना था। इन गांवों में 33 काम के लिए सामग्री की राशि निकालकर गबन कर लिया गया, जबकि काम हुआ ही नहीं है। जिला कलेक्टर की जांच में यह साबित भी हो गया है। सदन में टीएस सिंहदेव ने बताया कि मेरे पास जिला कांग्रेस कमेटी के मनोज गुप्ता की शिकायत आई थी कि मामले में मनरेगा के नियमों का उल्लंघन किया गया है।

80 प्रतिशत समाग्री खरीदी

सदन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया कि कुल 7 करोड़ की राशि का आबंटन किया गया था, इसमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा समाग्री खरीदी की गई। 14 प्रतिशत लेबर भुगतान किया गया है। मटेरियल का एक मुश्त भुगतान कर दिया गया। यहां पर 6 करोड़ की समाग्री खरीदी में मात्र 1 करोड़ की समाग्री पाई गई है। सीईओ जिला पंचायत ने प्राकलन स्वीकृति के अभाव में काय्र जारी किया यह गलतमी की है। मरवाही के वन मंडलाधिकारी ने नियमों का उल्लंघन किया है। वन और पंचायत दो विभागों के बीच का मामला होने की वजह से कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।

अध्यक्ष ने कहा, निलंबित कर जीएडी को दें सूचना

उसके बाद विपक्ष के विधायक भी खड़े हो गए। उनका कहना था, जब अनियमितता साबित हो गई तो दोषी अधिकारियों को क्यों बचाया जा रहा है।

मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, हमारे काम करने की एक सीमा है। हम प्रथम श्रेणी के अधिकारियों और रिटायर्ड डीएफओ पर कैसे कार्रवाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा, प्रथम श्रेणी के अधिकारियों का मामला उनके विभागों में समन्वय के लिए भेजेंगे। शेष 14 लोगों को निलंबित कर दिया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इसमें भी हस्तक्षेप किया। उन्होंने कहा, आप जिम्मेदारों को निलंबित कर सामान्य प्रशासन विभाग को सूचना भेज सकते हैं। इसके बाद मंत्री ने जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ सहित 15 अधिकारियों-कर्मचारियों के निलंबन की घोषणा करता हूं।

सीईओ गजेंद्र ठाकुर पर कार्रवाई

मामले में शामिल सीईओ गजेंद्र सिंह ठाकुर अभी जांजगीर-चांपा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ठाकुर के बिलासपुर जिला पंचायत सीईओ रहते हुए मनरेगा में यह गड़बड़ी हुई थी। कलेक्टर की जांच में भी उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। प्राथमिक जांच में दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों को इस घोटाले का जिम्मेदार मानकर कार्रवाई की गई है।

इन वन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई

राकेश कुमार मिश्र, सेवानिवृत्त तत्कालीन प्रभारी वन मंडलाधिकारी, केपी डिंडौरे तत्कालीन उप वन मंडलाधिकारी गौरेला,गोपाल प्रसाद जांगड़े तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी,अंबरीश दुबे तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक गौरेला, अश्वनी दुबे तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक केंवची,उदय तिवारी तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक पिपरखुंटी,अनूप कुमार मिश्रा तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक पंकरिया, राजकुमार शर्मा सेवानिवृत्त तत्कालीन प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी गौरेला, वीरेंद्र साहू तत्कालीन वन रक्षक चुकतीपानी, दीपक कोसले तत्कालीन वन रक्षक ठाडपथरा, देवेंद्र कश्यप तत्कालीन वन रक्षक पंडवनिया, पन्नालाल जांगड़े तत्कालीन वन रक्षक आमानाला, नवीन बंजारे तत्कालीन वन रक्षक, पकरिया, लाल बहादुर कौशिक तत्कालीन वन रक्षक, केंवची और नीतू ध्रुव तत्कालीन वन रक्षक ठेंगाडांड पर कार्रवाई की गई।