प्रदेश सरकार पूरी तरह फेल – केदार, आदिवासी समाज उपेक्षा का शिकार

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सुकमा जिले मे आदिवासी समाज के उग्र प्रदर्शन के 48 घंटे के बाद भी शासन प्रशासन नींद से नही जागा है। प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार की इससे बड़ी विफलता और क्या होगी , जब मंत्री कवासी लखमा व प्रशासनिक दबाव के बावजूद सुकमा जिले के 15000 से ज्यादा आदिवासी 20 सूत्रीय मांगो को लेकर कलेक्टोरेट का घेराव तक कर दिऐ।

उक्त बातें पूर्व मंत्री और भाजपा प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने विज्ञप्ति के माध्यम से कही है ।

कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है , कि दूर दराज के आदिवासी अपनी जायज मांगो को लेकर सारी बाधाऐं तोड़ते हुए कलेक्टर के चैंबर के बहुत नजदीक तक पहुंच गये थे। सुकमा जिले मे भ्रष्टाचार तो सुना ही था , लेकिन जिस तरह से आदिवासी समाज की उपेक्षा की जा रही है उसका खामियाजा पूरे बस्तर संभाग मे कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा । सुकमा कलेक्टर द्वारा आदिवासी समाज की उपेक्षा कोई बड़ी बात नही है पूरे छत्तीसगढ़ मे इस तरह का वातावरण निर्मित किया गया है।

कश्यप ने कहा कि जैसी जानकारी मिली है कि सुकमा कलेक्टर सहित कई स्थानों पर तो बकायदा किससे मिलना है किससे नही इसकी सूची तक जारी हुई है। सुकमा मे जिस तरह से बाप बेटे का आतंक है , उसी का ये जीता जागता उदाहरण है। दोनो के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को आदेशित किया गया है कि वे किससे मिलेंगे किससे नही। इससे पूर्व में भी विपक्ष के कुछ युवा साथियों से भी कलेक्टर ने दहशत के चलते मिलने से इंकार कर दिया था जबकि वे सभी बेरोजगारों की समस्या को लेकर ज्ञापन देना चाहते थे। सुकमा जिले में किसी भी निर्माण कार्य की स्वीकृती से पूर्व कमीशन दर 10 से 15 फीसदी भी फिक्स है, और यही सब कारण है कि सुकमा व रायपुर के बंगले से कलेक्टर व एसपी को रिमोट के माध्यम से चलाया जा रहा है। सुकमा जिले मे पदस्थ डीएमसी श्याम चैहान पर कई बड़े गंभीर प्रमाणित आरोप आदिवासी समाज द्वारा लगाये गये है। एक शिक्षक द्वारा कलेक्टर से भी ज्यादा पाॅवर रखने का आरोप हजारों आदिवासियों ने अपने ज्ञापन मे लगाया है। बावजूद इसके , स्थानीय मंत्री का संरक्षण होने के कारण उसे हटाया नही जा रहा है।

कश्यप ने कहा कि प्रदेश मे भाजपा की सरकार आने के बाद ऐसे लोगो को चिन्हांकित कर कड़ी कार्यवाही की जावेगी। शासन को चाहिऐ कि आदिवासी समाज के सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए समय सीमा के भीतर कार्यवाही करे जिससे कि भविष्य मे होने वाले आक्रोश से बचा जा सके।