वर्षो से लंबित नियमितिकरण की मांग को लेकर आयुष चिकित्सा अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री को सौपा ज्ञापन

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रायपुर: छत्तीसगढ़ संविदा आयुष चिकित्सा अधिकारी संघ ने मुख्यमंत्री,स्वास्थ्य मंत्री, श्रम मंत्री को पत्र लिखकर अपने नियमितीकरण की मांग की । संघ की प्रांताध्यक्ष डॉ शिरीन सिंह ने बताया कि सरकार अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने के वादे के साथ सरकार में आयी, इसी वादे के तारतम्य में इसी हफ्ते सरकार द्वारा दो वर्ष की सेवा पूर्ण किए हुए 16278 शिक्षाकर्मियों को नियमित किया गया है, जो कि न्यायपूर्ण निर्णय है,और सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है । परन्तु हम सभी संविदा आयुष चिकित्सक विगत 17 वर्षों से सेवा दे रहे हैं और पिछले चार महीने से कोरोना महामारी से कोरोना वारियर्स के रूप में संघर्षरत हैं, ऐसे में हमें नियमित ना करना हमारे लिए अत्यंत निराशाजनक एवं घोर पीड़ा दायक है । छत्तीसगढ़ शासन में आयुष विभाग के अंतर्गत कूल 410 संविदा आयुष चिकित्सक राज्य सरकार में स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध कार्यरत हैं।

हम सभी चिकित्सक विगत 12-17 वर्षों से आम जनता की सेवा कर रहे हैं, पर इतनी लंबी सेवा के बावजूद अभी तक हमारी नौकरी को नियमित नहीं किया गया है, जबकि हमारे नियमितीकरण की मांग विगत 10 वर्षों से शासन स्तर पर लंबित है। हम सभी 410 संविदा आयुष चिकित्सक कोविड-19 वैश्विक महामारी की रोकथाम में अग्रिम पंक्ति में रहकर अपनी सेवा आम जनता एवं राज्य सरकार को दे रहे हैं । हममें से अधिकांश चिकित्सक कोविड-19 के क्वारंटाइन सेंटर, सर्विलांस टीम, सैंपल कलेक्शन टीम, स्क्रीनिंग टीम, आइसोलेशन वार्ड, रैपिड रेस्पॉन्स टीम, फ्लू ओपीडी, हेल्पलाइन और कंट्रोल टीम, ट्रेसिंग टीम, मोबाईल मेडिकल टीम, ट्रीटमेंट सेंटर आदि में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, शेष चिकित्सक आयुष इम्यूनिटी बूस्टर काढ़ा वितरित कर, आयुष ओपीडी आदि में सेवा देते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना वायरस से संघर्षरत हैं । हम सभी चिकित्सक अपनी सेवा इस महामारी में देते हुए राज्य को कोविड-19 वैश्विक महामारी से बचाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं । हमें आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि हमारे संघर्ष से कोरोना हारेगा और छत्तीसगढ़ जीतेगा ।

इस संघर्ष में कहीं न कहीं हम संविदा चिकित्सकों के मन में अवसाद की स्थिति बनी हुई है, कि कहीं इस बीमारी की चपेट में आने से अगर हमारी जान चली गई तो हमारे बाद हमारे परिवार का, हमारे बच्चों का क्या होगा ? क्योंकि ना तो संविदा में अनुकम्पा नियुक्ति है और ना ही आर्थिक सुरक्षा । संविदा में जो एकमुश्त नियत मानदेय हमें मिलता है वो भी नियमित चिकित्सकों को मिलने वाली तनख्वाह की तुलना में आधे से भी कम है, जिसमें घर परिवार का पालन पोषण हो जाए वही बहुत है, जबकि हम संविदा चिकित्सक, नियमित चिकित्सकों के समान ही वो सभी कार्य करते हैं जो नियमित चिकित्सक करते हैं, परन्तु 17 वर्षों की सेवा के बाद भी हमें समान काम के लिए समान वेतन ना देकर हमारा आर्थिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है । प्रत्येक वर्ष मार्च आते ही सभी संविदा कर्मचारियों में भय का माहौल व्याप्त हो जाता है कि इस वर्ष हमको सेवा वृद्धि मिलेगी की नहीं, अगर सेवा वृद्धि नहीं मिली तो हम अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे, इसी भय में संविदा कर्मचारियों का जीवन व्यतीत हो रहा है ।

12-17 वर्षों की सेवा के पश्चात सभी चिकित्सकों की उम्र 45-50 वर्ष हो गई है, हम सभी चिकित्सकों ने अपने जीवन का सबसे मूल्यवान समय सरकार को दिया है। अब उम्र के इस पड़ाव पर हम कहां जाएं, अगर इतनी लंबी सेवा के बावजूद भी हमको नियमित नहीं किया जा रहा है तो यह अन्याय की पराकाष्ठा है, इन परिस्थितियों में हम चिकित्सकों का जीना दूभर हो गया है । संघ ने सरकार से अपील की है कि संविदा आयुष चिकित्सकों की विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, सहानुभूति पूर्वक विचार कर, न्यायहित में 12-17 वर्षों की लंबी अवधि की सेवा एवं कोविड-19 वैश्विक महामारी में सेवा के आधार पर सभी संविदा आयुष चिकित्सकों को नियमित करने मांग की है ।