हलके चले आंधी में धराशाही हुआ करपावंड उप-मंडी का शेड, मलमे से दबी ट्रक पर बाल-बाल बचे कई मजदूर

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गत वर्ष करोड़ों की लागत से बने कोपागुडा मंडी का भी शेड हुआ था धराशाही, उच्च-स्तरीय जांच की दरकार


दोनों मंडी निर्माण कार्य में एक ही ठेकेदार व अधिकारी की भूमिका संदेह के घेरे में
करपावंड उप-मंडी का एमबी बुक भी हुआ गायब, शहर में चर्चा

बकावंड

बस्तर जिले के बकावंड विकासखंड के करपावंड उप-मंडी का शेड धराशाही हो जाने के कारण दर्जनों व्यापारियों का इमली-महुआ-धान ख़राब हो गया है. शेड धराशाही होने के सप्ताह गुजर जाने के बाद भी मंडी बोर्ड का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है. जगदलपुर मंडी बोर्ड के बड़े-छोटे सभी अधिकारियों ने इस मामले से अनजान बनते हुए अपनी दूरी बना ली है.

शेड धराशाही होने के बाद अब इसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे हैं. क्षेत्र के व्यापारियों ने रोषपूर्ण स्वर में अब कहना शुरू कर दिया है कि करपावंड उप-मंडी के निर्माण के समय ही इसके निर्माण की गुणवत्ता को लेकर कई सवाल खड़े किये गए थे लेकिन जगदलपुर के एक ठेकेदार के स्थानीय जन-प्रतिनिधि से अच्छी जान-पहचान के कारण निर्माण के समय पूरी जांच नहीं हो पायी जिस कारण उसका परिणाम आज सामने है. इन्ही व्यापारियों ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व ही कई लाख रुपयों की लागत से इस शेड का निर्माण किया गया था किन्तु कमीशन की लालच में गुणवत्ता में हेरफेर किये जाने के कारन मंडी शेड की आज ये हालत हो गयी है.

विडम्बना यह है कि मंडी शेड गिरने के बाद भी अब तक कोई मंडी का जिम्मेदार अधिकारी इस जगह पहुंचकर मामले की तहकीकात नहीं किया है. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जिस समय मंडी का शेड गिरा उसी दौरान एक ट्रक से कुछ सामान भी खाली किया जा रहा था किन्तु तेज़ आवाज के साथ शेड चरमराकर गिर गया जिससे वहां कार्यरत मजदूर भागकर अपनी जान बचा ली लेकिन, ट्रक इसकी चपेट में आ गया. करपावंड उप-मंडी के निर्माण एवं गुणवत्ता-विहीन कार्य किये जाने को लेकर इसकी शिकायत कई बार तत्कालीन मंडी के प्रबंध निदेशक एवं उनसे जुड़े अधिकारियों को भी की गयी किन्तु स्थानीय मंडी के तकनीकी अधिकारी एवं निर्माण में लगे ठेकेदार की मिलीभगत के कारण जांच का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया.

वर्तमान में उक्त मंडी के निर्माण से जुड़े अधिकारी भी अभी जगदलपुर मंडी में ही पदस्थ हैं. उनसे जब इस मामले में जानकारी मांगी गयी तो उनका कहना था कि इस बाबत उन्हें कोई जानकारी नहीं है क्योंकि इस मामले से सम्बंधित सभी दस्तावेज अनुपलब्ध हैं अतः वे इस मामले में कुछ भी जानकारी नहीं देने की स्थिति में हैं.

विदित हो कि जगदलपुर स्थित पुरानी मंडी के बदले शहर से 8 किलोमीटर दूर कोपागुडा में नयी मंडी का निर्माण भी उसी ठेकेदार द्वारा किया गया है जिसने करपावंड उप-मंडी का निर्माण कार्य कुछ वर्षों पूर्व किया था और उसी तकनीकी अनुविभागीय अधिकारी द्वारा नई मंडी के निर्माण कार्य की देखरेख की गयी थी. यह मंडी भी करपावंड उप-मंडी के धराशाही होने के कुछ समय पूर्व हलकी आंधी में धराशाही हो गया था जिसकी जांच स्थानीय लोगों के दबाव में तत्कालीन कलेक्टर ने कराने की घोषणा की थी लेकिन अब तक उक्त जांच की रिपोर्ट सामने नहीं आ पाई है. समय रहते अगर उप-मंडी करपावंड के ध्वस्त होने के मामले की जांच मंडी बोर्ड के उच्च अधिकारी कराएं तो नयी मंडी के निर्माण कार्य में भी ठेकेदार द्वारा बरती गयी कई अनियमितताएं सामने आ सकती है.

इस मामले में जगदलपुर मंडी के तकनीकी विभाग से जुड़े अनुविभागीय अधिकारी मनोज त्रिपाठी से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि मुझे इस मामले से सम्बंधित कोई जानकारी नहीं है, आप मंडी के उच्च अधिकारियों से इस मामले की छानबीन कर सकते हैं. लेकिन जब करपावंड उप-मंडी का निर्माण कार्य उन्ही के देखरेख में किये जाने की बात पूछी गयी तब वे कतराते हुए अपना पल्ला झाड़ते नजर आये.