क्या दो सौ बिस्तर अस्पताल के सेट-अप लेकर आएंगे बाबा, महारानी अस्पताल को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दरकार, चिकित्सक सहित कई उपकरणों की कमी

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जगदलपुर। मृतप्राय हुए महारानी अस्पताल को छत्तीसगढ़ सरकार बनने के बाद भले ही बचा लिया है किंतु यहां सुविधाएं नहीं मिल रही है क्योंकि यहां आधे-अधूरे सेट-अप से स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान किया जा रहा है जिसकी वजह अस्पताल खुद वेंटीलेटर पर है। बस्तर जिले की पहचान महारानी अस्पताल से है और मंत्री टीएस सिंहदेव इसके दौरा का कार्यक्रम नहीं रखें है जिससे जनता दबी जुबान से यह कहने से भी नहीं चुक रहें हैं कि क्या उनके शुभचिंतक महारानी अस्पताल की कार्यप्रणाली का फीडबैक नहीं देते हैं। शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि महारानी अस्पताल को सौ बिस्तर से दो सौ बिस्तर करने से क्यों स्वास्थ्य मंत्रालय हाथ खड़ा कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ लोगों में यह उम्मीद भी जगी है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के चार व पांच मई को बस्तर प्रवास के दौरान दो सौ बिस्तर की सेटअप सहित सौगातें मिल सकती है।

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ सरकार को गठन हुए लगभग साढ़े तीन साल हो गए हैं और दंतेवाड़ा व चित्रकोट चुनाव प्रचार को छोड़ दिया जाए तो स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव तीन बार भी समीक्षा बैठक नहीं किए हैं और कार्यकर्ताओं से भी मात्र एयरपोर्ट पर ही मुलाकात हुई है।

पंचायतों में भी फंड से रुके कई कार्य

*स्वास्थ्य विभाग की तरह पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग की सुधि नहीं लेने के कारण बस्तर के सभी 369 पंचायतों में विकास कार्य ठप्प पड़े और इसके कारण रुक गया है तथा विपक्षी दलों को बैठे बिठाए मुद्दा मिल रहा है। पंचायतों में इस विभाग के कार्यों की बजाए लोक निर्माण विभाग के अधिकांश कार्य हो रहा है जिसके कारण पंचायत प्रतिनिधियों में जमकर नाराजगी देखी जा रही है।

कांग्रेस भवनों से मंत्री क्यों बनाते हैं दूरी

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया कह चुके हैं कि मंत्रियों का जिले में दौरा होता है तो कांग्रेस भवन (राजीव भवन) में कांग्रेसियों से मिले किंतु यह उनके आदेश को ठेंगा दिखाते है,अभी भाजपा के केंद्रीय मंत्री आए तो कार्यालयों में गए किंतु कांग्रेस के मंत्रियों की ऐंठनबाजी देखिए मातृसंस्था से भी दूर रहते हैं। सर्किट हाउस सरकारी संस्था है और इस संस्थान में सामान्य कार्यकर्ताओं को सूरक्षा अधिकारियों से उलझना पड़ता है जिसके कारण वहां जाने से कई लोग कतराते हैं।