मंत्री भेड़िया की सख्ती से मची महिला बाल विकास विभाग में खलबली, चल रहा था पदोन्नति उद्योग…

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(अर्जुन झा)

रायपुर। छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग में इन दिनों विभागीय मंत्री अनिला भेड़िया की सख्ती की वजह से हड़कंप मचा हुआ है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के मुताबिक मंत्री भेड़िया विभाग की हर गतिविधि पर सतर्क नजर रखे हुए हैं। जिसकी वजह से उनके विभाग में तबादला और तरक्की उद्योग चलाने की कोशिशें कामयाब नहीं हो पातीं। मंत्री अनिला भेड़िया की नीति है कि उनका विभाग जनहित के अपने काम में तरक्की करे। समाज के कल्याण में कोई कसर बाकी न रहे। महिलाओं और बच्चों का विकास हो। इसके बावजूद हुनरमंद नौकरशाही का एक हिस्सा भी अपनी कारस्तानी से बाज नहीं आ रहा है। लेकिन मंत्री अनिला भेड़िया की सख्ती इसके मंसूबों पर पानी फेर देती है। अब खबर गर्म है कि सहायक संचालक से उपसंचालक की पदोन्नति में गड़बड़ी सार्वजनिक होने के बाद विभागीय मंत्री ने नकेल कस दी है। मामले की शिकायत विभागीय मंत्री तक पहुंच गई तो भ्रष्ट तंत्र का सारा खेल बिगड़ गया। बताया जा रहा है कि 26 मई को सहायक संचालक से उपसंचालक के लिए हुई डीपीसी के बाद जमकर बवाल मचा हुआ है। कहा जा रहा है कि पदोन्नति में वरिष्ठों को अयोग्य ठहरा दिया गया। खबर है कि मंत्री के पास मामला पहुंचने के बाद उन्होंने तत्सम्बन्धी फाइल ही लौटा दी। मिली जानकारी के अनुसार विभागीय संचालनालय में लंबे समय से जमे अधिकारियों ने पदोन्नति के लिए नियम कायदों को ताक पर रख दिया है। इस साल की पदोन्नति के लिए 1 अप्रैल 2021 को बनी वरिष्ठता सूची का उपयोग किया गया। इस सूची में तीन उपसंचालको के नाम हटा दिये गये। यह पूरा करिश्मा एक सहायक संचालक को पदोन्नत करने के लिए किए जाने की चर्चा जोरों पर है। बताया जा रहा है कि इस मामले में स्थापना प्रभारी ने संचालक को भ्रामक जानकारी देकर धोखे में रखा। अब मातहतअधिकारियो की लापरवाही का ठीकरा संचालक के सिर पर फूटने की नौबत आ गई है। जानकारी यह भी मिली है कि उपसंचालक, संयुक्त संचालक और सहायक संचालक की टीम मंत्री के पास डीपीसी पर अनुमोदन लेने पहुंची तो सतर्क मंत्री ने फाइल रोक दी। खबर है कि मंत्री भेड़िया के इस कदम के बाद स्थापना प्रभारी सहित अन्य संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। जबकि इस खेल में प्रभावित होने वाले अधिकारियों ने इस मामले में स्थिति स्पष्ट होने तक पदोन्नति पर रोक लगाने की मांग की है।