वर्षो पुरानी शासकीय शाला भवनों की जर्जर स्तिथि से स्कूली बच्चों की जान जोखिम में, और डीएमएफ मद का हो व्यारा न्यारा सांसद मोहन मंडावी ने कहा कि इसकी उच्चस्तरीय जांच हो

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डौंडी – अभिपालक गण अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण किसलिए कराते है यह सभी जानते है।नौनिहाल बच्चे अपना उज्जवल भविष्य शिक्षा के माध्यम से ही तय करते है । परंतु शिक्षा ग्रहण करते समय शासन द्वारा निर्मित भवन अध्यापन कार्य मे ही यदि भवन जर्जर हो रही हो और उक्त भवन के सम्बंधित शिक्षक भवन निर्माण मरम्मत हेतु जिम्मेदार अधिकारी को लिखित सूचना देकर भवन जीर्णोद्धार की मांग की जाती है और उक्त अधिकारी द्वारा उपरोक्त समस्या को जनपद पंचायत व आरएससी विभाग को भी सूचना देकर समस्या निवारण की दिशा में कार्य किया जाता है। मगर समझ से परे यह कि जिस योजना के तहत डीएमएफ मद से शिक्षा के प्रति बच्चों के अध्यापन कार्य मे जर्जर भवन को शिक्षकों द्वारा जानकारी देने बावजूद भी सुधरवाने के बजाय जिम्मेदारों द्वारा कार्य स्वीकृति के छह से आठ महीना बीत जाने उपरांत भी बेवजह कार्यों को रोककर रखा जा रहा है। भरी बरसात में शालाओं की अत्यंत जर्जर अवस्था से कभी भी गंभीर घटनाएं घट सकती है।

जानकारी के अनुसार डौंडी ब्लाक के 32 शासकीय स्कूलों में जर्जर स्तिथि भवनों की हालातो को देखकर क्षेत्र के शाला प्रधान पाठको व प्रिंसिपलों द्वारा अपने संबंधित अधिकारी व सीएससी को शाला भवन की जर्जर अवस्था के संदर्भ में लिखित सूचना देकर अवगत कराया गया है । जहां संबंधित अधिकारी द्वारा ब्लाक के उपरोक्त 32 शालाओं के जर्जर भवनों हेतु मरम्मत राशि स्वीकृत कराई गई है। सूत्रों के अनुसार 32 शालाओ के जीर्णोद्धार में अभी केवल 7 स्थान के शालाओं में कार्य हो रहा जबकि शेष 25 शालाओं में काम छह से आठ महीनों तक शुरू ही नही किया गया है आखिर क्यों ? ब्लाक के शाला समस्याओं की हालात को देखते हुए नए प्रोसीजर में 45 स्थान शालाओ की वर्षो पुरानी जर्जर शालाओं की मरम्मत किये जाने सूचना दी गई है। हालात ऐसी है कि वर्षो पुरानी शासकीय शाला भवन काफी जर्जर स्तिथि में है जहां कभी भी कोई गंभीर दुर्घटना घटने से इंकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में यदि कोई अप्रिय घटना दुर्घटना हो जाती है तो संबंधित शाला के ही शिक्षको व ब्लाक शिक्षाधिकारी व सीएससी के जिम्मेदारों को दोषी ठहराया जा सकता है ।

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जबकि शाला मरम्मत के आठ महीने से कार्य शुरू नही करने वाली कार्य एजेंसी व कार्य शुरू कराने वालों के विरुद्ध क्या कार्यवाही होती है या होनी चाहिए इस बात की जानकारी प्रबुद्ध वर्ग भली भांति जानते है जिसकी चर्चा क्षेत्र में की जा रही है। इस ओर कांकेर लोकसभा के सांसद मोहन मंडावी से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने बेबाक बाते करते हुए कहा है कि डीएमएफ मद राशि का केवल डौंडी आदिवासी क्षेत्र में नही अपितु पूरे राज्य में खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है। जिसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, चूंकि शालाओं में मामला बच्चों के भविष्य का सवाल है विदित हो कि पिछले शनिवार को डौंडी नगर के गांधी चौक स्थित संचालित इंग्लिश मीडियम स्कूल की जर्जर हालात को देखकर डौंडी भाजपा मंडल अध्यक्ष मनीष झा द्वारा उक्त शाला का निरीक्षण कर शाला भवन की पूर्ण मामले की वस्तुस्तिथि से कन्या हाई स्कूल के प्रिंसिपल बद्दन सर को अवगत कराई गई। जिस पर प्रिंसिपल द्वारा जर्जर शाला भवन में अध्ययनरत बच्चों को तत्काल छुट्टी देकर कोई रिक्स नही लिया। और बच्चों को कन्या हाई स्कूल के नवनिर्मित भवन में पाली हिसाब से अध्यापन कार्य करवाया जा रहा है। सवाल यह उठ रहा कि भाजपा मंडल के अध्यक्ष मनीष झा द्वारा यदि स्कूली बच्चों का ख्याल नही रखा जाता तो उक्त जर्जर स्तिथि के स्कूल में बच्चों को कभी भी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता था।

इस संदर्भ में जब आरईएस विभाग डौंडी के एसडीओ भेड़िया से जानकारी चाही गई तो उन्होंने कहा कि मुझे इसकी जानकारी अभी नही है कि ब्लाक के 32 शालाओ में से कितने स्कूलों पर मरम्मत कार्य शरू हुआ है। जानकारी लेकर ही बता पाऊंगा। 45 अन्य और शालाओं की मरमत कार्य का लिस्ट जरूर प्राप्त हुआ है पूरे डौंडी ब्लाक में डीआरएम एफ मद की राशि का कार्य सही तरीके से कार्य ना करवाकर बंदर बाट किया जा रहा है। इससे स्कूली छात्र छात्राओं की जान जोखिम जर्जर शालालों से बनी हुई है। जिसके लिए जिम्मेदारों पर कार्यवाही होनी ही चाहिए।