कवासी आइटम हैं तो क्या चंद्राकर आत्मघाती एटम नहीं…

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(अर्जुन झा)

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों कोयला कारोबारी को लेकर खलबली मची है तो बस्तर अपने कमाल के लाल कवासी लखमा के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले भाजपा नेता अजय चंद्राकर के धमाल से आहत है। राज्य के पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर ने मंत्री और बस्तर के अनमोल रतन कवासी लखमा को आइटम गर्ल कहकर बस्तर सहित दुनिया के आदिवासी समाज के स्वाभिमान को ललकारा है। कवासी केवल आदिवासी समाज के ही नहीं, बस्तर के स्वाभिमान के भी प्रतीक हैं। वे बस्तर से एकमात्र जनप्रतिनिधि हैं जो राज्य मंत्रिमंडल में बस्तर के प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वे यहां के सरल, सहज जननायक हैं। कवासी जैसा साधारण परिवेश का असाधारण नेता कोई नहीं। कहते हैं कि शैक्षणिक योग्यता से व्यक्तित्व विकास होता है तो इसे कवासी ने मिथक साबित किया है। मसी कागज छुओ नहीं, कलम गहई नहीं हाथ! अनुभव की पाठशाला से आगे बढ़ कर सादगी के साथ जनसेवा की यूनिवर्सिटी में टॉपर माने जा सकने वाले कवासी ने जिंदगी की वह किताब पढ़ी है जो उन्हें उच्च स्तरीय शैक्षणिक योग्यता रखने वाले राजनेताओं की बिरादरी में विशिष्ट पहचान दिलाती है। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर उच्च शिक्षित हैं। उनकी पठन पाठन में इतनी रुचि है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ भाजपा के आलीशान दफ्तर में ऐसा पुस्तकालय बनाने में अहम भूमिका निभाई कि जिसका उद्घाटन करके अभिभूत अमित शाह ने भाजपा अध्यक्ष की हैसियत से यह विचार व्यक्त किया था कि जिला स्तर पर ऐसे ग्रंथालय देश भर में स्थापित किये जाने चाहिए। उनका कदाचित यह विचार रहा होगा कि पुस्तकों से कार्यकर्ताओं का बौद्धिक विकास होगा। विचारधारा से गहराई से जुड़ सकेंगे। विद्या के साथ विनय और विवेक बढ़ेगा। लेकिन जब अजय चंद्राकर जैसे प्रकांड विद्वान नेता में विद्या के साथ विनय, विवेक संयम का विकास नहीं हो सका तो आम कार्यकर्ता से कितनी उम्मीद की जा सकती है।

भाजपा के प्राणपुरुष अटलबिहारी वाजपेयी के महाप्रयाण पर भाजपा के एकात्म परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में अजय चंद्राकर और बृजमोहन अग्रवाल के बीच की ठिठोली देखकर अटलजी की आत्मा ने जरूर सोचा होगा कि मेरी अस्थियों में ऊर्जा की कुछ कमी रह गई जो मेरे बच्चों के संस्कार कमजोर पड़ गए। और, एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आत्मा तो एकात्म परिसर में हुई फूहड़ता देखकर कराह उठी होगी। यहां सवाल उठता है कि चंद्राकर जी मेरे हमदम मेरे दोस्त वाले अंदाज में बृजमोहन जी के साथ कौन सा आइटम पेश कर रहे थे जो अब कवासी लखमा को आइटम गर्ल बता रहे हैं? चंद्राकर की टिप्पणी से व्यथित कवासी से चंद्राकर माफी मांगें, ऐसी भावना आदिवासी समाज और बस्तर की है। यहां नाराज लोग कह रहे हैं कि कवासी लखमा को आइटम गर्ल बताने वाले चंद्राकर भाजपा के ऐसे एटम बम हैं जिनका यूरेनियम भाजपा के लिए ही नुकसानदेह साबित हो सकता है। बस्तर में वैसे ही भाजपा पूरी तरह साफ है। अब आदिवासी चेतना को अपमानित करने वाले बयान देकर चंद्राकर ने अपनी प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी की मेहनत पर पानी फेर दिया है। क्या वे भाजपा के आत्मघाती एटम बम बन गए हैं।