शिक्षा सचिव ने पढ़ाया गणित और विज्ञान प्राचार्य सहित । शिक्षकों पर कड़ी कार्यवाही, यथासमय प्राचार्य भी लेवें क्लास

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रायपुर । 15 जुलाई । शासकीय हाई स्कूल मंदिर हसौद के प्राचार्य को शाला समय पर संचालित नहीं कराने, 16 जून से शाला अध्ययन अध्यापन कार्य प्रारंग नहीं कराने, निर्धारित शैक्षणिक कलेंडर व निर्धारित सिलेबस अनुसार पठन पाठन नहीं कराये जाने, विदयार्थियों को निर्धारित समय पर निःशुल्क पाठ्यपुस्तक वितरित नहीं कराकर अवितरित पाठ्यपुस्तकें शाला में उम्प रखने, शासन दवारा निर्धारित प्रारूप में प्रार्थना सभा का आयोजन नहीं कराये जाने व समय सीमा की जानकारी नहीं होने तथा शिक्षकों

द्वारा विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों के बदले या उसके अभाव में गाईड से पढ़ाने की अमानक पद्धति(शॉर्ट कट) अपनाने, प्रयोगशाला सुचारपूर्वक प्रारंभ नहीं कराने तथा शाला परिसर में व्याप्त गंदगी पर कड़ी फटकार मिली है। राज्य के शिक्षा सचिव डॉ. ने भारतीदासन द्वारा अपने औचक निरीक्षण में मंदिर हसौद के प्राचार्य प्रेमशीला एक्का को इस अनुशासनहीनता के लिए 2 वेतन वृद्धि रोकने का आदेश दिया गया । व्याख्याता (एल.बी.) द्वारा समय-सीमा में पाठ्यपुस्तक निगम से प्राप्त निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें विद्यार्थियों को वितरित नहीं करने के कारण 1 वेतन वृद्धि रोकने का आदेश दिया गया ।

इसके अलावा निर्धारित समय से देरी से स्कूल में उपस्थित नहीं होनेवाले मंदिर हसौद स्कूल के 7 शिक्षक, 1 लिपिक तथा 2 भृत्यों (प्रमिला वर्मा, एस. के. वर्मा, मालारानी मिश्रा, स्मृति सिंह, मेधा कुसर, हेमलता दीवान, ओकारेश्वर सोनवारी, संगीता ढीढी, हरिराम धृतलहरे तथा भूपेन्द्र कुमार) को आधे दिन का वेतन काटने का नोटिस भी दिया गया ।

विगत दिनों शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल मंदिर हसौद तथा शासकीय हायर सेकेडरी स्कूल परसदा का सघन निरीक्षण किया गया । उन्होंने न केवल दोनों स्कूलों के विद्यार्थियों को इत्मीनान से विज्ञान और गणित पढ़ाया, बल्कि उनकी दक्षता का आंकलन भी किया, भविष्य में मेडिकल, इंजीनियरिंग तथा प्रशासनिक क्षेत्र में कैरियर्स गढ़ने के लिए अभी से रणनीतिपूर्वक अध्ययन और तैयारी करने के टिप्स भी दिया । शिक्षा सचिव ने अपने सामने अवितरित निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें भी विद्यार्थियों में वितरित करायीं । दूसरे गाँव से भर्ती होने आये 2-3 ग्रामीण छात्रों का तत्काल एडमिशन कराया । दासन ने स्कूल में लैब व स्मार्ट क्लास का मुआयना करते हुए प्रारंभ से ही क्लास के समानांतर ही प्रायोगिक कार्य संचालित करने की हिदायत दी ताकि विद्यार्थी विज्ञान केंद्रित विषयों की जटलिताओं को आत्मसात करने में अधिक दक्ष हो सकें ।