बस्तर में भाजपा के सूखे पर सावन की फुहार…

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(अर्जुन झा)

बकावंड। बस्तर में भाजपा के सूखे खेत में सावन की हल्की सी फुहार ने भाजपा के मुरझाये चेहरे पर उम्मीद की किरण चमका दी है। कहते हैं कि ओस की बूंदों से धरती नम नहीं होती लेकिन जब यही ओस किसी फूल पर गिरती है तो मोती सी चमकती है। विधानसभा, लोकसभा, नगरीय निकाय, पंचायती राज जैसे हर चुनाव में पिटने के बाद अब बस्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के लिए अच्छी खबर आई है। भाजपा चाहेगी कि बस्तर में ऐसी अच्छी खबर का और विस्तार हो। अक्सर ऐसा होता है कि जब बुरा वक्त आता है तो आता ही चला आता है और जब अच्छा वक्त आने का इशारा मिलने लगता है तो यही सिलसिला शुरू हो जाता है। खबर है कि विचारधारा से प्रभावित होकर बस्तर विधानसभा के मालगाँव में केंद्रीय राज्य मंत्री विश्ववैश्वर टुडू की उपस्थिति में कांग्रेस के कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए, जिसमें ग्राम पंचायत उलनार से सरपंच कुंती कश्यप, उपसरपंच योगेंद्र पानीग्राही, बेडाउमर गांव से कामलोचन, नीलम कश्यप, चैन राम आदि हैं। किसी राजनीतिक दल के ग्रामीण कार्यकर्ता नाराज होते हैं तो समझा जा सकता है कि सरपंच से नाराज होंगे लेकिन जब सत्ता की ग्रामीण इकाई माने जाने वाले सरपंच सत्ताधारी दल का मोह छोड़कर उस विपक्षी दल का दामन थामने लगें, जो खुद कमजोर दिख रहा हो तो यह बहुत कुछ संकेत दे जाता है। दावा करने वाले तो यह भी दावा कर रहे हैं कि यह तो शुरुआत है। आने वाले समय में कांग्रेस के सावन का मौसम पतझर में बदल सकता है। यह जमीनी हकीकत है कि एक रोज की वर्जिश में कोई बस्तरकेसरी नहीं बन सकता। कांग्रेस ने 15 साल लगातार व्यायाम किया तब उसे बस्तर की सभी बारह सीटें जीतने की ताकत मिली। लोकतंत्र में सभी के बराबर अधिकार हैं। जो जनता के हक में जितना ज्यादा संघर्ष करेगा, वह उतना ही मजबूत होगा। अब भाजपा के संघर्ष का दौर है। उसे भी वैसी ही मेहनत करनी होगी, जैसी कांग्रेस ने की। भाजपा मैदानी कोशिश कर रही है। अब तक उसे ऐसी सफलता का इंतजार था, जैसी बस्तर विधानसभा क्षेत्र में शुरुआत हुई है। इस बदलाव का क्या कारण है, कांग्रेस को इस पर ध्यान देना होगा। किसी सरपंच के चले जाने से कांग्रेस का कुछ खास नुकसान नहीं होने वाला। लेकिन यह याद रखना चाहिए कि बुढ़िया मर गई, उसका अफसोस नहीं लेकिन मौत ने घर देख लिया। जो बदलाव निचले स्तर पर होते हैं वे ज्यादा दूर कर असर के सूत्रधार बन जाते हैं। भाजपा के लिए खुशखबरी है तो कांग्रेस के लिए यह खबर सचेत करने वाली है।