राजहरा टाउनशिप के कर्मचारी बीएसपी आवासों का स्वयं आबंटन कर कर रहे हैं गोरखधंधा भारतीय मजदूर संघ

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राजहरा खदान समूह में हो रहा भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है रोज नये नये भ्रष्टाचार सामने आ रहे हैं। जिससे खदान के कर्मचारी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने बताया कि ताजा भ्रष्टाचार राजहरा टाउनशिप का है। जहां नियमित कर्मचारियों को एक मकान आबंटन कराने में चप्पले घीस जाती है वहां टाउनशिप के कुछ कर्मचारी बीएसपी के खाली पड़े मकानों को बिना किसी प्रक्रिया के प्राईवेट पार्टी को अलग से आबंटन कर सलाना हजारों रूपये किराये का वसूलने में लगे हुए हैं और संघ को जानकारी मिली है कि यह गोरखधंधा राजहरा टाउनशिप में वर्षों से चल रहा है और उच्च अधिकारियों को भी इसकी जानकारी है उसके बाद भी किसी तरह की कार्यवाही का न करना बहुत से शंकाओं को जन्म देता है।

और साथ ही ईनकी कार्यशैली को भी दर्शाता है कि एक तरफ बीएसपी का नियमित कर्मचारी जर्जर आवासों में रहने को मजबूर हैं। और तो और उस जर्जर आवासों की मरम्मत की शिकायत करने के बाद भी राजहरा टाउनशिप के अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जाती है जोकि काफी शर्मनाक है। जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने नए प्रकरण के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए कहा कि संघ के पास इस बात की लिखित शिकायत आयी है

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कि नगर प्रशासन विभाग के कर्मियों द्वारा राजहरा टाउनशिप में खाली पड़े आवासों को बिना कोई एलॉटमेंट के रहने के लिए लोगों को दे दिया जाता है जिसके एवज में नगर प्रशासन विभाग के कर्मीगणों द्वारा प्रत्येक माह एक निश्चित रकम वसूली जाती है। प्राप्त शिकायत के अध्ययन से यह स्थापित होता है कि उक्त कार्य संभवतः विगत कई दशकों से चला आ रहा है। इस सम्बन्ध में संघ को पूर्व में कई बार यह शिकायत मिली थी कि कर्मियों के पेमेंट से दो-दो आवासों का किराया पेनाल्टी सहित काटा गया है जिसका विरोध करने पर पैसा वापस तो मिल गया लेकिन जांच करने पर यह पाया गया कि नगर सेवा विभाग में इस तरह का गोरखधंधा एक आम बात है किन्तु किसी भी व्यक्ति द्वारा लिखित में शिकायत न देने के वजह से मामला दबा रहता था और प्रकाश में नहीं आता था। इस तरह के भ्रष्ट आचरणकरने वाले कर्मियों के स्वयं द्वारा किसी श्रम संगठन में पदाधिकारी रहने या फिर नगर सेवा विभाग के सम्बंधित अधिकारीयों से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के वजह से पीड़ित कर्मीगण चुप रहते थे और शिकायत करने से डरते थे। वर्तमान प्रकरण में यह बात सामने आयी है कि नगर प्रशासन विभाग के कर्मी द्वारा लगभग दो वर्ष पूर्व से एक मकान किसी निजी व्यक्ति को रहने के लिए प्रतिमाह रुपये 2000/- के किराये पर दे दिया गया। उक्त किराया राजहरा नगर सेवा विभाग में कार्यरत उक्त कर्मी द्वारा ही लिया जाता था

जिसकी कोई रसीद किरायदार को नहीं दी जाती थी और किरायदार को यही कहा जाता रहा कि उक्त आवास किराये लेने वाले कर्मी के नाम से ही आवंटित है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन कुछ दिन पूर्व किरायदार व्यक्ति को यह जानकारी मिली कि उक्त आवास जिसमें वह प्रतिमाह रुपये 2000/- देकर किराये पर रह रहा था वह आवास नगर सेवा विभाग के कर्मी के नाम से नहीं बल्कि बीएसपी का खाली आवास है इस बात का खुलासा होने पर आननफानन में उस किरायेदारव्यक्ति को उक्त आवास खाली करने कहा गया। इन बातों से यह स्पष्ट होता है कि राजहरा खदान समूह के नगर प्रशासन विभाग के अधिकारीयों के नाक के नीचे उनकी जानकारी के बिना इस तरह का भ्रष्टाचार संभव ही नहीं है क्योंकि नगर में बीएसपी का कौन सा आवास खाली है इसकी जानकारी इसी विभाग के पास रहती है और खाली आवासों की चाबी भी ईनके पास रहती है, किसी भी तरह के अवैध कब्जे से आवास को मुक्त कराने की जवाबदारी भी इसी विभाग की है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति वर्षों से कंपनी के किसी आवास में रहता हो और इसकी जानकारी विभाग के अधिकारीयों को न हो ऐसा संभव नहीं है। दूसरी तरफ अगर नगर प्रशासन विभाग के अधिकारियों
को सही में ऐसे घोटाले की जानकारी नहीं है तो यह अधिकारीयों के लिए शर्म की बात है। नगर प्रशासन विभाग में आवास आबंटन मामले में अनियमितताएं की कई शिकायत प्राप्त होने पर संघ ने पूर्व में भी कई बार ऑनलाइन पद्धति से आवास आवंटन की मांग की थी जिसे नगर प्रशासक द्वारा यह कहकर मना कर दिया गया कि बाकी श्रम संगठन के लोग ऑनलाइन आबंटन पद्धति से सहमत नहीं हैं। लेकिन इस मामले के प्रकाश में आने के बाद संघ का यह मानना है कि संभवतः नगर प्रशासन विभाग के अधिकारीयों के शह पर ही वहां के कर्मियों द्वारा इस तरह के घोटाले किया जा रहे हैं और इस घोटाले से होने वाले काली कमाई में इस विभाग के अधिकारीयों और कर्मियों की सहभागिता है। ऐसे में अगर ऑनलाइन पद्धति से आवास आबंटन शुरू हो जावेगा तो उनकी गाढ़ी मेहनत से की गयी काली कमाई के रास्ते बंद हो जावेंगे इसलिए संभवतः नगर प्रशासक महोदय एवं विभाग के अन्य अधिकारीयो द्वारा ऑनलाइन पद्धति का विरोध किया जाता है और उसका ठीकरा श्रम संगठनों पर फोड़ा जाता है। इस मामले में संघ यह मांग करता है कि न केवल इस मामले की गहराई से छान बीन हो बल्कि नगर प्रशासन विभाग द्वारा सभी आवास आवंटन भिलाई के तर्ज पर ऑनलाइन किया जावे। साथ ही नगर प्रशासन विभाग द्वारा सभी आबंटित आवास, रहने लायक लेकिन खाली पड़े आवास, जर्जर घोषित आवास एवं सरकारी संस्थाओं तथा प्राइवेट पार्टियों को आबंटित की गयी आवासों की सूची सार्वजानिक की जावे।और खाली पड़े आवासों को वरियता के हिसाब से ठेका श्रमिकों को आबंटित किया जावे। पहले भी संघ ने खाली पड़े आवासों को ठेका श्रमिकों को आबंटित करने की मांग रखी थी मगर प्रबंधन के उच्च अधिकारियों द्वारा आबंटन प्रक्रिया को इतना जटिल कर दिया गया कि ठेका श्रमिकों को आज तक मकान आबंटन नहीं हो सका है ,मगर आज समझ आया कि ठेका श्रमिकों को मकान आबंटन क्यों नहीं किया जाता है क्योंकि राजहरा टाउनशिप के कुछ भ्रष्ट कर्मचारी खाली पड़े आवासों को स्वयं किराये में देकर लाखों रुपए महीना कमा रहे हैं।और तो संघ को जानकारी मिली है कि एक एक कर्मचारियों द्वारा 10 मकानों को किराए पर दिया गया है। इसमें टीचर कालोनी,हास्पीटल सेक्टर, हाईस्कूल सेक्टर ,पंडर दल्ली यहां के बहुत से मकान इन माफियाओं ने किराये पर दे रखा है साथ महीने का लाखों रुपए कमा रहे हैं। संघ की मांग है कि इस तरह के गोरखधंधे में लिप्त अधिकारियों पर तत्काल विभागीय कारवाई भी की जावे क्योंकि संघ का यह स्पष्ट मानना है कि किसी भी विभाग में इस तरह के काले धंधे बिना अधिकारीयों के शह के संभव ही नहीं है। इस सम्बन्ध में अगर राजहरा खदान समूह या बीएसपी प्रबंधन द्वारा ढिलाई बरती जाती है तो मजबूरन संघ को कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। क्योंकि पूर्व में भी यह मामला बीएसपी प्रबंधन के सामने आया था मगर किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण ये मकान माफिया दुगने उत्साह के उत्साह के साथ ईस कार्य में लगे हुए हैं और नियमित कर्मचारी आज भी मकान के लिए राजहरा टाउनशिप के चक्कर काट रहा है। यह सभी नियमित कर्मचारियों के लिए बहुत हीखेदजनक है कि महारत्न कंपनी का यहां के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने क्या हाल बना दिया कि नियमित कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं को भी दूसरों को बेचकर पैसा कमाने में लगे हुए हैं।