- विद्युत कंपनी के जेई को फोन करते रहे, रिसीव करने तैयार नहीं
- खुश किस्मती है कि छात्रावासी छात्राएं नहीं आईं चपेट में
जगदलपुर बस्तर जिले के बेसोली के एकलव्य परिसर बालिका छात्रावास कैंपस में बिजली करंट से एक मवेशी की मौत हो गई। करंट बिजली पोल और उसके स्टे तार में फैल गई थी। गनीमत रही कि छात्राएं पोल और स्टे तार के संपर्क में नहीं आईं, अन्यथा बड़ी अनहोनी हो जाती। इस घटना से विद्युत कंपनी के जूनियर इंजीनियर और अन्य कर्मियों की लापरवाही उजागर हो गई है।गत दिवस एक मवेशी चरते चरते एकलव्य परिसर बालिका छात्रावास कैंपस में घुस गया। यह मवेशी कैंपस के भीतर स्थित लोहे के बिजली पोल के संपर्क में आ गया। बताते हैं कि पोल में करंट प्रवाहित हो गई थी और करंट लगने से मवेशी की जान चली गई। इसी पोल से छात्रावास में बिजली कनेक्शन गया हुआ है। अभी बारिश भी ढंग से नहीं हुई है कि गीलेपन के कारण पोल में करंट प्रवाहित होने का अंदेशा हो। बताया गया है पोल में वायरिंग ठीक से नहीं की गई है। नंगे तार पोल से छू गए और इसी वजह से पोल में करंट प्रवाहित हो चला था। इसी के चलते गोवंश की जान चली गई। एकलव्य परिसर बालिका छात्रावास में सैकड़ों छात्राएं रहती हैं। गनीमत है कि ग्रीष्म अवकाश जारी रहने की वजह से छात्रावास में छात्राएं नहीं थीं। अगर छात्रावास में छात्राएं रहतीं, तो उनके साथ भी बड़ी अनहोनी हो जाती। मासूम आदिवासी छात्राओं की जान पर बन आती, तब इसके लिए जिम्मेदार कौन होता?
जूनियर इंजीनियर की ऐसी टशन !
वैसे तो समूचे बस्तर में विद्युत कंपनी के अधिकारी कर्मचारी अपनी मनमानी और लापरवाही के लिए जाने जाते हैं, लेकिन बेसोली के मामले से ताल्लुक विद्युत कंपनी के जूनियर इंजीनियर की टशन ही निराली है। ये जेई साहब खुद को विद्युत वितरण कंपनी के ईई यानि एक्जीक्यूटिव इंजीनियर से कम नहीं समझते। बिजली विभाग जैसे संवेदनशील महकमे में पदस्थ रहते हुए भी वे फोन कॉल रिसीव नहीं करते। आप कॉल पर कॉल करते रहिए, लेकिन साहब फोन उठाएंगे नहीं, क्योंकि किसी का भी फोन रिसीव करना वे अपनी शान के खिलाफ जो समझते हैं। मवेशी के करंट से मौत के दिन भी ऐसा ही हुआ। घटना की सूचना देने और विद्युत प्रवाह बंद कराने के लिए जेई को कई बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने रिसीव ही नहीं किया। किसी तरह विद्युत वितरण केंद्र में सूचना पहुंचाकर बिजली प्रवाह बंद कराया गया। वितरण केंद्र का लैंड लाईन फोन बिल अदा न किए जाने के कारण सालों से बंद पड़ा है। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि करंट से दो चार मौतें हो जाने पर भी वितरण केंद्र को त्वरित सूचना देना मुमकिन नहीं है।