युवतियों की रोल मॉडल बनी हेमवती बस्तर की पहली महिला मोटर मैकेनिक हेमवती नाग से प्रेरित हो

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  • आगे आने लगी हैं कई युवतियां श्रमबिन्दु ने हेमवती की बेमिसाल ज़ज़्बे वाली दास्तां को लाया था सामने


अर्जुन झा.
जगदलपुर. 01 अक्टूबर। जहां चाह, वहां राह.. इस उक्ति को चरितार्थ करते हुए ऑटो मैकेनिक के फील्ड में कदम रख जिंदगी के संघर्ष से जंग जीतने वाली हेमवती नाग अब बस्तर की युवतियों के लिए रोल मॉडल बन चुकी है. उससे प्रेरित होकर अनेक युवतियों ने ऑटो मैकेनिक का पेशा अपनाने का फैसला किया है.

श्रमबिन्दु ने हेमवती की संघर्ष गाथा और उसके बेमिसाल जज्बे पर आधारित विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इससे पहले तक लगभग गुमनाम रही हेमवती को अब बस्तर ही नहीं, बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ का भी हर शख्स जानने लगा है.
बस्तर के छोटे से गांव रेटावंड की निवासी तीन बच्चों की मां हेमवती नाग अपने पति के साथ रहती है। साधारण माताओं की तरह ही हेमवती भी सुबह उठकर बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजती है, घर का कामकाज निपटाती है और खेत में भी काम करती है। हेमवती की पहचान बस्तर की पहली महिला ऑटो मैकेनिक के रूप में स्थापित हो चुकी है। आठवीं तक की स्कूली शिक्षा लेने के बाद हेमवती का विवाह तुलेश्वर नाग के साथ हो गया। पेशे से ऑटो मैकेनिक तुलेश्वर छोटी सी ऑटो रिपेयरिंग शॉप चलाता है। गांव शहर से दूर होने की वजह से जब भी तुलेश्वर को सामान लेने शहर जाना होता था, तो उसे अपनी शॉप बंद करनी पड़ती थी। इस वजह से उसे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था। ऐसे में हेमवती ने पति की मदद करने की ठान ली। पाना-पेंचिस उठाकर वह अपने पति से दोपहिया गाड़ी सुधारने की तकनीक सीखने लग गई। देखते ही देखते इस काम में हेमवती का हाथ सध गया। हेमवती हंसते हुए कहती है कि लड़का-लड़की में फर्क काहे का ? लड़कियां भी वो सब कर सकती हैं जो लड़के कर सकते हैं। मुझे और सीखना है और आगे बढ़ना है ताकि बस्तर की लड़कियां मुझसे प्रेरणा लेकर काम करें। साथ ही उसने यह भी कहा कि लड़कियां वो सब करें जो वो करना चाहती हैं। शिक्षा के प्रति भी हेमवती काफी जागरूक है। उसने अपनी बेटी पूजा का दाखिला स्वामी आत्मानंद इंग्लिश स्कूल में कराया है। हेमवती की इच्छा है कि उसके बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण करें. आज हेमवती पति के साथ मिलकर अपनी ऑटो मैकेनिक की दुकान में काम करती है। पति की अनुपस्थिति में हेमवती अकेले दुकान का काम निपटा लेती है. दुकान पर किसी अन्य को काम पर रखने के झंझट से भी उसे छुटकारा मिल गया है।
हेमवती नाग की मेहनत, लगन और आत्मविश्वास उसे औरों से अलग बनाती है। यही वजह है कि आज वह अन्य महिलाओं और युवतियों के लिए प्रेरणा बनकर उभर चुकी है। हेमवती की कहानी सामने आने के बाद बस्तर की अनेक युवतियों ने ऑटो रिपेयरिंग के फील्ड में कदम रखकर स्वावलम्बी बनने की इच्छा जताई है. इन युवतियों का कहना है कि अभी हमारा नाम मत छापना. जब हम भी हेमवती की तरह कामयाब हो जाएंगी, तब जरूर फोटो के साथ हमारा भी इंटरव्यू छापना.
सरकार कब बनाएगी आइकन? हेमवती को बस्तर की युवतियों ने तो अपना रोल मॉडल और आइकन मान लिया है. युवक – युवतियों और महिलाओं को केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार तथा छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार स्वावलंबन का पाठ खूब पढ़ाती हैं. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने तो उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनावों के दौरान ‘ लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा दिया था, जो पूरे देश में बेहद चर्चित हुआ था. यह नारा नारी शक्ति को खूब पसंद भी आया था, मगर दुख की बात है कि स्वावलंबन की प्रतिमूर्ति के तौर पर स्थापित हो चुकी हेमवती नाग को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार जरा भी अहमियत देती नज़र नहीं आ रही है. फ़िल्मी हस्तियों और बड़ी शख्सियतों को नेशन तथा स्टेट आइकन और ब्रांड एम्बेसेडर बनाकर उनके पीछे लाखों रुपए फूंकने वाली सरकारें आखिर कब रियल लाइफ की आईकन हेमवती नाग को अपना ब्रांड एम्बेसडर और आइकन मानकर जनता के सामने पेश करेंगी?
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