कांग्रेस के लोगों ने राजीव भवन में मनाई गांधी और शास्त्री की जयंती

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जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के हर बूथ में पहुंचेगी कांग्रेस की पदयात्रा
जगदलपुर. विश्व अहिंसा दिवस के अवसर पर कांग्रेस का विधानसभा स्तरीय प्रत्येक बूथ में भारत जोड़ो पदयात्रा का होगा आगाज़ किया गया. राजीव भवन में अहिंसा के पुजारी व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई. कांग्रेसियो ने उनके छायाचित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.


संसदीय सचिव एवं विधायक रेखचंद जैन ने बापू और शास्त्री जी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज ही के दिन दो महान युग पुरुषों का जन्म हुआ जिन्हें बापू और शास्त्री के नाम से जाना जाता है. इन महान पुरुषों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सत्य औऱ अहिंसा को हथियार बनाकर कर अंग्रेजों को देश छोड़ने पर मजबूर किया अवज्ञा आंदोलन, दांडीयात्रा, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह जैसे प्रमुख चरणबद्ध आंदोलन करके आज़ाद भारत की नीव रखी. गांधी जी ने 1894 में दक्षिण अफ्रीका में अन्याय के खिलाफ अवज्ञा आंदोलन चलाया और पूर्ण होने तक वहीं रहे सन 1916 में वे अफ्रीका से भारत लौटे फिर देश की आज़ादी के लिए कदम उठाए. 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की. गांधी एक महान लीडर थे. सादा जीवन उच्च विचार को मानने के स्वभाव के कारण लोग उन्हें महात्मा के नाम से सम्बोधित करते थे. वाराणसी के छोटे से गांव में एक शिक्षक परिवार में लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म हुआ. वह देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे. भारत को आजादी दिलाने और भारत के भविष्य का निर्माण करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. काशी विद्यापीठ से जुड़ने के बाद उनका महान हस्तियों तथा बुद्धिजीवियों से संपर्क बढ़ा और वे देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए गांधी के साथ हो चले. अपने जीवन काल में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे. जय जवान जय किसान का नारा देकर उन्होंने गांधी जी के साथ अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया तथा भारत के सपनों को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा। महापौर सफीरा साहू ने कहा कि गांधी- शास्त्री महान नेता थे. उन्होंने देश की आज़ादी में अहम भूमिका अदा की. गांधी जी प्रजातंत्र के परम समर्थक थे. सत्य अहिंसा के बल पर भारत को आज़ाद कराया उन्होंने समाज मे फैली छुआछूत की भावना को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किए. उन्होंने पिछड़ी जातियों को ईश्वर के नाम पर हरि-जन नाम दिया. जीवन पर्यन्त उनके उत्थान के लिए प्रयासरत रहे. गांधी जी का स्वराज्य गांव में बसता था और वे ग्रामीण उद्योगों की दुर्दशा से चिंतित थे. खादी को बढ़ावा देना तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार उनके जीवन के आदर्श थे. गांधी जी का कहना था कि खादी का मूल उद्देश्य प्रत्येक गांव को भोजन व कपड़े के विषय मे स्वावलम्बी बनाना है. ऐसे समय में जब पूरा संसार बुनियादी वस्तुओं की खरीद के लिए संघर्ष कर रहा है, गांधी जी का ग्राम स्वराज एवं स्वदेशी का विचार ही हमारा सही मार्गदर्शन कर सकता है. भारत जैसे विकाशशील देश की आगे की नीति यही होनी चाहिए. जिला महामंत्री अनवर खान, कौशल नागवंशी व अन्य वक्ताओं ने भी बापू और शास्त्री जी की जीवनी पर प्रकाश डाला और कहा कि स्वतंत्रता के महानायक गांधी, शास्त्री ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंगे आजादी में अहिंसा को हथियार बनाकर लंबी लड़ाई लड़ी. अंग्रेजों को यह समझ में आ गया था हमें इस वीर भूमि से खदेड़ा जाने वाला है, हमारा अंत निश्चित है तथा अब हम फूट डालो राज करो की नीति पर इस धरती पर राज नहीं कर सकते. अंततः अंग्रेज भारत छोड़ने पर मजबूर हो गए इन महापुरुषों ने देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। वक्ताओं ने बापू, शास्त्री को श्रद्धांजलि देकर उनके पद चिन्हों पर चलने का संकल्प लिया.कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कांग्रेसी सतपाल शर्मा ने किया और कहा कि स्वतन्त्रता के उन महापुरूषों के संदेशों को कांग्रेसजन तक पहुंचाने तथा उनका सदैव स्मरण करने की बात कही. अंत में 2 मिनट का मौन धारण कर इन महापुरुषों को श्रद्धान्जलि दी गई. कार्यक्रम में प्रदेश, जिला, ब्लॉक, जोन, सेक्टर, बूथ व अनुभाग के पदाधिकारी, सेवादल, युवक कांग्रेस, महिला कांग्रेस, एनएसयूआई सहित अन्य मोर्चा, प्रकोष्ठ, विभागों के पदाधिकारी सोशल मीडिया के प्रशिक्षित कार्यकर्ता, सहकारिता क्षेत्र के सदस्य, निर्वाचित व मनोनीत पार्षद त्रिस्तरीय पंचायत के जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ कांग्रेसी व कार्यकर्ता उपस्थित थे.